Shadow

Padmanabhaswamy Temple’s 7 mysterious & supernatural doors पद्मनाभस्वामी मंदिर तिरुवनंतपुरम

अपने जानने वालों में ये पोस्ट शेयर करें ...

Padmanabhaswamy Temple’s 7 mysterious & supernatural doors पद्मनाभस्वामी मंदिर तिरुवनंतपुरम

Padmanabhaswamy Temple : temple of 7 mysterious & supernatural doors:पद्मनाभस्वामी मंदिर तिरुवनंतपुरम, भारत के दक्षिणी राज्य केरल के  तिरुअनन्तपुरम जनपद में शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजित भगवान् श्रीहरिविष्णु का  संसार भर में प्रसिद्ध भगवान् श्री विष्णु के अति पवित्र और सुविख्यात मंदिरों में से एक है , साथ ही केरल का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है |

यहाँ भगवान् विष्णु शेषनाग की शरीर रुपी शैया पर विश्राम अवस्था में है | शेषनाग को ही अनंत के नाम से भी जाना जाता है इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि तिरुअनंतपुरम का नाम ‘अनंत’  नामक शेषनाग के नाम पर ही रखा गया है।

अनेक तमिल संतो ने हिन्दू धर्मग्रंथो में दिव्य देसम का वर्णन किया है , दिव्य देसम भगवान् विष्णु के 108 अति पवित्र मंदिर है और उन्ही 108 मंदिरों में से एक है पद्मनाभस्वामी मंदिर तिरुवनंतपुरम जोकि संसार के सबसे धनी हिन्दू मंदिरों में से एक है |

पद्मनाभस्वामी मंदिर तिरुवनंतपुरम का रहस्य || padmanabhaswamy temple mystery

 

पद्मनाभस्वामी मंदिर में बने 7 द्वार और उन द्वारों के पीछे अथाह सम्पति एक ऐसा रहस्य है जिसे आजतक कोई नही सुलझा सका है | सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पद्मनाभस्वामी मंदिर के 6 द्वार खोले जा चुके है और द्वार खुलने पर लगभग 1 लाख बीस हज़ार करोड़ से भी अधिक की सम्पति मिल चुकी है , पद्मनाभस्वामी मंदिर का खजाना – सोने, हीरे और बहुमूल्य रत्नों से बने आभूषणों के रूप में मिला है जिसे मंदिर ट्रस्ट के पास रख दिया गया | मंदिर का सातवां द्वार अभी तक नही खुल सका है और ये कहा जाता है कि इस द्वार के भीतर पद्मनाभस्वामी मंदिर का खजाना संसार का सबसे बड़ा खज़ाना हो सकता है |

कुछ लोगो का ऐसा भी मानना है कि यदि भूल से भी मंदिर के सातवे द्वार को खोल दिया गया तो संसार में प्रलय आ जाएगी |

पद्मनाभस्वामी मंदिर तिरुवनंतपुरम का सातवाँ द्वार || padmanabhaswamy temple vault

 

padmanabhaswamy temple door

 

–> सबसे आश्चर्यजनक बात ये है कि मंदिर के सातवे द्वार पर न तो कोई ताला है और ना ही किसी जंजीर से ये बंद है | मंदिर के सातवे द्वार के दोनों किनारों पर सांपो की आकृति बनी हुई है और ऐसा कहा जाता है की मंदिर के सातवे द्वार के भीतर पड़े खजाने की रक्षा ये ही 2 सांप करते है |

–> पद्मनाभस्वामी मंदिर का रहस्य और तब बढ़ जाता है जब कहा जाता है की मंदिर का सातवाँ द्वार तब खुलेगा जब कोई सिद्ध योगी गरुण मंत्र शक्ति के जाप करेगा | क्योंकि यदि कोई अन्य ऐसा प्रयास करेगा और गरुण मंत्र का स्पष्ट उच्चारण नही कर सकेगा तो उसकी मृत्यु भी हो सकती है |

