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सूर्य देव surya dev का हमारे जीवन पर प्रभाव Impact of surya dev on Success in Life

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सूर्य देव surya dev का हमारे जीवन पर प्रभाव Impact of surya dev on Success in Life

surya dev :सूर्य देव समस्त ग्रहों का राजा हैं । सम्पूर्ण संसार में समस्त जीवधारियों की आत्मशक्ति के प्रतीक है | आत्मशक्ति अर्थात ? जब हम कुछ करना चाहते है , कुछ पाना चाहते है…तो हमारे मन में अनेक प्रकार के विचार आते है क्योंकि मन चंचल होता है , चंद्रमा के अधीन होता है.

इन विचारों से हमारे मस्तिष्क में plans आते है कि इसको ऐसे करेंगे … इसको वैसे करेंगे … किन्तु वो plans, आगे चलकर implement होंगे या नही, ये हमारी आत्मशक्ति निर्धारित करती है और हमारी आत्मशक्ति कैसी है , कितनी प्रबल है… ये सूर्य देव (surya dev/ surya bhagwan )निर्धारित करते है.

इस बात को ऐसे समझें कि हमारी कुंडली में सूर्य देव (surya dev) की स्थिति ये निर्धारित करती है कि हम अपने plans को पूरा कर सकेंगे या नही | सूर्य आत्मकारक ग्रह हैं और मन में कितने ही विचार आयें किन्तु जब तक आत्मा मजबूत नही होगी तब तक वो विचार कर्म में परिवर्तित नही हो सकेगा |

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य देव (surya dev) आत्मा और पिता के प्रतिनिधि होते है , हमने  जिस कुटुंब …परिवार में जन्म लिया है उसकी यश प्रतिष्ठा के प्रतिनिधि होते हैं। सूर्य अन्य सभी ग्रहों को प्रकाश प्रदान करते हैं। रात्रि में चन्द्रमा का जो शीतल प्रकाश फैला दिखाई देता है …वो भी सूर्य का ही परावर्तित प्रकाश है|

जब सूर्य देव (surya dev/ surya bhagwan ) नही होते है तो रात होती यानि अंधकार होता है और सूर्य की अनुपस्थिति में राहु ( light bulb ) सूर्य का रूप धर के प्रकाश फैलाते है |

यहाँ तक की किसी भी व्यक्ति की कुंडली में राहु भी सूर्य जैसा ही फल देने की क्षमता रखते है किन्तु सूर्य का स्थान कोई नही ले सकता है |

ये बात अलग है कि सूर्य को ग्रहण लगाने कि क्षमता मात्र राहु में होती है , सूर्य निकट आने पर सभी ग्रहों को अस्त कर देते है किन्तु राहु के निकट आने पर स्वंम अस्त हो जाते है | राहु भी सूर्य के समान फल देने की क्षमता रखते है जिसे हम आने वाली post में पढेंगे |

सूर्य देव (surya dev/ surya bhagwan ) तो पूरे संसार के लिए एक ही हैं और जब वो बहुत शक्तिशाली हैं तो कैसे किसी की कुंडली में कमजोर हो जाते है|

मित्रों हमारे पूर्व जन्मों के कर्मों के आधार पर हमारा पूरा जीवन निर्धारित होता | यदि हमारे अच्छे कर्म होते हैं तो हम अच्छी ग्रह स्थिति के समय जन्म लेते है अन्यथा बुरी ग्रह स्थिति में जन्म लेते है , इसी प्रकार हमारी कुंडली में हमारे कर्मो के अनुसार सूर्य देव (surya dev/ surya bhagwan ) की स्थिति भी होती है … जितने अच्छे सूर्य …उतना ही अच्छा समाज में हमारा नाम , हमारा पद , हमारी प्रसिद्धि |

