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peepal tree vastu:पीपल दूर करता है विवाह बाधा,ग्रह दोष और पीड़ा, कैसे करें पीपल की पूजा
peepal tree vastu:पीपल को हिन्दू धर्म में बहुत ही शुभ वृक्ष माना गया है। जब हम पीपल की पूजा करते हैं तो उसके हमे बहुत ही चमत्कारी परिणाम मिलते हैं और ऐसा शास्त्रों में भी बताया गया है। शनिवार के दिन पीपल की पूजा विशेष रूप से करने से हम सब के संकट दूर होते हैं और जीवन मे धन, समृद्धि, यश, कीर्ति आदि की प्राप्ति होने लगती है।
पीपल के पेड़ का महत्व सनातन धर्म में अत्यधिक है क्योंकि पीपल की पूजा भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और विवाह बाधा दूर करने में सहायक है. भगवान श्रीकृष्ण ने भगवद गीता में स्वयं कहा है, वृक्षों में मैं पीपल हूं.
लोगों का मानना है कि पीपल के वृक्ष में शनिदेव का वास होता है इसीलिए पीपल की पूजा को शनिदेव के दोषों को दूर करने वाला माना गया है ।
इन्ही सब महत्वों के कारण है पीपल का स्थान पूजनीय वृक्षों में सर्वोच्च है. पीपल की पूजा न मात्र देवताओं को प्रसन्न करने के लिए की जाती है, बल्कि ग्रह नक्षत्रों के दोष भी इस पूजा को करने से शांत हो जाते हैं
कैसे पीपल दूर करता है विवाह बाधा
यदि किसी का विवाह न हो पा रहा हो तो उसे पीपल के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाना चाहिए , इस उपाय से विवाह योग बनता है. विवाह मे विलंब दूर होने लगता है , भारतीय संस्कृति में सृष्टि की प्रत्य़ेक वस्तु में देवी देवताओं का वास माना गया है. इसलिए इनके पूजन से सभी प्रकार के दोष शांत होने लगते हैं
कैसे पीपल दूर करता है ग्रह दोष और पीड़ा
ग्रह के द्वारा उत्पन्न पीड़ाओं को दूर करने में पीपल के जैसा कोई अन्य वृक्ष नहीं है. क्योंकि ये सभी दोषों को दूर करने और सभी विपरीत दशाओं को अनुकूल बनाने की क्षमता रखता है. वैज्ञानिक दृष्टि से पीपल का पेड़ चौबीस घंटे ऑक्सीजन छोड़ने वाला पेड़ है.
ऐसा माना गया है कि पीपल के वृक्ष के जड़ में लगातार 43 दिन तक जल डालने और दीपक जलाने से विवाह के शीघ्र तय होने के योग बनते हैं.
पीपल की पूजा निरंतर करने और परिक्रमा करते हुए जल चढ़ाने से संतान की शीघ्र ही प्राप्ति होती है और अतृप्त आत्माएँ प्रसन्न हो जाती हैंं. पीपल पर ही पितरों का वास माना गया है. किसी मनोकामना की पूर्ति के लिए भी इसके चारों ओर कच्चा सूत लपेटते हुए परिक्रमा करने की प्रथा है.
इस दिन न चढ़ाये पीपल को जल peepal tree vastu
पीपल के पेड़ पर रविवार के दिन जल चढ़ाना मना है। यदि कोई ऐसा करता है तो उसके जीवन में दरिद्रता आ जाती है। पीपल के पेड़ पर रविवार के दिन कभी भी जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
इसी कारण वश ऐसा कहा गया है कि पीपल के पूरे पेड़ की पूजा होनी चाहिए, विधि-विधान और नियम पूर्वक पीपल की पूजा करने से मन की सारी इच्छाएं पूरी होती हैं। जो भी इन नियमों के तहत पीपल की पूजा नहीं करता है उसे जीवन भर कष्ट ही भोगना पड़ता है।
पीपल वृक्ष की शनिवार के दिन विशेष पूजा करने से या पीपल में जल देने के पीछे ये मान्यता है कि शनिदेव प्रसन्न होते हैं और शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। व्यक्ति के सभी संकट दूर होने के साथ धन, समृद्धि, यश, कीर्ति आदि की भी प्राप्ति भी होने लगती है।
पीपल के पेड़ के नीचे हनुमान चालीसा का पाठ
पीपल के पेड़ के नीचे हनुमान चालीसा का पाठ करने से बहुत लाभ मिलता है विशेषकर अमावस्या और शनिवार को रात के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से मनुष्य के जीवन से दुख दूर होने लगते हैं और खुशियां आने लगती हैं ।
यदि कोई प्रतिदिन या मात्र शनिवार के दिन पीपल वृक्ष का पूजन करता है तो उसके पूर्वज अर्थात पित्र प्रसन्न होते है और तृप्त होकर हमारी सभी मनोकामनाएं पूरी होने का आशीर्वाद देते हैं।
कैसे करें पीपल की पूजा
अथर्ववेद और छान्दोग्योपनिषद् में पीपल के पेड़ के नीचे देवताओं का स्वर्ग बताया गया है। अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रतिदिन या मात्र शनिवार के दिन सूर्योदय से पूर्व और सूर्यास्त के ठीक बाद दोनों ही समय पीपल के वृक्ष के पास जाकर पहले सरसों के तेल का एक दीपक व सुंगंधित धुप जलावें,
उसके बाद हल्दी, कुमकुम, चावल, पुष्प से पूजन कर एक लोटा चीनी मिला जल चढ़ावें।
जल चढ़ाने के बाद थोड़ा सा चीनी या गुड़ का प्रसाद पीपल के पेड़ को चढ़ा दें। अब पीपल के पेड़ की 5 या 11 परिक्रमा करें , ऐसा करने से भगवान विष्णु और पित्रों का आशीर्वाद प्राप्त होता है
हिन्दू धर्म में पीपल का पेड़ बहुत अधिक पूजनीय माना गया है, इस पेड़ पर देवताओं का वास माना गया है। पीपल को विश्ववृक्ष, या चैत्य वृक्ष भी कहा जाता है। श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि ‘वृक्षों में मैं पीपल हूं’।
हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार पीपल की जड़ में ब्रह्मा, तने या मध्य भाग में भगवान विष्णु और पीपल के अग्र भाग में भगवान शिव वास करते हैं।
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