Shadow

क्या होता है पिशाच योग (pishach yoga)-कुंडली मे 12 भावों मे प्रेत श्राप योग-दोष और बचने के उपाय evil spirit solution

अपने जानने वालों में ये पोस्ट शेयर करें ...

क्या होता है पिशाच योग (pishach yoga)-कुंडली मे 12 भावों मे प्रेत श्राप योग-दोष और बचने के उपाय evil spirit solution

क्या होता है पिशाच योग (pishach yoga)-प्रेत श्राप योग : शनि और राहु को पाप ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है और जब यह दोनों ग्रह आपस में दृष्टि सबंध या युति संबंध बनाते हैं तो हमारे जीवन मे एक नकारात्मकता उत्पन्न होती है जो हमारे जीवन मे और हमसे जुड़े अन्य लोगों के जीवन मे विष घोल देती है

कुंडली मे शनि और राहु दोनों ग्रह आपस में दृष्टि सबंध या युति संबंध बनाते हैं तो पिशाच नामक योग बनता है इसी योग को प्रेत श्राप योग भी कहते हैं

शनि-केतु की युति होने पर भी प्रेत शाप योग या पिशाच योग बनता है ।

जब राहु या केतु दूसरे या चौथे भाव से संबंध बना लेते है ये प्रेत श्राप योग  बनता है। कुंडली मे बना हुआ यह योग स्थायी पिशाच योग होता है

जबकि ग्रह गोचर और अंतरदशा मे भी ये योग बनता है जो अस्थायी पिशाच योग या प्रेत श्राप योग होता है

आइये जानते हैं

क्या होता है पिशाच योग (pishach yoga)-प्रेत श्राप योग

शनि व राहु दोनों ही रात्रि बली होते हैं – जहाँ शनि बीता हुआ समय है अर्थात भूतकाल है वही राहु रहस्य है एक माया, छल ,धोखा या जादू है

ऐसे मे जब भी शनि और राहु के बीच दृष्टि – युति आदि का संबंध बनता है तो एक नकारात्मक उत्पन्न होती है जिसे बृहत् पाराशर होरा शास्त्रम् में “पिशाच योग” कहा गया है।

  1. शनि व राहु एक साथ युति कर के किसी भी भाव में स्थित हों। विशेष रूप से 2nd या 4th भाव मे
  2. शनि व राहु एक दूसरे को विशेष रूप से 2nd या 4th भाव मे परस्पर देखतें हों।
  3. शनि की राहु पर तीसरी या दसवी या राहु की शनि पर 5वी , 7वी , 9वी दृष्टि हो।
  4. गोचर मे जब शनि जन्म के राहु या राहु जन्म के शनि पर से गुजर रहा हो या दृष्टि संबंध बना रहा हो ।

ये भी पढे : भूतों ने 1 रात में बना डाला ये मंदिर bhooton ka mandir

पिशाच योग (pishach yoga) का फल / पिशाच योग (pishach yoga) से हानि

जिस भाव में पिशाच योग या प्रेत श्राप योग बनता है उस भाव के फल नष्ट हो जाते हैं और उस व्यक्ति को जीवन मे संघर्ष करना पड़ता है , उसके जीवन में ऐसी घटनाए घटती है जिनके विषय मे उसने कभी सोचा ही नहीं होता है । इस योग के कारण जीवन मे एक के बाद एक कठिनाइयां आने लगती हैं।

कुंडली के विभिन्न भावों के अनुसार शनि राहु युति के फल

–> यदि लग्न में शनि व राहु की युति पिशाच योग (pishach yoga) हो तो ऐसे व्यक्ति के ऊपर तांत्रिक क्रियाओं का अधिक प्रभाव रहता है और ये लोग सर्वदा चिंतित रहते हैं, इनके मस्तिष्क में नकारात्मक विचार घुमते रहते हैं , ऐसे व्यक्तियों को कोई न कोई रोग निरंतर बना रहता है ।

–> यदि कुंडली के द्वितीय भाव में शनि व राहु की युति (पिशाच योग-pishach yoga)हो तो व्यक्ति के घर वाले ही उसके शत्रु बन जाते हैं, जीवन के सभी कार्य में बाधाओं का सामना करना पड़ता है और इनके बोलने की भाषा अर्थात वाणी में कुछ दोष रहता है , ये लोग धन संचय नही कर पाते है ,जुए-सट्टे कार्यों में धन बर्बाद होता ही रहता है, ऐसे लोगों को नशीले पदार्थों या तामसिक पदार्थों का सेवन नही करना चाहिए ।

–> यदि तृतीय भाव में शनि व राहु की युति हो तो ऐसे व्यक्तियों का छोटा भाई नही होता या छोटे भाई किसी न किसी प्रकार की समस्या से पीड़ित रहता है . ऐसे व्यक्ति अधिकतर भ्रमित रहते हैं तृतीय भाव का (पिशाच योग-pishach yoga) पराक्रम की हानि भी करता है

