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Kamika ekadashi 2022 in hindi: कामिका एकादशी का महत्व,शुभ मुहूर्त,पूजा विधि और व्रत कथा, it destroy all sins
Kamika ekadashi 2022 in hindi: कामिका एकादशी : श्रावण मास यानि सावन माह में कामिका एकादशी और पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। जिसमे कामिका एकादशी सभी प्रकार की कामना को और पुत्रदा एकादशी संतान सुख की कामना पूर्ण करती है। इस वर्ष कामिका एकादशी व्रत 24 जुलाई 2022 रविवार को रखा जाएगा।
कामिका एकादशी श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में जबकि पुत्रदा एकादशी शुक्ल पक्ष में आती है जो इस वर्ष 8 अगस्त को है ।
सावन मास की पहली एकादशी है कामिका एकादशी , हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार कामिका एकादशी व्रत को करने से सभी तीर्थों में स्नान का पुण्य की प्राप्त होता है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कामिका एकादशी 2022 तिथि
23 जुलाई, शनिवार को श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी प्रातः 11 बजकर 27 मिनट पर प्रारंभ हो रही है और 24 जुलाई, रविवार को दोपहर 01 बजकर 45 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा। हिन्दू धर्म में उदयातिथि के महत्त्व को देखते हुए कामिका एकादशी व्रत 24 जुलाई को माना जाएगा।
कामिका एकादशी 2022 के शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त : प्रातः 04:15 से 04:56 तक रहेगा ।
अभिजीत मुहूर्त : प्रातः 11:37 से 12:31 तक रहेगा ।
गोधूलि मुहूर्त : संध्या 06:34 से 06:58 तक रहेगा ।
अमृत काल : 06:25 संध्या से 08:13 रात्रि तक रहेगा ।
द्विपुष्कर योग : रात्रि 10:00 से दूसरे दिन प्रातः 05:22 तक रहेगा ।
कामिका एकादशी 2022 व्रत पारण समय
24 जुलाई को कामिका एकादशी व्रत रखने वाले 25 जुलाई को सूर्योदय के बाद व्रत पारण कर सकेंगे। पारणा मुहूर्त 25 जुलाई को प्रातः 05:38:09 से 08:21:52 तक रहेगा ।
कामिका एकादशी का महत्व : Kamika ekadashi 2022 in hindi
कामिका एकादशी का महत्व इतना है कि कामिका एकादशी का व्रत रखने भक्तों को भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है. कामिका एकादशी का व्रत रखने वाले के पितरों के कष्ट भी भगवान श्रीहरि विष्णु दूर कर देते हैं जिससे पितृ प्रसन्न होकर हमें आशीर्वाद प्रदान करते हैं. धार्मिक मान्यता है कि कामिका एकादशी व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा से भक्तों के द्वारा जाने अनजाने में हुए पाप नष्ट होते है और सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं और साथ ही मृत्यु के बाद उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.
कामिका एकादशी के महत्व को समझने के लिए हम भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के संवाद को जाने , एक बार अर्जुन ने कहा: हे प्रभु! मैंने आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी का सविस्तार वर्णन सुन लिया है । अब आप मुझे श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी की कथा सुना कर अपनी कृपा प्रदान करें। मुझे बतायें कि इस एकादशी का नाम क्या है? इसको कैसे करें इसकी क्या विधि है? इस इस एकादशी में किस देवता का पूजन होता है? इसका व्रत करने से मनुष्य को किस फल की प्राप्ति होती है?
