कुंडली में विवाह योग कब बनते है ? marriage yoga in the horoscope- 5 important conditions
Marriage yoga in the horoscope: वैदिक ज्योतिष मे कुंडली में विवाह योग (Kundli me vivah yog) देखने से पहले हमें यह जानना आवश्यक है की कुंडली में कौन सा भाव और कौन से ग्रह विवाह मैं मुख्य भूमिका निभाते हैं । साथियों कुंडली में सातवां भाव विवाह और जीवनसाथी से जुड़ा हुआ भाव होता है और इसी प्रकार नवमांश कुंडली भी हमारे जीवनसाथी के विषय में बताती है ।
जब भी कुंडली का सातवां भाव शुभ प्रभाव में होता है तब हमारा विवाह शीघ्र और कम आयु में हो जाता है जबकि ठीक इसके विपरीत यदि हमारी कुंडली में सातवां भाव पाप ग्रहों के द्वारा पीड़ित होता है अथवा क्रूर ग्रहों के द्वारा पीड़ित होता है , तो विवाह में विलंब होता है।
इसी के साथ हमें यह भी देखना होता है की कुंडली में सातवां भाव का स्वामी किस स्थिति में बैठा है और कौन से ग्रह उसे देख रहे हैं । यदि सातवें भाव के स्वामी के ऊपर शुभ ग्रहों की दृष्टि होती है तो विवाह शीघ्र हो जाता है अन्यथा विवाह मे विलंब होता है।
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कुंडली में विवाह योग Marriage yoga in the horoscope
- हमारी कुंडली में जब भी बृहस्पति का गोचर सातवें भाव के ऊपर से होता है तो कुंडली में विवाह योग प्रबल हो जाते हैं और उस समय हमारे विवाह होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है।
- यदि यदि कुंडली में मित्र बृहस्पति की दृष्टि सातवें भाव पर पढ़ रही हो तो उस समय भी विवाह होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है ।
- यदि किसी व्यक्ति के सप्तमेश के ऊपर से बृहस्पति का गोचर हो रहा होता है तो भी हमारे विवाह के योग बहुत अधिक बढ़ जाते हैं , इसके साथ ही हमें यह भी देखना होता है कि हमारी कुंडली मे महादशा,अंतर्दशा और प्रत्यंतर दशा किन ग्रहों की चल रही है ।
- यदि सप्तम भाव के मित्र ग्रह की महादशा हो और मित्र ग्रह की दृष्टि सप्तम भाव अथवा सप्तमेश के ऊपर हो तो भी विवाह की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है
- इसके साथ ही यदि सप्तमेश की महादशा या अंतर्दशा आ जाए तो भी विवाह के योग बढ़ जाते हैं।
निष्कर्ष :
कुंडली में विवाह योग शीघ्र उन्हीं लोगों के बन पाते हैं जिनकी कुंडली में सप्तमेश और शुक्र बलवान स्थिति में हो और भाव बल और षडबल की ठीक स्थिति हो ।
जब भी बृहस्पति निर्बल होता है और सप्तमेश पीड़ित होता है अथवा सप्तम भाव पर क्रूर और पापी ग्रहों का प्रभाव होता है तो उस स्थिति में हमें मित्रों का सहारा लेना चाहिए अथवा विधि विधान से ग्रहों से जुड़ी हुई पूजा करवानी चाहिए , इसके साथ ही संबंधित देवता के तीर्थ पर जाने से कुंडली मे विवाह के योग बनने लग जाते हैं।
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