–>यदि चतुर्थ भाव में शनि व राहु की युति हो तो ऐसे व्यक्ति को माता का पूर्ण सुख नही मिल पाता और इनके घर में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव रहता है, 4th भाव के कारण भूमि, मकान, माता, वाहन सुख  की भी कमी हो जाती है  का भाव होता है व अतः ऐसी स्थिति में व्यक्तियों को

प्रायः ऐसे व्यक्तियों के घर में वास्तु दोष अवश्य होता है साथ ही ऐसे व्यक्तियों को आवास (मकान) का सुख भी कम ही मिलता क्योंकि शनि निर्माण का कारक होता है , ऐसे में जब भी किसी मकान का निर्माण आरंभ करवाते है तो परिवार में रोग, कलेश ,व्याधि व पीड़ा होने लगती है और  अनेक प्रकार के कष्ट सहने पड़ते हैं ।

–> यदि कुंडली के पंचम भाव में शनि व राहु की युति (पिशाच योग-pishach yoga) हो तो व्यक्ति के मस्तिष्क में नकारात्मक विचार आते रहते हैं साथ ही ऐसे व्यक्तियों की शिक्षा भी कठिन परिस्थितियों से होते हए पूर्ण होती है व बड़े भाई बहन को किसी प्रकार का कष्ट रहता है तथा ऐसे व्यक्तियों की संतान को कष्ट रहता है और

–>  यदि 5 th  भाव के स्वामी पर भी शनि या राहु की या दोनों की दृष्टि हो या इस भाव में युति हो तो ऐसे व्यक्तियों को संतान प्राप्त  नही होती  है या होकर मर जाती है

–>यदि 6th भाव में शनि व राहु की युति हो तो ऐसे व्यक्तियों के छुपे हुए शत्रु बहुत होते हैं क्योंकि  6th भाव से शत्रु , रोग, और ऋण  आदि देखा जाता है अतः ऐसे व्यक्तियों ऐसे रोग लग जाते हैं जिनके कारण सरलता से पता नही चलते हैं , ये लोग जुए , सट्टे , नशे  आदि से भी अपना धन नष्ट करते हैं और ऐसे लोगों की ननिहाल लड़ाई झगडे वाली या विवादित कामों से जुडी होती है ।

pitru amavasya 2021

ये भी पढे : पितृ दोष pitra dosh – Signs and easy remedies

–>यदि सप्तम भाव में शनि व राहु की युति हो तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है क्योंकि सप्तम भाव से व्यापार , रोजगार, जीवनसाथी, वैवाहिक जीवन , मित्रता ,  पार्टनरशिप आदि का विचार किया है अतः इस भाव में शनि व राहु की युति होने पर व्यक्ति को अपने मित्रों व पार्टनर आदि धोखा मिलने की संभावना रहती है , ऐसे में जीवनसाथी भी धोखा दे देता है या वैवाहिक जीवन में किसी दूसरे व्यक्ति के कारण कलेश बना रहता है

ऐसे व्यक्तियों को किसी महिला के कारण से अपमानजनक स्थिति का सामना करना पड़ सकता है या महिलाओं के द्वारा हानि या कष्ट सहने पड़ते है और व्यापार आदि में अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करते हुए धैर्य व संयम रखते से लाभ होता है।

–> कुंडली के अष्टम भाव से किसी व्यक्ति की शोध ( research ) करने की प्रवृति , उसकी ससुराल, आयु, मृत्यु, गूढ़ विद्या, जीवनसाथी की वाणी , पुरातत्व, रहस्मई कार्य , शरीर में गुदा आदि का विचार किया जाता है अतः ऐसे स्थिति में अष्टम भाव में यदि शनि व राहु की युति हो तो व्यक्ति के दाम्पत्य जीवन में कलह की स्थितियाँ प्रायः बनी रहती है क्योंकि जीवनसाथी की बोली या वाणी कठोर होती है ,

यदि सप्तमेश अर्थात सप्तम भाव का स्वामी भी इनसे संबंध बनाता हो या त्रिक भाव ( 6,8,12 ) में बैठा हो तो ऐसी स्थिति में दाम्पत्य जीवन को बचाना और भी कठिन हो जाता है,ऐसे व्यक्तियों के अनैतिक संबंध बनने की भी संभावना रहती है। ऐसे लोगों में बवासीर का रोग, उदर व मूत्र विकार भी देखा गया है

–>नवम भाव भाग्य ,पिता , धर्म आदि का है , यदि नवम भाव में शनि व राहु की युति हो तो ऐसा व्यक्ति धर्म के विपरीत आचरण करने वाला होता है , ऐसे लोगो की पिता से अनबन रहने की या दूर जाने की भी सम्भावना बनती है, ये स्थिति ये भी बताती है कि ऐसे व्यक्तियों के पिता को भी किसी प्रकार का कष्ट रहा है या पिता ने  संघर्ष किया है , ऐसे लोगो को कड़े संघर्ष उपरांत सफलता प्राप्त होती है।