तब भगवान प्रभु श्रीकृष्ण ने कहा: हे श्रेष्ठ धनुर्धर! मैं श्रावण माह की पवित्र एकादशी की कथा सुना रहा हूँ, तुम ध्यानपूर्वक सुनो । एक बार इस एकादशी की पवित्र कथा को भीष्म पितामह ने नारदजी को भी सुनाया था।
एक समय की बात है ,नारदजी ने भीष्म पितामह से कहा: हे पितामह! आज मेरी श्रावण के कृष्ण पक्ष की एकादशी की कथा सुनने की इच्छा हो रही है, अतः आप इस एकादशी की व्रत कथा पूरे विधि विधान के साथ सुनाइये।
नारदजी की इच्छा को सुन पितामह भीष्म ने कहा: हे नारदजी! आपका बहुत ही सुन्दर प्रस्ताव है। अब आप इसे ध्यानपूर्वक सुने – श्रावण माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का नाम कामिका एकादशी है। इस एकादशी की कथा सुनने मात्र से ही वाजपेय यज्ञ के फल की प्राप्ति हो जाती है। कामिका एकादशी के व्रत में शंख, चक्र, गदाधारी भगवान विष्णु का पूजन होता है। जो मनुष्य इस एकादशी को धूप, दीप, नैवेद्य,पुष्प आदि से भगवान विष्णु का पूजन करते हैं, उन्हें गंगा स्नान के फल से भी उत्तम फल प्राप्त होता है।
सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण में केदार और कुरुक्षेत्र में स्नान करने से जैसा पुण्य प्राप्त होता है, वह पुण्य कामिका एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा करने से भी प्राप्त हो जाता है। श्रावण मास में भगवान श्रीहरि विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा करने का फल समुद्र और वन के साथ पृथ्वी दान करने के फल से भी अधिक होता है। व्यतिपात में गंडकी नदी में स्नान करने से जो फल मिलता है वो फल भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करने से प्राप्त हो जाता है।
संसार में भगवान की पूजा का फल सबसे अधिक है, अतः भक्तिपूर्वक भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा यदि न कर सको तो श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की कामिका एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिये। जो फल आभूषणों से युक्त बछड़ा युक्त गौदान करने से मिलता है, वह फल कामिका एकादशी के व्रत से मिल जाता है।
श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की कामिका एकादशी का व्रत और भगवान श्रीहरि विष्णु का पूजन करने से सभी देव, नाग, किन्नर, पितृ आदि की पूजा हो जाती है इसलिये जो लोग पाप से डरते हैं उन व्यक्तियों को विधि-विधान के साथ इस कामिका एकादशी का व्रत करना चाहिये। कामिका एकादशी के व्रत से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और समस्त संसार में इससे अधिक पापों को नष्ट करने वाला कोई और सरल उपाय नहीं है।
हे नारदजी! स्वयं भगवान श्रीहरि विष्णु ने अपने मुख से कहा है कि मनुष्यों को अध्यात्म विद्या से जो फल प्राप्त होता है उससे कहीं अधिक फल कामिका एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है। इस व्रत को करने से मनुष्य को यमराज के दर्शन नही होते हैं और न ही नरक के कष्ट भोगने पड़ते हैं। वह स्वतः ही स्वर्ग का अधिकारी बन जाता है।
जो मनुष्य कामिका एकादशी के दिन तुलसीदल से भक्तिपूर्वक भगवान श्रीहरि विष्णु का पूजन करते हैं वे इस संसार सागर में रहते हुए भी इस प्रकार पृथक रहते हैं जैसे कमल पुष्प जल में रहता हुआ भी जल से पृथक ही रहता है। तुलसीदल से भगवान श्रीहरि का पूजन करने का फल एक बार स्वर्ण और चार बार चाँदी के दान के फल के सामान होता है क्योंकि भगवान श्रीहरि विष्णु मोती, मणि ,रत्न आदि आभूषणों की अपेक्षा तुलसीदल से अधिक प्रसन्न होते हैं।
