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स्त्री की कुंडली में मंगल ग्रह stri ki kundli me mangal grah-16 mars effects in female horoscope
साथियों आज हम जानेंगे कि स्त्री की कुंडली मे मंगल का प्रभाव क्या और कैसे होता है , इससे पहले के आर्टिकल मे हम स्त्री की कुंडली में शुक्र , स्त्री की कुंडली मे बृहस्पति आदि के विषय मे जान चुके हैं। मित्रों मंगल ग्रह को ग्रहों का सेनापति माना गया है जो हमारी ऊर्जा , रक्त , उत्साह , साहस आदि का कारक है और साथ ही ये लड़ाई झगड़े से भी जुड़ा ग्रह है
मंगल ग्रह का रंग लाल होता है और ये मंगल लाल रंग से जुड़ी वस्तुएं , अग्नि , सेना , पुलिस आदि के विषय और स्त्रीयों के रजोधर्म – मासिक धर्म , स्त्री के सुहाग की आयु या वैधव्य आदि के विषय मे भी बताता है , विवाह मे सबसे पहले जातक की कुंडली में मंगल की स्थिति देखि जाती है जिससे ये पता चलता है कि कोई व्यक्ति मंगली है या नहीं है ।
आज हम जानते हैं कि स्त्री की कुंडली में मंगल का प्रभाव कैसा होता है। किसी भी स्त्री की कुंडली में मंगल कुंडली के 12 भावों मे से किसी एक भाव मे बैठा होगा और लग्नेश से मंगल के संबंध, नवमांश मे मंगल की स्थिति से ये पता चल सकेगा कि स्त्री की कुंडली मे मंगल का प्रभाव शुभ है या अशुभ।
हमारे जीवन में विवाह एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटना है , एक स्त्री की कुंडली में पति का कारक गुरु होता है और उसके जीवनसाथी के सौभाग्य का विचार उसके 8 th भाव को देखकर पता चलता है।
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आइए अब जानते हैं
स्त्री की कुंडली में मंगल ग्रह
stri ki kundli me mangal grah
- चंद्र मंगल के प्रभाव से मासिक धर्म प्रभावित होता है यदि ये स्तिथि अशुभ हो तो मासिक धर्म में अनियमित हो जाता है ।
- शुक्र और मंगल की युति या दृष्टि संबंध यौनाकर्षण देता है , यौन शुख पाने की अभिलाषा जागने लगती है। यदि ये मंगल अशुभ भावों का स्वामी हो और स्त्री की कुंडली मे बृहस्पति निर्बल हो तो अनैतिक यौन संबंध बन जाते हैं ।
- शुक्र और मंगल की युति यदि सप्तम भाव या अष्टम या 12 th भाव मे बन रही हो तो ये अधिक हानिकारक स्थिति है ।
- स्त्री की कुंडली में प्रथम भाव में मंगल स्त्री को आत्मनिर्भर और साहसी बनाता हैं, ऐसी स्त्री घर से बाहर के कामों में अधिक सफल होती हैं और एक पुरुष समान व्यवहार करती है लेकिन मंगल के प्रभाव से वैवाहिक जीवन कठिनाईयों से भरा हो सकता है ।
- यदि किसी स्त्री की 2nd भाव में मंगल हो तो वो थोड़ा कठोर बोलने वाली होती है , उसके घर मे पुरुषों की संख्या अधिक होती है , वो अधिकाधिक पैसे कमाने और उसे व्यय करने मे विश्वास करती है ।
- यदि स्त्री की कुंडली में तीसरे भाव में मंगल होता है तो वो निडर होती है और अनजाने लोगों से भी बात कर लेती है , यदि इनका सूर्य और 10 th लॉर्ड अच्छा हो तो ऐसी स्त्री सेना , पुलिस मे नौकरी पाने मे सफल हो जाती हैं, ऐसी स्त्री कभी भी मेहनत करने से नहीं घबराती हैं ।