–>यदि कुंडली के दशम भाव में शनि व राहु की युति (पिशाच योग-pishach yoga) हो तो व्यक्ति के माता-पिता को कष्ट रहता है , आवास और घरेलू सुख में कुछ कमी रहती है , ऐसे व्यक्तियों के कार्यक्षेत्र में निरंतर उतार-चढ़ाव आते हैं

–> कुंडली के एकादश भाव को लाभ भाव भी कहा जाता है ज्योतिष का एक सर्वमान्य नियम है कि एकादश भाव में क्रूर से क्रूर ग्रह भी शुभ फल प्रदान करते है क्योंकि एकादश भाव को ही लाभ भाव कहते  है

इस स्थिति में यदि शनि व राहु की युति एकादश भाव में हो तो व्यक्ति को जुए-सट्टे व किसी गलत कार्य द्वारा धन की प्राप्ति होती है

ऐसे व्यक्तियों के भाई-बहन को कष्ट रहता है या ऐसे व्यक्तियों को संतान का सुख की कमी देखि गयी है ।

–>यदि कुंडली के 12 भाव में शनि व राहु की युति हो तो व्यक्ति के आयु से बड़े लोगो और निकृष्ट लोगों से अनैतिक संबंध बनने की अधिक संभावना रहती है , ऐसे व्यक्तियों को जीवन में शैय्या सुख की कम ही प्राप्ति होती है या होती है तो अनैतिक रूप से होती है , ऐसे लोग असाध्य रोगों से पीड़त भी देखे गए हैं ।

Pitru Paksha 2021 Dates

साथियों जब कुंडली में दोष होता है तो उससे बचने के उपाय भी होते हैं जैसे कुछ उपाय इस प्रकार हैं जिन्हें करने से आपको निश्चित ही लाभ होगा:

–> अमावस्या के दिन सूर्यास्त के समय बहते पानी में नारियल प्रवाहित करें

–> प्रतिदिन संकटमोचन हनुमाष्टक व सुंदरकांड का पाठ करने से पिशाच योग से मुक्ति मिलती है या इसका प्रभाव कम होता है । आप चाहे तो दुर्गा सप्तशती का विधि पूर्वक पाठ व दशांश भी करा सकते है या शनि व राहु के मन्त्रों का जाप और हवन आदि से भी पिशाच योग के कुप्रभाव से बच सकते है।

–> प्रतिदिन भगवान् शनि को प्रसन्न करने के लिए शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए ।

ये भी पढे : मेहंदीपुर बालाजी:mehandipur balaji:जिनसे डरते हैं भूत a 2 z complete information

निष्कर्ष : 

साथियों हमने जाना क्या होता है पिशाच योग-प्रेत श्राप योग कैसे बनता है Vampire-Phantom Curse Yoga – दोष और बचने के उपाय,

कुंडली देखते समय मात्र शनि राहु की युति से कुंडली का फलित न करें बल्कि केंद्र और त्रिकोण में बैठे अन्य ग्रहों की स्थिति भी देख लें क्योंकि लग्न में शनि राहु की युति और दसम में गुरु बुध की युति वाले लोगों को समाज के अति प्रतिष्ठित लोगों में भी देखा गया है

अब यदि कोई ग्रह ख़राब फल दे रहा हो , कुपित हो या निर्बल हो तो उस ग्रह के मंत्रों का जाप , रत्न आदि धारण करने चाहिए , यदि कोई उपाय कर रहें हों तो वो निरंतर और लंबे समय तक करने चाहिए जबकि उपाय करने वाले लोग शीघ्र ही उपाय छोड़ देते है और सफलता के निकट पहुचकर उपाय बदल देते है या उपाय बताने वाले को बदल देते है और दूसरा उपाय  शून्य से आरंभ करते है।

किसी भी ज्योतिषीय सलाह के लिए आप हमारे mobile number 8533087800 पर संपर्क कर सकते है , इसके साथ ही आप ग्रह शांति जाप ,पूजा , रत्न  परामर्श और रत्न खरीदने के लिए अथवा कुंडली के विभिन्न दोषों जैसे मंगली दोष , पित्रदोष , कालसर्प दोष आदि की पूजा और निवारण उपाय जानने के लिए भी संपर्क कर सकते हैं

कुंडली विश्लेषण के लिए हमारे whatsApp number 8533087800 पर संपर्क करे उसके बाद ही कॉल  करें

अपना ज्योतिषीय ज्ञान वर्धन के लिए हमारा ज्योतिष ग्रुप के साथ जुड़े , नीचे दिए link पर click करें

श्री गणेश ज्योतिष समाधान 

ये भी पढे : 12 राशियों के अनुसार बिजनेस में लाभ प्राप्ति के उपाय profit in business as per zodiac sign

अपने जानने वालों में ये पोस्ट शेयर करें ...

Leave a Reply

error: Content is protected !!