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स्फटिक किसे कहते हैं, स्फटिक किस काम आता है और इसके क्या क्या लाभ हैं rhinestones (rock crystals ) & it’s 6 Astrological benefits
rhinestones – rock crystals – साथियों ज्योतिष में रत्नों का महत्व बहुत अधिक माना गया इसीलिए आज हम रत्नों में स्फटिक किसे कहते हैं , स्फटिक का महत्व क्या होता है, असली स्फटिक की पहचान क्या होती है , इन सब बातों को जानने का प्रयास करेंगे
स्फटिक किसे कहते हैं What is crystal- rhinestone
ज्योतिष (Astrology) में स्फटिक को हीरे का उपरत्न कहा जाता है , स्फटिक (rock crystals) को संस्कृत में सितोपल,शिवप्रिय, कांचमणि आदि और अंग्रेज़ी में क्रिस्टल कहा जाता है , इसे ही सफेद बिल्लौर भी कहा जाता है।
स्फटिक एक सफेद रंग का चमकदार , पारदर्शी और साफ़ पत्थर होता है जो कि कांच जैसा दिखाई देता है , स्फटिक बर्फ के पहाड़ों पर बर्फ के नीचे बड़े छोटे टुकड़ों के रूप में मिलता है और इसिलए यह बर्फ के समान पारदर्शी और सफेद होता है . ये सिलिकॉन और ऑक्सीज़न के परमाणु (एटम्स ) के मिलने से बनता है।
इसे अंग्रेजी में “Quartz” भी कहा जाता है। स्फटिक (rock crystals) काँच पारदर्शी लेकिन मजबूत पदार्थ होता है और इसका उपयोग गहनों, रत्नों, घड़ियों, और अन्य आभूषणों के निर्माण में किया जाता है। स्फटिक कई रंगों में पाया जा सकता है, जैसे कि प्राकृतिक स्फटिक सादा यानि दूधिया , हल्का दूधिया होता है.
स्फटिक किस काम आता है ?
स्फटिक पत्थर से मालाएं , पिरामिड , शिवलिंग आदि बनाये जाते हैं। यह फिटकरी की तरह दिखाई देता है। स्फटिक से बनी माला पहनने से और स्फटिक से बने देवी-देवताओं की मूर्तियों की पूजा करने से शीघ्र शुभ फलों की प्राप्ति होती हैं और ग्रहों जुड़े बड़े से बड़े कष्ट चमत्कारिक रूप से दूर हो जाते हैं .
स्फटिक (rock crystals) को माता लक्ष्मी का रूप माना जाता है और स्फटिक की माला पहनने से व्यक्ति को जीवन में सभी भय दूर हो जाते हैं और सुख, , शान्ति , संपत्ति, धन, ऐश्वर्य , यश और बल की प्राप्ति होती है.
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पूजा में स्फटिक का प्रयोग
जिस घर में स्फटिक से बने श्री यंत्र की निरंतर पूजा की जाती है वहां धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती है और सभी प्रकार के सुख,ऐश्वर्य,वैभव आदि प्राप्त होते हैं. घर की दरिद्रता, दु:ख आदि सदा के लिए दूर हो जाती है क्योंकि स्फटिक का श्रीयंत्र मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है
स्फटिक के शिवलिंग की पूजा से घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वास रहता है क्योंकि स्फटिक से बना शिवलिंग सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है और स्फटिक के शिवलिंग की पूजा करने से घर में सभी प्रकार की नकारात्मकता दूर होती है , ऐसा माना जाता है कि घर में स्फटिक के शिवलिंग की पूजा से सभी प्रकार के रोग, बुरी आत्मा – साया आदि का भय दूर होता है और वास्तु दोष दूर होता है
स्फटिक के गणेश जी की पूजा से जीवन में सभी बाधाएं दूर होती हैं और नौकरी व्यापार की सभी अड़चनें दूर होती हैं
स्फटिक के ज्योतिषीय लाभ
भारतीय ज्योतिष में स्फटिक (rock crystals) को शुक्र ग्रह से संबंधित माना जाता है. यदि कुंडली में शुक्र ग्रह दोष हो या शुक्र निर्बल हो तो चांदी की अंगूठी में क्रिस्टल माला या स्फटिक रत्न धारण करना चाहिए. इसे शुक्रवार के दिन धारण करना शुभ माना जाता है. यदि स्फटिक की माला को चंद्र ग्रहण के समय लक्ष्मी सूक्त के मंत्रों द्वारा सिद्ध करके धारण किया जाए तो निश्चित रूप से महालक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
स्फटिक (क्वार्ट्ज) से विभिन्न ज्योतिषीय और आध्यात्मिक लाभ हो सकते हैं, जैसे:
- प्रेम और संबंध: स्फटिक का पहनने से प्रेम और संबंधों में सुख और समृद्धि की ओर संकेत मिल सकता है, और यह विवाहित जीवन में खुशियों को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
- सौभाग्य और धन: स्फटिक को शुक्र के साथ जोड़कर पहनने से सौभाग्य, धन, और सामृद्धि की प्राप्ति हो सकती है.
