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Sabrimala temple-Ayyappa Bhagwan-5 interesting facts
सबरीमाला मंदिर-अयप्पा भगवान-5 रोचक तथ्य
Sabrimala temple-सबरीमाला मंदिर ,भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है । ये मंदिर केरल के पेरियार राष्ट्रीय उद्यान में स्थित एक विश्व प्रसिद्ध हिन्दू मन्दिर है। सबरीमाला मंदिर केरल राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम से लगभग 175 किमी दूर पंपा नामक स्थान से 5 किमी के पैदल रास्ते दूर सह्याद्रि पर्वतमाला से घिरे हुए जनपद पथनाथिटा में समुद्रतल से लगभग 914 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
सबरीमाला पर्वत का नाम शबरी के नाम पर पड़ा है। ये वो ही शबरी हैं जिनके जूठे फल भगवान राम ने खाये थे और यहाँ भगवान राम ने शबरी को नवधा-भक्ति का उपदेश भी दिया था।
शबरी पर्वत पर घने वन हैं। सबरीमाला मंदिर में आने से पूर्व भगवान अयप्पा के भक्तों को 41 दिनों का कठिन व्रत और अनुष्ठान करना होता है जिसे 41 दिन का ‘मण्डलम्’ कहते हैं। यहाँ आप पूरे वर्ष में मात्र 3 बार ही जा सकते हो पहली बार मकर संक्रांति में, दूसरी बार अप्रैल के मघ्य में और अंतिम और तीसरी बार मार्गशीर्ष में जिसे स्थानीय भाषा मे क्रमश : मलरविलक्कु ,विषु , मण्डलपूजा कहा जाता है ।
जिसमे नवम्बर से जनवरी तक अयप्पा भगवान के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ आती है
Who is Ayyappa Bhagwan ?
कौन है भगवान अयप्पा ?
कहते है जब समुद्र मन्थन के बाद अमृत उत्पन्न हुआ तो प्रभु विष्णु ने दैत्यों से अमृत को बचाने के लिए मोहनी का रूप धारण कर लिया और इस रूप प्रबल आकर्षण से आकर्षित होकर भगवान शिव का वीर्य स्खलित हो गया जिससे सस्तव नामक पुत्र का जन्म का हुआ जिन्हें दक्षिण भारत में अयप्पा कहा गया और इस प्रकार भगवान अयप्पा के पिता शिव माने गए और माता मोहिनी को माना जाता है इसीलिए सबरीमला मंदिर को शैव भक्तो और वैष्णवों भक्तों के बीच की अद्भुत कड़ी माना जाता है।
भगवान अयप्पा को मणिकांता, शास्ता, अयप्पन आदि नामों से भी जाना जाता है। भगवान अयप्पा के दक्षिण भारत में अनेक मंदिर हैं जिनमे सबसे प्रमुख मंदिर है सबरीमाला मंदिर – Sabrimala temple
अय्यप्पा के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि उनके माता-पिता ने उनकी गर्दन के चारों ओर एक घंटी बांधकर पंपा नदी के तट पर छोड़ दिया था। तब पंडालम के राजा राजशेखर ने भगवान अय्यप्पा को पुत्र के रूप में पाला। किन्तु भगवान अय्यप्पा को ये राजमहल का जीवन अच्छा नहीं लगता था, उन्हे संसारिक जीवन से वैराग्य हो गया और वे महल छोड़कर चले गए।
आज भी प्रतिवर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर पंडालम राजमहल से अय्यप्पा के आभूषणों को संदूकों में रखकर एक भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है। जो 90 किलोमीटर चलकर 3 दिन में सबरीमाला पहुंचती है जिस दिन ये शोभायात्रा यहाँ पहुँचती है उस दिन यहां पर्वत की कांतामाला चोटी पर दिव्य चमक वाली ज्योति प्रकट होती है।
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सबरीमाला मंदिर के सम्पूर्ण प्रबंधन का कार्य त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड देखता है। ये बोर्ड तीर्थयात्रियों की सुरक्षा पर पूरा ध्यान देता है और तीर्थयात्रियों का निःशुल्क दुर्घटना बीमा भी करता है जिसमे यदि किसी तीर्थयात्री की मृत्यु हो जाती है तो उस तीर्थयात्री के परिजनों को एक लाख रुपये तक दिए जाते हैं। इसके अतिरिक्त त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड के साथ कोई दुर्घटना होती है तो उन्हें बोर्ड उन्हें 1.5 लाख रुपये तक देता है।
