mangal chandika stotra श्रीमंगल चंडिका स्त्रोत के लाभ

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mangal chandika stotra श्रीमंगल चंडिका स्त्रोत के लाभ

mangal chandika stotra : श्रीमंगल चंडिका स्त्रोत के लाभ यदि आप पाना चाहते तो स्तोत्र का पाठ मंगलवार दिन से आरंभ करें , श्री मंगल चंडिका स्तोत्रम् का वर्णन ब्रह्मवार्ता पुराण में मिलता है , ये अत्यंत चमत्कारिक है , श्री मंगल चंडिका स्तोत्रम् संस्कृत भाषा में लिखा है . मंगल चंडिका स्तोत्रम् का जाप करने से सभी इच्छाये पूरी हो जाती हैं  श्री मंगल चंडिका स्तोत्रम् का जो व्यक्ति नियमित रूप से जाप करता हैं उसे धन, व्यापार, गृह-कलेश आदि समस्या नही होती है ! जिस भी जातक का विवाह में कठिनाई आ रही हो तो उसे श्री मंगल चंडिका स्तोत्रम् का नियमित जाप करना चाहिए इससे उसके विवाह में आ रही कठिनाई दूर हो जाती हैं

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श्री मंगल चंडिका स्तोत्रम्

*।। श्री मंगलचंडिकास्तोत्रम् ।।*

** ध्यान **

“ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वपूज्ये देवी मङ्गलचण्डिके –> |

ऐं क्रूं फट् स्वाहेत्येवं चाप्येकविन्शाक्षरो मनुः –> ||

पूज्यः कल्पतरुश्चैव भक्तानां सर्वकामदः –> |

दशलक्षजपेनैव मन्त्रसिद्धिर्भवेन्नृणाम् –> ||

मन्त्रसिद्धिर्भवेद् यस्य स विष्णुः सर्वकामदः –> |

ध्यानं च श्रूयतां ब्रह्मन् वेदोक्तं सर्व सम्मतम् –> ||

देवीं षोडशवर्षीयां शश्वत्सुस्थिरयौवनाम् –> |

सर्वरूपगुणाढ्यां च कोमलाङ्गीं मनोहराम् –> ||

श्वेतचम्पकवर्णाभां चन्द्रकोटिसमप्रभाम् –> |

वन्हिशुद्धांशुकाधानां रत्नभूषणभूषिताम् –> ||

बिभ्रतीं कबरीभारं मल्लिकामाल्यभूषितम् –> |

बिम्बोष्टिं सुदतीं शुद्धां शरत्पद्मनिभाननाम् –> ||

ईषद्धास्यप्रसन्नास्यां सुनीलोल्पललोचनाम् –> |

जगद्धात्रीं च दात्रीं च सर्वेभ्यः सर्वसंपदाम् –> ||

संसारसागरे घोरे पोतरुपां वरां भजे –> ||

देव्याश्च ध्यानमित्येवं स्तवनं श्रूयतां मुने –> |

प्रयतः संकटग्रस्तो येन तुष्टाव शंकरः –> ||

*|| शंकर उवाच ||*

रक्ष रक्ष जगन्मातर्देवि मङ्गलचण्डिके –> |

हारिके विपदां राशेर्हर्षमङ्गलकारिके –> ||

हर्षमङ्गलदक्षे च हर्षमङ्गलचण्डिके –> |

शुभे मङ्गलदक्षे च शुभमङ्गलचण्डिके –> ||

मङ्गले मङ्गलार्हे च सर्व मङ्गलमङ्गले –> |

सतां मन्गलदे देवि सर्वेषां मन्गलालये –> ||

पूज्या मङ्गलवारे च मङ्गलाभीष्टदैवते –> |

पूज्ये मङ्गलभूपस्य मनुवंशस्य संततम् –> ||

मङ्गलाधिष्टातृदेवि मङ्गलानां च मङ्गले –> |

संसार मङ्गलाधारे मोक्षमङ्गलदायिनि –> ||

सारे च मङ्गलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम् –> |

प्रतिमङ्गलवारे च पूज्ये च मङ्गलप्रदे –> ||

स्तोत्रेणानेन शम्भुश्च स्तुत्वा मङ्गलचण्डिकाम् –> |

प्रतिमङ्गलवारे च पूजां कृत्वा गतः शिवः –> ||

देव्याश्च मङ्गलस्तोत्रं यः श्रुणोति समाहितः –> |

तन्मङ्गलं भवेच्छश्वन्न भवेत् तदमङ्गलम् .

* इति श्री ब्रह्मवैवर्ते श्री मंगल चंडिका स्तोत्रम् संपूर्णम्  *

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image source : youtube 

 

निष्कर्ष :

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