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Parivartini Ekadashi 2023: परिवर्तिनी एकादशी 2023 व्रत से मिलेगी पाप कर्मों से मुक्ति- जानें तिथि,शुभ मुहर्त,पूजा विधि उपाय,कथा
Parivartini Ekadashi 2023 :(परिवर्तिनी एकादशी 2023)- भादो माह यानि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है. इसी एकादशी को जलझूलनी एकादशी भी कहते हैं। वर्षभर में 24 एकादशी आती है क्योंकि एक महीने में दो एकादशी होती है, लेकिन जिस वर्ष मलमास/ अधिक मास लगता है, उस वर्ष एकादशी तिथि बढ़कर 26 हो जाती है, इनमें से सभी एकादशी तिथि का अलग अलग नाम और महत्व है।
वर्ष 2023 मे परिवर्तिनी एकादशी का व्रत 25 सितंबर सोमवार को है। परिवर्तिनी एकादशी के दिन प्रभु श्रीहरि विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है. संसार को राक्षस राज राजा बलि के अत्याचारों से मुक्त कराने के लिए भगवान विष्णु पृथ्वी पर वामन अवतार लेकर आए थे,
भगवान विष्णु की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए एकादशी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण होता है.
आइये जानते हैं इस परिवर्तिनी एकादशी व्रत की तिथि ,शुभ योग, मुहूर्त व पूजा विधि
परिवर्तिनी एकादशी 2023 तिथि और शुभ मुहर्त
(Parivartini Ekadashi 2023 Shubh Muhurat)
इस वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 25 सितंबर 2023 सोमवार 7 बजकर 56 मिनट पर आरंभ होगी और एकादशी तिथि का समापन दूसरे दिन 26 सितंबर 2023 मंगलवार को प्रातः 05:01 पर होगा जिसमे विष्णु जी की पूजा का समय 25 सितंबर 2023 को प्रातः 09.12 – प्रातः 10.42 तक अधिक शुभ है .
परिवर्तिनी एकादशी व्रत के दिन 25 सितंबर को रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है जिसमे रवि योग प्रातः 06:11 से प्रातः 11:55 तक है और इसके बाद सर्वार्थ सिद्धि योग आरंभ होगा जो हमारे जीवन मे उन्नति के नए मार्ग खोल सकता है।
परिवर्तिनी एकादशी व्रत पारण समय
परिवर्तिनी एकादशी 2023 व्रत का पारण 26 सितंबर 2023 को दोपहर 01.25 से दोपहर 03.49 तक रहेगा ,
Parivartini Ekadashi 2023:(परिवर्तिनी एकादशी 2023)
आइए जानते हैं परिवर्तिनी एकदाशी के उपाय.
परिवर्तिनी एकादशी 2023 के दिन करें ये उपाय
परिवर्तिनी एकादशी को पीपल के पेड़ की पूजा करने के बाद सायंकाल पीपल के वृक्ष के नीचे गाय के घी का दीपक प्रज्वलित कर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें , ऐसा करने से भगवान विष्णु के साथ साथ माता लक्ष्मी की कृपा प्रपट होने लगती है
इस वर्ष परिवर्तिनी एकादशी मंगलवार को है इसलिए की पूजा के बाद हनुमान जी की भी पूजा करें , ऐसा करने से ऋण से मुक्ति मिलने लगती है
परिवर्तिनी एकादशी के दिन गौ माता की सेवा करना बहुत शीघ्र फलदायी माना गया है इसलिए परिवर्तिनी एकादशी के दिन गाय को हरा चारा खिलाने से घर में समृद्धि आती है, गौ सेवा से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है.
इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा-पाठ करने से और दान करने से अनंत पुण्य प्राप्त होता है
परिवर्तिनी एकादशी 2023 के दिन क्या न करें?
परिवर्तिनी एकादशी 2023 के दिन साबूदाना, नारियल, काली मिर्च, सेंधा नमक,शकरकंद, कुट्टू, आलू, दूध, बादाम, अदरक, चीनी आदि से बने भोज्य पदार्थ ले सकते हैं .