हे नारदजी! मैं भगवान श्रीहरि विष्णु की अति प्रिय श्री तुलसीजी को प्रणाम करता हूँ क्योंकि जो मनुष्य प्रभु श्रीहरि विष्णु का तुलसीदल से पूजन करते हैं उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। तुलसीजी के दर्शन मात्र से ही मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और तुलसीजी से शरीर के स्पर्श मात्र से मनुष्य पवित्र हो जाता है। तुलसीजी को जल से स्नान कराने से मनुष्य की सभी यम यातनाएं नष्ट हो जाती हैं इसलिए जो मनुष्य तुलसीजी को भक्तिपूर्वक भगवान श्रीहरि विष्णु के श्रीचरण कमलों में अर्पित करता है उसे मुक्ति निश्चित ही मिल जाती है।
जो मनुष्य इस कामिका एकादशी की रात्रि को जागरण करते हैं और दीप-दान करते हैं चित्रगुप्त भी उनके पुण्यों को लिखने में असमर्थ हैं। कामिका एकादशी के दिन जो मनुष्य भगवान के सामने दीप प्रज्वलित करते हैं उनके पितरों को स्वर्गलोक में अमृत प्राप्त होता है ।
प्रभु श्रीहरि विष्णु के सामने जो मनुष्य घी या तिल के तेल का दीपक प्रज्वलित करते हैं उनको सूर्य लोक में भी सहस्रों दीपकों का प्रकाश प्राप्त होता है।
कामिका एकादशी व्रत कथा
एक गाँव में एक वीर क्षत्रिय रहता था। एक दिन किसी कारण वश उसकी ब्राह्मण से लड़ाई हो गई और ब्राह्मण की मृत्य हो गई। उस क्षत्रिय ने अपने हाथों उस मृत ब्राह्मण की क्रिया करने की सोची किन्तु पंडितों ने उसे क्रिया में भाग लेने या किसी भी प्रकार के सहयोग देने से मना कर दिया और साथ ही ब्राह्मणों ने बताया कि अब तुम पर ब्रह्म हत्या का दोष लग गया है इसलिए सर्वप्रथम प्रायश्चित कर इस पाप से मुक्त हो तब हम तुम्हारे घर भोजन करेंगे।
इस पर क्षत्रिय ने ब्राह्मणों से पूछा कि इस पाप से मुक्त होने के क्या उपाय है। तब ब्राह्मणों ने बताया कि श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को भक्तिभाव से भगवान श्रीधर अर्थात प्रभु श्रीहरि विष्णु का व्रत एवं पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराके सदश्रिणा के साथ आशीर्वाद प्राप्त करने से इस पाप से मुक्ति मिलेगी।
पंडितों के बताये हुए नियमों के अनुसार व्रत करने पर व्रत वाली रात में भगवान श्रीधर ने क्षत्रिय को दर्शन देकर बताया कि अब तुम्हें ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई है। कामिका एकादशी के व्रत के करने से ब्रह्म हत्या आदि सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और पृथ्वी लोक में सुख भोगकर प्राणी अन्त में विष्णुलोक को गमन करते हैं।
इस कामिका एकादशी के माहात्म्य को सुनने या पाठ करने मात्र से मनुष्य को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है।
कामिका एकादशी व्रत पूजा विधि
प्रातः शीघ्र उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। हाथ में गंगा जल ले उसके छींटों से मंदिर और पूजन स्थल को पवित्र करें तत्पश्चात घर के मंदिर में गाय के घी का दीप प्रज्वलित करें। भगवान श्री हरि विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। भगवान को भोग लगाएं और इस भोग में तुलसी दल अवश्य रखें । भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी का भी पूजन करें। माता लक्ष्मी के साथ भगवान श्री हरि विष्णु की आरती करें। यदि संभव हो तो इस दिन व्रत रख लें
कामिका एकादशी का मंत्र
–> ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:।
–> ॐ विष्णवे नम:।
–> ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
–> ॐ हूं विष्णवे नम:।
–> ॐ अं वासुदेवाय नम:
–> ॐ आं संकर्षणाय नम:
–> ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
–> ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
–> ॐ नारायणाय नम:
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निष्कर्ष :
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