शनि-मंगल का दृष्टि संबंध और उसके उपाय Saturn Mars Combination in Kundli A 2 Z info
शनि-मंगल का दृष्टि संबंध और उसके उपाय Saturn Mars Combination in Kundli A 2 Z info
ज्योतिष में कुछ ग्रह ऐसे होते हैं जो मित्र बनें तो जीवन संवार देते हैं और शत्रु बनें तो व्यक्ति को भीतर तक हिला देते हैं। शनि और मंगल ऐसे ही दो शक्तिशाली ग्रह हैं। जब कुंडली में शनि-मंगल दृष्टि संबंध और उसके उपाय की बात आती है, तो यह विषय सिर्फ ज्योतिषीय नहीं बल्कि जीवन से सीधा जुड़ा हुआ हो जाता है।
कई लोग बिना कारण गुस्सा, बेचैनी, रुकावट और संघर्ष झेलते रहते हैं, जबकि जड़ में यही योग काम कर रहा होता है।
शनि कर्म का ग्रह है और मंगल ऊर्जा का। शनि ठहराव चाहता है, मंगल तेज़ी। जब दोनों एक-दूसरे को दृष्टि से प्रभावित करते हैं, तो जीवन में टकराव पैदा होता है। शनि-मंगल दृष्टि संबंध और उसके उपाय समझना इसलिए आवश्यक है ताकि समस्या से डरने के बजाय समाधान की ओर बढ़ा जा सके।

तो आइए जानते हैं
शनि-मंगल का दृष्टि संबंध और उसके उपाय Saturn Mars Combination in Kundli A 2 Z info
शनि और मंगल की दृष्टि का वास्तविक अर्थ
शनि की दृष्टि जहां पड़ती है, वहां परीक्षा होती है। मंगल की दृष्टि जहां पड़ती है, वहां क्रिया होती है। जब दोनों की दृष्टि एक-दूसरे पर पड़ती है, तो व्यक्ति का मन और कर्म आपस में लड़ने लगते हैं।
ऐसे जातक ( जिस व्यक्ति की कुंडली है ) मेहनती तो होते हैं, परंतु परिणाम देर से मिलता है। कई बार व्यक्ति सही दिशा में प्रयास करता है, फिर भी सफलता हाथ नहीं आती।
शनि-मंगल दृष्टि संबंध और उसके उपाय न समझने पर व्यक्ति खुद को दोषी मानने लगता है, जबकि दोष ग्रहों के असंतुलन का होता है। यह योग विशेष रूप से करियर, विवाह और स्वास्थ्य में असर डालता है।
जीवन में दिखने वाले सामान्य लक्षण
ऐसे जातक ( जिस व्यक्ति की कुंडली है )ों में चिड़चिड़ापन, जल्द गुस्सा आना, चोट लगने की संभावना, मशीन या आग से संबंधित कामों में परेशानी देखी जाती है।
घर-परिवार में बिना वजह तनाव बना रहता है। कई बार व्यक्ति खुद नहीं समझ पाता कि वह अंदर से इतना अशांत क्यों है।
यदि बार-बार रुकावट, दुर्घटना या कोर्ट-कचहरी के मामले हों, तो वहां शनि-मंगल दृष्टि संबंध और उसके उपाय पर ध्यान देना बहुत आवश्यक हो जाता है।
विवाह और संबंधों पर प्रभाव
विवाह के मामलों में यह योग देर, मतभेद या अलगाव की स्थिति बना सकता है। पति-पत्नी दोनों ही अपनी बात पर अड़े रहते हैं।
यहाँ शनि कठोरता लाता है और मंगल उग्रता। परिणामस्वरूप संवाद टूटने लगता है।
ऐसे में केवल ग्रह दोष बताना पर्याप्त नहीं होता, बल्कि शनि-मंगल दृष्टि संबंध और उसके उपाय को सही तरीके से अपनाना आवश्यक होता है।
सरल और प्रभावी उपाय
हर शनिवार शनि मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का 108 बार जाप करें। मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करें और हनुमान चालीसा पढ़ें। लोहे और लाल मसूर का दान करना भी लाभदायक माना गया है। सबसे बड़ा उपाय है क्रोध पर नियंत्रण। योग, प्राणायाम और नियमित दिनचर्या शनि-मंगल दृष्टि संबंध और उसके उपाय में सबसे प्रभावी माने गए हैं।
क्या यह योग हमेशा अशुभ होता है?
नहीं, यह योग हर कुंडली में नुकसानदेह नहीं होता। यदि सही भावों में हो और शुभ ग्रहों का साथ मिले, तो व्यक्ति साहसी, अनुशासित और नेतृत्व क्षमता वाला बनता है। यानी समस्या नहीं, असंतुलन समस्या है। इसलिए डरने की बजाय समझदारी से शनि-मंगल दृष्टि संबंध और उसके उपाय अपनाने चाहिए।
प्रश्न उत्तर
प्रश्न: शनि-मंगल दृष्टि संबंध और उसके उपाय कब करने चाहिए?
उत्तर: जब कुंडली में शनि और मंगल एक-दूसरे को देख रहे हों और जीवन में लगातार बाधाएं आ रही हों।
प्रश्न: क्या यह योग विवाह में देरी करता है?
उत्तर: हां, कई मामलों में यह योग विवाह में देरी या तनाव पैदा करता है।
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