सूर्य देव (surya dev/ surya bhagwan ) के अच्छे प्रभाव के कारण, एक व्यक्ति सरकारी क्षेत्र में काम करता है,सरकारी नौकरी करता है ,उसे सम्मान मिलता है, राजसी जीवन जीता है साथ ही साथ सूर्य व्यक्ति को अनुशासित, प्रभावशाली, प्रशासक, विश्लेषक, आविष्कारक और समय के साथ सफलता प्राप्त करने वाला व्यक्ति भी बनाता है।

सूर्य एक राशि में एक माह रहते है और समस्त 12 राशियों के भ्रमण में 1 वर्ष लगा देते है |

सूर्य के मकर राशि से मिथुन राशि के भ्रमण काल को उत्तरायन सूर्य और कर्क से धनु राशि के भ्रमण काल को दक्षिणायन सूर्य कहते है |

यदि आप स्वंम या आपके परिवार में कोई सरकारी अधिकारी है ,उच्च पदासीन जनप्रतिनिधि है तो निश्चित ही कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होगी |

Uttarayan DakshinayanSun in cancer sign-Kark Sankranti 2022 सूर्य कर्क संक्रांति

सूर्य देव (surya dev) और हमारा जीवन 

  1. सूर्य जब मेष, सिंह और धनु राशि में होते है तो वह बहुत मजबूत होतें  है। मेष राशि में सूर्य उच्च के होतें है। सूर्य की मूल त्रिकोण राशि सिंह राशि है| यदि व्यक्ति का सूर्य मजबूत है और किसी भी अशुभ ग्रहों के प्रभाव से मुक्त है तो व्यक्ति जीवन भर सफलता प्राप्त करता है और स्वस्थ रहता है, साथ ही सम्मान के साथ जीता है | यदि कुंडली में सूर्य मजबूत है तो व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ और ऊर्जावान होता है।
  2. यदि सूर्य कुंडली में बलवान है, तो यह व्यक्ति अत्यधिक शक्तिशाली होता है। ऐसा व्यक्ति अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना जानता है , वो किसी काम को पूरा करने में अपनी भावना पर नही बल्कि अपने कर्तव्य पथ पर ध्यान देता है और ऐसा करने में उसे निष्ठुर बनना पड़ता है और इसी निष्ठुरता को लोग घमंड का नाम दे देते है कि ये व्यक्ति बहुत घमंडी है , जबकि वो व्यक्ति घमंडी नही बल्कि कर्मठ होता है | किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले पूरी तरह से सोचता है। ऐसा व्यक्ति दृढ़ निश्चयी होता है |
  3. सूर्य जब तुला राशि में होते है तब सूर्य कमजोर होते है क्योंकि तुला के सूर्य, नीच के सूर्य होते है |( यदि सूर्य का नीच भंग हो रहा हो तो सूर्य कमजोर नही रहते है किन्तु नीच सूर्य के गुण उस व्यक्ति के व्यक्तित्व में अवश्य होते हैं |
  4. सूर्य हमे सर्वदा चलते रहने का संकेत देते है , सूर्य को ठहराव पसंद नही होता है | सूर्य को जीवन की निरंतरता प्रिय है। सूर्य एक परिवार में पिता ,किसी विभाग में अधिकारी ,समाज में जनप्रतिनिधि होते है |
  5. कुंडली में सूर्य अच्छा होने से वो व्यक्ति ऊर्जावान होता है और उर्जा देने वाले खाद्य पदार्थ पसंद होते है जिनसे instant energy मिल सके जैसे गुड़ क्योंकि मीठे से instant energy मिलती है |
  6. सूर्य से प्रभावित कुंडली वाला व्यक्ति आदेश देना पसंद करता है,आदेश लेना नही |
  7. जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है वह सामान्तः अस्वस्थ रहते है क्योंकि जहाँ अन्धकार है वहीँ रोग है (अपराध है, कपट है, दुर्बलता है… )
  8. प्रबल सूर्य वाले व्यक्ति को कैसी भी मृत आत्मा , भूत , प्रेत या टोन टोटके प्रभावित नही करते है और ना ही ऐसा व्यक्ति इन बातों में विश्वास करता है |
  9. सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए मजबूत सूर्य अत्यधिक आवश्यक है |