5 interesting facts related to Sabarimala temple
सबरीमाला मंदिर से जुड़े 5 रोचक तथ्य
- 18 पवित्र सीढ़ियाँ : इस इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 18 पवित्र सीढ़ियों से होकर जाना पड़ता है जिनमे से पहली 5 सीढ़ियों का अर्थ मनुष्य की पांच इन्द्रियों से है और उसके बाद आने वाली 8 सीढ़ियों का अर्थ मनुष्य की मानवीय भावनाओं से है और उसके बाद आने वाली अगली 3 सीढ़ियों का अर्थ मनुष्य के मानवीय गुणों से है और अंतिम 2 सीढ़ियों का अर्थ मनुष्य के ज्ञान और अज्ञान से है
- सबरीमाला मंदिर -Sabrimala temple में सैकड़ो वर्षो से महिलाओं का जाना वर्जित है, 15 वर्ष बड़ी आयु की से कन्याएँ और 50 वर्ष से कम आयु की महिलाएं इस मंदिर में नहीं जा सकतीं हैं ,हाँ छोटी कन्याओं जो रजस्वला न हुई हों और वृद्ध महिलाओं को प्रवेश दिया जाता है । ऐसा इसलिए है क्योंकि मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे ।
- शिवजी के पुत्र अयप्पा स्वामी के दर्शन करने संसार भर से भक्त आते हैं , मंदिर के निकट मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में यहाँ एक ज्योति दिखती है जिसके दर्शन के लिए करोड़ों श्रद्धालु प्रतिवर्ष आते हैं। जब-जब ये प्रकाश दिखाई देता है तो भक्त प्रसनता से चिल्लाते है। भक्त मानते हैं कि ये देव ज्योति है और भगवान इसे जलाते हैं।
- यहाँ उत्सव के समय मंत्रों का जोर-जोर से उच्चारण करते हुए भगवान अयप्पन का घी से अभिषेक किया जाता है। सबरीमाला मंदिर परिसर के एक कोने में सजे-धजे हाथी खड़े रहते हैं। भगवान अयप्पन की पूजा सम्पन्न होने पर चावल, गुड़ और घी से बना प्रसाद जिसे ‘अरावणा’ कहते है ,वितरित किया जाता है ।
- सबरीमाला मंदिर में श्रद्धालु सिर पर नैवेद्य (भगवान को चढ़ाई जानी वाली चीज़ें, जिन्हें प्रसाद के तौर पर पुजारी घर ले जाने को देते हैं) से भरी पोटली रखकर पहुंचते हैं। ऐसा माना जाता है कि व्रत रखकर और सिर पर नैवेद्य की पोटली रखकर और जो भी व्यक्ति भगवान अयप्पा की पास आता है देर सबेर उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
how to reach Sabrimala temple ?
सबरीमाला मंदिर कैसे पहुंचें मंदिर?
वायुयान से सबरीमाला मंदिर कैसे पहुंचें मंदिर
how to reach Sabrimala temple by flight
सबरीमाला मंदिर से निकटतम Airport 104 किमी दूर Cochin है जोकि international airport है , Cochin International Airport (IATA: COK, ICAO: VOCI) के हेलीपैड से निलक्कल हेलीपैड तक एक हेलीकाप्टर सेवा भी है। भारत के प्रमुख नगरों से Cochin International Airport के लिए वायुयान सेवा उपलब्ध है ।
रेल मार्ग से सबरीमाला मंदिर कैसे पहुंचें मंदिर
how to reach Sabrimala temple by train
सबरीमाला मंदिर के बिलकुल पास कोई भी railway station नहीं है । Kottayam, Thiruvalla और Chenganur railway stations को सबरीमाला मंदिर के निकट के railway station माना जा सकता है लेकिन ये भी सबरीमाला मंदिर से लगभग 90 kilometres दूर स्थित है, Chenganur railway stations से आप रोड से सबरीमाला मंदिर तक जा सकते हैं
सड़क मार्ग से सबरीमाला मंदिर कैसे पहुंचें मंदिर
how to reach Sabrimala temple by road
सबरीमाला मंदिर के निकट तक आप KSRTC की बस से आ सकते है , जिसके बाद भक्तों को पैदल ही चलना पड़ता है। समान्यतः यात्रियों को जिस स्थान पर बस छोड़ती है वहाँ से तीर्थयात्री सबरीमाला की यात्रा पैदल ही करते हैं।
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