–> ऐसा माना जाता है कि इस खजाने की रक्षा नाग देवता स्वंम कर रहे है और इस बात पर विश्वास भी किया जा सकता है क्योंकि एमिली हैच जोकि एक इतिहासकार थीं और साथ ही एक पर्यटक भी थीं, ने अपनी पर्यटन पुस्तक  Travancore: A guide book for the visitor में लिखा है कि वर्ष 1931 में पद्मनाभस्वामी मंदिर के द्वार खोलने का प्रयास किया गया था किन्तु न जाने कहाँ से हज़ारों की संख्या में नाग आ गये और मंदिर के द्वार नही खोले जा सके |

–> पद्मनाभस्वामी ( भगवान् विष्णु ) के भक्तों में से कुछ का का ऐसा भी मानना है कि न्यायधीश टी.पी.सुन्दर राजन जिन्होंने पद्मनाभस्वामी मंदिर के द्वार खोलने का निर्देश दिया था, की अकस्मात् मृत्यु पद्मनाभस्वामी ( भगवान् विष्णु ) के रक्षक नाग देवता के कोप के कारण हुई थी |

पद्मनाभस्वामी मंदिर का इतिहास || Padmanabhaswamy Temple History 

 

कुछ इतिहासकारों के अनुसार पद्मनाभस्वामी मंदिर का इतिहास लगभग 5000 वर्ष पुराना है ऐसी मान्यता है की कलयुग के प्रारंभ दिवस यानि कलियुग के पहले दिन पद्मनाभस्वामी मंदिर का निर्माण हुआ था , वर्तमान मंदिर को त्रावणकोर के प्रसिद्ध महाराजा मार्तंड वर्मा ने द्रविड़ एवं केरल शैली को सयुंक्त रूप से प्रयोग करते हुए  1733 ई बनवाया था|

मंदिर का गोपुरम ( द्वार ) द्रविड़ शैली में बने हुए है जिनपर अनेक प्रकार की आकर्षक कलाकृतियाँ बनी हुई हैं | पद्मनाभस्वामी मंदिर विस्तृत क्षेत्र में बना हुआ है और मंदिर के निकट  ‘पद्मतीर्थ कुलम’ नाम का एक सरोवर भी है|

वर्ष 1750 में महाराज मार्तंड वर्मा ने स्वमं को भगवान् विष्णु का दास घोषित कर दिया और स्वंम को और अपने परिवार को भी पद्मनाभस्वामी मंदिर की सेवा में समर्पित कर दिया| तब से लेकर आजतक इस राजघराने के सदस्यों के नाम में सबसे पहले पद्मनाभ दास जुड़ा होता है | वर्तमान में भी पद्मनाभस्वामी मंदिर की देखरेख महाराज मार्तंड वर्मा के परिवार यानि त्रावणकोर के राजघराने के अधीन एक ट्रस्ट के द्वारा की जाती है |

पद्मनाभस्वामी मंदिर में प्रवेश के नियम padmanabhaswamy temple rules

 

पद्मनाभस्वामी मंदिर में मात्र हिन्दू धर्म के अनुयायी ही प्रवेश कर सकते है | मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुष श्रद्धालुओं को धोती पहनना और महिलाओं को साड़ी पहनना आवश्यक है |

पद्मनाभस्वामी मंदिर में दर्शन का समय || padmanabhaswamy temple timings

(Padmanabhaswamy Temple Darshan Timing In Hindi)

*****************************************

Click here for going Official website of padmanabhaswamy temple

*****************************************

Click Here for Darshan Online Booking 

*****************************************

प्रातःकालीन पूजा  समय

प्रातः 03:30 बजे से 04:45 बजे – इसे निर्मल्य दर्शनम कहते हैं (nirmalya darshan in padmanabhaswamy temple)

प्रातः 06:30 बजे से 07:00 बजे तक

प्रातः 8.30 बजे से 10:00 बजे तक

प्रातः 10:30 बजे से 11:10 बजे तक

और 11:45 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक

संध्याकालीन पूजा समय

सायं 05:00 बजे से 06:15 बजे तक

और 06:45 बजे से 07:20  बजे तक

(वार्षिक पर्व व आयोजनों पर दर्शन समय परिवर्तित हो सकता है |)

padmanabhaswamy temple

पद्मनाभस्वामी मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय  

(Best Time To Visit Padmanabhaswamy Temple In Hindi)