- यदि स्त्री की कुंडली में चौथे भाव में वैवाहिक जीवन के लिए ठीक नहीं होता है, यदि शनि की स्थिति ठीक हो तो इन्हें प्रॉपर्टी मे अपना पैसा इन्वेस्ट करना चाहिए , इन्हे आराम और विलासिता का जीवन पसंद होता है
- यदि पांचवे भाव में मंगल हो तो संतान को कष्ट हो सकता है यदि यहाँ बृहस्पति की दृष्टि भी हो तो पहली संतान पुरुष संतान होने की संभावना होती हैं , यदि पंचम और 6 th का संबंध बन रहा हो तो ऐसी स्त्री मेडिकल लाइन मे सरलता से कार्यरत हो सकती है
- कुंडली के छठे भाव में मंगल होने पर स्त्री अपने शत्रु को सरलता से परास्त कर सकती है , यदि चंद्रमा पीड़ित हो तो रक्त विकार उत्पन्न हो सकते हैं
- यदि 7 th भाव में मंगल हो तो ये स्त्री सेक्स संबंधों मे रुचि लेने वाली और इसके लिए अपने जीवनसाथी को धोखा तक देने वाली होती है , यदि ये मंगल लग्नेश भी हो तो ऐसे संबंध किसी को सरलता से पता नहीं चल पाते हैं , वैवाहिक जीवन कठिनाईयों से भरा हो सकता है ।
- यदि 8 th भाव में मंगल हो तो वैधव्य (विधवा योग) की संभावना बन जाती है यदि वहाँ शुभ प्रभाव हो तो ठीक है अन्यथा मांगलिक दोष पूजन करवा लेना चाहिए , ये स्त्री खोजी स्वभाव की होती है
- यदि स्त्री कुंडली मे मंगल नवम भाव और उस पर किसी पापी ग्रह की दृष्टि न हो तो स्त्री आधुनिक,साहसी,अपने धर्म को माने वाली होती है , ये दिखने मे आकर्षक होती हैं
- स्त्री की कुंडली में दशम भाव में मंगल स्त्री के संतान सुख में कमी उत्पन्न कर देता है लेकिन साथ ही धनवान और साहसी बना देता है, लेकिन संतान सुख कम हो जाता है ।
- यदि स्त्री कुंडली मे मंगल 11th भाव हो तो ये अत्यधिक लाभकारी होता है , बड़े भाई से लाभ , प्रभावशाली वाणी , पारिवारिक मजबूती, पारिवारिक सुख-समृद्धि भी बनी रहती हैं.
- यदि स्त्री कुंडली मे मंगल बारहवें भाव हो तो ये वैवाहिक जीवन के लिए अच्छा नहीं होता है , ये स्थिति जीवन मे भोग विलास की कमी , यौन सुखों की कमी और जीवन साथी से मतभेद उत्पन्न कर देती है
- यदि स्त्री कुंडली मे मंगल और राहू की युति हो तो ये अंगारक योग बन जाता है और ऐसी स्त्री को क्रोध बहुत आता है , अतिरेक उत्साह होता हैं
स्त्री की कुंडली में मंगल ग्रह के उपाय
stri ki kundli me mangal grah ke upay
यदि स्त्री कुंडली मे मंगल अशुभ हो तो सबसे पहले ये देखें की वो किस भाव और किस राशि मे बैठा है और उसके बाद जिस राशि मे बैठकर मंगल अशुभ फल दे रहा हो उस राशि पति के उपाय करने होंगे , इसके साथ ही लग्नेश और गुरु बृहस्पति बलवान करने होंगे , यदि मंगल के कारण मांगलिक दोष उत्पन्न हो रहा हो तो मांगलिक दोष निवारण पूजा करवानी होगी
सभी कुंडली एक दूसरे से भिन्न होती हैं अतः कुंडली देखे बिना कोई भी उपाय नहीं करना चाहिए , सामान्य उपायों मे आंखों में काजल लगाना चाहिए
निष्कर्ष :
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