परिवर्तिनी एकादशी 2023 के दिनकिसी की चुगली करना और दूसरों की बुराई करना, क्रोध करना, झूठ बोलना आदि बुराइयों से बचना चाहिए.
परिवर्तिनी एकादशी 2023 पूजा विधि
(Parivartini Ekadashi 2023 Puja Vidhi)
परिवर्तिनी एकादशी व्रत के लिए दशमी तिथि को सात्विक भोजन करें और एकादशी के दिन प्रातः स्नान आदि के बाद दायें हाथ मे गंगा जल ले करने के बाद परिवर्तिनी एकादशी व्रत संकल्प लें, यदि आप मात्र पूजा कर रहें हैं तो भी संकल्प लें
इसके बाद भगवान विष्णु के चित्र या प्रतिमा को गंगा जल और पंचामृत से स्नान कराएं। भगवान श्रीहरि विष्णु को धूप, दीप, गंध, पुष्प, नैवेद्य आदि अर्पित कर पूजन करें और तत्पश्चात आरती करें ।
संभव हो तो विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करके भगवान वामन की कथा सुनें और परिवार के लोगों को भी सुनायेँ ।दूसरे दिन द्वादशी को योग्य पूजा पाठी ब्राह्मणों को भोजन करा दान दे
एकादशी के दिन क्या न करें
परिवर्तिनी एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु को भूलकर भी चावल यानि सफेद अक्षत नहीं चढ़ाना चाहिए और साथ ही सभी लोगों को एकादशी के दिन चावल खाने से बचना चाहिए । क्योंकि एकादशी के दिन चावल खाना मांस और रक्त का सेवन करने के सामान है। क्योंकि चावल और जौ को जीव सामान माना जाता है।
सफेद अक्षत यानि चावल का प्रयोग करने से व्यक्ति को दोष लगता है , इस दिन चावल खाने से मृत्य के बाद मोक्ष नहीं मिलता है। एकादशी के दिन तुलसी के पौधे में जल भी न चढ़ाया जाता है क्योंकि इस दिन तुलसी जी भी निर्जला उपवास करती हैं। इस दिन कैसा भी तामसिक भोजन न करें और न ही मदिरा आदि नशीले पदार्थ का सेवन करें ।
Parivartini Ekadashi 2023:(परिवर्तिनी एकादशी 2023)
परिवर्तिनी एकादशी व्रत की कथा
(Parivartini Ekadashi 2023 Katha)
पुराणों मे बताया गया भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं एक बार युधिष्ठिर को परिवर्तिनी एकादशी का महत्व बताया और कहा कि “त्रेतायुग में बलि नामक एक दैत्य था जिसने पूरे संसार पर अधिकार कर इंद्रलोक पर भी अधिकार कर लिया।
तब मैंने वामन रूप अवतार लिया और बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी और दो पग में धरती और आकाश को नाप लिया।
जब तीसरा पग रखने का कोई स्थान नही रहा तब मैंने बलि से पूछा कि तीसरा पग कहां रखूं? तो दैत्य बलि ने अपना शीश मेरे सामने कर दिया और मैंने अपना तीसरा पग उसके शीश पर रख दिया किन्तु ऐसा करने से वह पाताल में जाने लगा
उसकी इस भक्ति भाव को देख मैंने उसे वरदान मांगने के लिए कहा तब उसने मुझे अपने साथ रहने का वरदान मांगा और मैंने उसे वो वरदान दे दिया।
बाद मे भाद्रपद शुक्ल एकादशी के दिन बलि के आश्रम पर मेरी मूर्ति स्थापित की गई। इसीलिए जो भी व्यक्ति इस एकादशी पर व्रत रखता है मैं उसे सब पापों से मुक्त कर देता हूँ और जो ये कथा सुनता है उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।”
Parivartini Ekadashi 2023:(परिवर्तिनी एकादशी 2023)
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