आदित्य हृदय स्तोत्र (aditya hriday strot )surya dev

सूर्य देव (surya dev) के मित्र ग्रह :-

सूर्य के मित्र ग्रहों में मंगल, बृहस्पति,चंद्रमा है।

सूर्य के शत्रु ग्रह :-

सूर्य के शत्रु ग्रह में शनि और शुक्र हैं।

( बुध ग्रह बालक ग्रह होता है और जैसी संगती में होता है वैसा ही बन जाता है )

सूर्य देव (surya dev) की मूल त्रिकोण राशि :-

सिंह राशि ( leo sign)

सूर्य देव (surya dev) की उच्च राशि :–   

सूर्य जब मेष राशि में 10 अंश तक होते है तो उच्च के कहलाते है |

सूर्य देव  की नीच राशि :-

सूर्य जब तुला राशि में 10 अंश तक होते है तो नीच के कहलाते है |

सूर्य देव की दिशा :-

पूर्व ( पूरब – east ) होती है |

सूर्य देव का रत्न :-

माणिक्य

सूर्य देव की धातु :-

सोना, तांबा

सूर्य देव के अंक :- 

1, 10, 19, 28 ( जिसका योग 1 आए ) ( इन अंको में 1, 10,19 अधिक बली संख्याएं हैं |

सूर्य देव का रंग :- 

सुनहरा , लाल

सूर्य देव दुर्बल होने पर होने वाले रोग :- 

मानसिक रोग , माइग्रेन ,ह्रदय रोग , नेत्र रोग , हड्डी रोग, कुष्ठ रोग, स्मृति रोग |

सूर्य देव के  नक्षत्र :- 

कृतिका, उत्तरा फाल्गुनी तथा उतराषाढ़ा |

surya dev surya bhagwan

सूर्यदेव के 12 नाम 

प्रतिदिन सूर्यदेव के इन 12 नामों का जप करने से सम्मान की प्राप्ति होती है |

  • ॐ सूर्याय नम:
  • ॐ भास्कराय नम:
  • ॐ रवये नम:
  • ॐ मित्राय नम:
  • ॐ भानवे नम:
  • ॐ खगय नम:
  • ॐ पुष्णे नम:
  • ॐ मारिचाये नम:
  • ॐ आदित्याय नम:
  • ॐ सावित्रे नम:
  • ॐ आर्काय नम:
  • ॐ हिरण्यगर्भाय नम:

सूर्य देव (surya dev) के मंत्र 

सूर्यदेव का अति सरल मंत्र :

ऊँ घृणि सूर्याय नम

सूर्य गायत्री मंत्र ( Surya Gayatri Mantra )

ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात

सूर्य का बीज मंत्र :

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।

सूर्य का वैदिक मंत्र  (Sun Vedic Mantra)

ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।
हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।

सूर्यदेव के अन्य फलदायी मंत्र  

ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय: नम:

ऊँ घृणि: सूर्यादित्योम

ऊँ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम:

ऊँ घृणि: सूर्य आदित्य श्री

Remark :-

यदि सूर्य निर्बल है तो रविवार के दिन नमक न खाएं ,हो सके तो व्रत रखें,आदित्यहृदय स्त्रोत का पाठ करे , पिता और पिता तुल्य व्यक्ति का सम्मान करे|

यदि कुंडली में सूर्य मित्र है तो सोना या माणिक्य पहनें,  यदि कुंडली की स्थिति नही पता है तो comment box में अपनी अपना नाम,date of birth और अपनी समस्या बताएं, हम हल देने का प्रयास करेंगे |

ये भी पढ़े : पितृ दोष pitra dosh – Signs and easy remedies

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1 Comment

  • Arvind

    Very good post

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