- सौन्दर्य और रूपमंडल: स्फटिक का पहनने से व्यक्ति का आकर्षण और सौंदर्य में सुधार हो सकता है.
- विद्या और कला: इसे विद्या और कला की ओर आकर्षित होने के लिए भी पहना जा सकता है, जिससे व्यक्ति की शिक्षा और कला के क्षेत्र में समृद्धि हो सकती है.
- मानसिक शांति: स्फटिक को मानसिक शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए पहना जाता है, और यह मानसिक स्थिति में सुधार कर सकता है.
- शारीरिक स्वास्थ्य: स्फटिक को शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी उपयोग किया जाता है, और यह शारीरिक रोगों को दूर करने में मदद कर सकता है.
ध्यान दें कि ये लाभ व्यक्ति की कुंडली, ग्रहों की स्थितियों के आधार पर होतें हैं
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स्फटिक को किस स्थान पर रखना चाहिए
स्फटिक पृथ्वी तत्व का प्रतिनिधि होता इसलिए इसे दक्षिण-पश्चिम दिशा यानि नैरित्य कोण में रखना चाहिए , इससे घर के वास्तु दोष भी दूर होते हैं
असली स्फटिक की पहचान
असली स्फटिक (क्वार्ट्ज) की पहचान करने के लिए निम्नलिखित कुछ बातों का ध्यान रखा जा सकता है:
- परदर्शिता: स्फटिक के दाने पूरी तरह से पारदर्शी नहीं होते हैं लेकिन इसकी माला अंधेरे में लाइट मारती है और इसे रगड़ेंगे पर स्पार्क होता है ।
- हार्डनेस (कठोरता): स्फटिक एक कठोर रत्न होता है और मोहस्वरूप होता है, जिससे आप इसकी कठोरता की जाँच कर सकते हैं. यदि आपके पास मोहस्केल (मोश हार्डनेस स्केल) की बहुती सामान्य हो, तो स्फटिक को इससे आसानी से पहचाना जा सकता है।
- रंग: स्फटिक कई विभिन्न रंगों में पाया जा सकता है, जैसे कि सफेद, स्मोकी, पिंक, पर्पल, और यैलो. यदि आपके पास स्फटिक के रंग को पहचानने की जानकारी हो, तो यह भी मदद कर सकता है.
- विंटेज और चेप दरारें: असली स्फटिक में आमतौर पर किसी पुराने या चेप दरारे या कच्चापन की चिंता नहीं करनी चाहिए. असली स्फटिक की विंटेजिंग का महत्व बढ़ जाता है.
- बाजार मूल्य: असली स्फटिक बाजार में महंगा होता है, इसलिए यदि कोई स्फटिक बहुत सस्ता मिल रहा हो, तो यह संदेहपूर्ण हो सकता है.
- हाथ में लेने पर स्फटिक भारी और एकदम ठंडा होता है और इसकी चमक कभी भी कम नहीं होती है।
- स्फटिक के दाने पूरी तरह से गोल नहीं होते और स्फटिक की माला में दाने छोटा या बड़ा हो सकता है लेकिन यदि स्फटिक की माला के दाने डायमंड कट वाले हों तो इसके दाने एक जैसे हो सकते हैं लेकिन ऐसी माला महंगी होती है ।
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