पद्मनाभस्वामी मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय  सर्दियों का मौसम होता है | चूँकि पद्मनाभस्वामी मंदिर दक्षिण भारत में स्थित है। जहाँ ग्रीष्मकाल में अत्यधिक गर्मी पड़ती इसलिए यहाँ तीर्थ या पर्यटन के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी का समय माना जाता है| सर्दियों का मौसम बहुत ही मनभावन होता है और इस समय श्रदालुओं की संख्या भी अधिक होती है |

मंदिर में हर वर्ष ही दो महत्वपूर्ण उत्सवों का आयोजन किया जाता है जिनमें से एक मार्च एवं अप्रैल माह में और दूसरा अक्टूबर एवं नवंबर के महीने में मनाया जाता है। मंदिर के वार्षिकोत्सवों में लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेने के लिए आते हैं तथा प्रभु पद्मनाभस्वामी से सुख-शांति की कामना करते हैं।

ये भी पढे : रामेश्वरम-प्रभु राम द्वारा स्थापित rameshwaram jyotirlinga know about a2z

कैसे पहुंचे पद्मनाभस्वामी मंदिर

How to reach Padmanabhaswamy Temple

पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम में स्थित है जोकि भारत के सभी प्रमुख नगरों से वायुमार्ग , रेलमार्ग  और सड़कमार्ग से भलीभांति जुड़ा हुआ है इसलिए पद्मनाभस्वामी मंदिर बहुत ही सरलता से पहुंचा जा सकता है |

वायुमार्ग से कैसे पहुचे पद्मनाभस्वामी मंदिर || How to reach Padmanabhaswamy Temple by flight 

देश के अन्य प्रमुख नगरों से तिरुवनंतपुरम के लिए नियमित उड़ानें हैं। पद्मनाभस्वामी मंदिर  का निकटतम एयरपोर्ट – तिरुवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट (TRV) ये पद्मनाभस्वामी मंदिर से लगभग 6 कि.मी. दूर है ।

रेलमार्ग से कैसे पहुचे पद्मनाभस्वामी मंदिर || How to reach Padmanabhaswamy Temple by train

तिरुवनंतपुरम नियमित ट्रेनों के माध्यम से देश के अन्य प्रमुख नगरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।पद्मनाभस्वामी मंदिर का निकटतम रेल्वे स्टेशन – तिरुवनंतपुरम सेंट्रल (station code – TVC) जोकि पद्मनाभस्वामी मंदिर से लगभग 1 किमी. दूर है । पद्मनाभस्वामी मंदिर जाने के लिए इन रेलवे स्टेशनों  पर भी उतरा जा सकता है – वर्कला शिवगिरी (station code -VAK), त्रिवेंद्रम कोचुवेली (station code -KCVL), तिरुवनंतपुरम पेटा (station code -TVP), काज़क्कुट्टम (station code -KZK), त्रिवेंद्रम वेलि (station code -VELI)

सड़कमार्ग से कैसे पहुचे पद्मनाभस्वामी मंदिर || How to reach Padmanabhaswamy Temple by road 

आप देश के अन्य प्रमुख नगरों से तिरुवनंतपुरम के लिए सुगमता से नियमित सरकारी और प्राइवेट बसें प्राप्त कर सकते हैं।पद्मनाभस्वामी मंदिर का निकटतम बस स्टैंड – तिरुवनंतपुरम बस स्टैंड हैं | यहाँ आपको केरला राज्य बस सेवा की बसे भी मिल जाएंगी जिसकी official website का लिंक ये है : केरला राज्य परिवहन निगम 

ये भी पढे : vindhyanchal temple : माँ विंध्यवासिनी की a 2 z information

अपना ज्योतिषीय ज्ञान वर्धन के लिए हमारे facebook ज्योतिष ग्रुप के साथ जुड़े , नीचे दिए link पर click करें

श्री गणेश ज्योतिष समाधान 

टेक्नोलॉजिकल ज्ञान  :  computer समझने और पढ़ने के लिए यहा click करें : computer

अपने जानने वालों में ये पोस्ट शेयर करें ...

Leave a Reply

error: Content is protected !!