Vijaya Ekadashi 2025 विजया एकादशी 2025

Vijaya Ekadashi 2025 :शत्रुओं पर विजय पाने और शत्रुता मिटाने के लिए कैसे मनाए विजया एकादशी 2025

Vijaya Ekadashi 2025 :शत्रुओं पर विजय पाने और शत्रुता मिटाने के लिए कैसे मनाए विजया एकादशी 2025

Vijaya Ekadashi 2025 : फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष में जो एकादशी पड़ती है, उस एकादशी को हम विजया एकादशी के नाम से जानते हैं, विजयाा एकादशी के नाम में ही इस एकादशी का अर्थ छुपा है यानी विजया एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को सभी क्षेत्रों में विजया की प्राप्ति होती है, विजया एकादशी का व्रत शत्रु को हराने की क्षमता देता है , अन्य एकादशी व्रत जैसे ही  इस एकदशी व्रत के लाभ हैं ,

विजया  एकदशी व्रत से हमारे जन्म जन्मांतर के पापों का नाश होता है और मृत्यु के बाद प्रभु श्री हरि विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त होता है

Vijaya Ekadashi 2025 विजया एकादशी 2025

विजया एकादशी व्रत का महत्व (Importance of Vijaya Ekadashi 2025)

जब राम भगवान को रावण से युद्ध करना था तो रावण की शक्तियों को पराजित करके रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए प्रभु श्री राम ने भी फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में एकादशी का व्रत रखा था ,  एकादशी के व्रत रखने से प्रभु राम को रावण से युद्ध में अत्यधिक सफलता प्राप्त हुई इसीलिए यह माना गया है कि विजया एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के समस्त मनोरथ पूरे होते हैं ,हर कार्य सफलता मिलती है, मानोवांछित फल प्राप्त होता है और साथ ही साथ शत्रुओं को पराजित करके वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है ।

विजया एकादशी 2025 कब है ? 

वर्ष 2025 में विजया एकादशी का व्रत 24 फरवरी सोमवार को रखा जाएगा क्योंकि फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष में एकादशी तिथि की शुरुआत 23 फरवरी को दोपहर में 1:55 पर हो जाएगी और यह तिथि अगले दिन अर्थात 24 फरवरी सोमवार के दिन दोपहर 1:44 तक रहेगी , क्योंकि 24 फरवरी 2025 सोमवार को सूर्य उदय एकादशी तिथि में होगा इसलिए विजय एकादशी व्रत 24 फरवरी 2025 को ही रखा जाएगा

विजया एकादशी व्रत 2025 का पारण

किसी भी व्रत के दूसरे दिन उस व्रत का पारण किया जाता है , इस प्रकार विजया एकादशी व्रत का पारण भी 24 फरवरी के दूसरे दिन अर्थात 25 फरवरी को द्वादशी तिथि में किया जाएगा ,  विजया एकादशी व्रत 2025 का पारण का शुभ मुहूर्त प्रात 6:50 से लेकर प्रातः 9:08 मिनट तक रहेगा।

एकादशी व्रत की विधि

विजया एकादशी 2025 व्रत या अन्य किसी भी एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु को भूलकर भी चावल यानि सफेद कच्चे अक्षत कभ नहीं चढ़ाना चाहिए और कैसी भी परिस्थिति मे सभी लोगों को एकादशी के दिन चावल खाने से बचना चाहिए । ऐसा माना गया है कि एकादशी के दिन चावल खाना , मांस खाने और रक्त का सेवन करने के जैसा होता  है। क्योंकि धर्म शास्त्रो के अनुसार चावल और जौ को जीव सामान माना जाता है।

सफेद अक्षत यानि चावल का प्रयोग करने से व्यक्ति को दोष लगता है , इस दिन चावल खाने से मृत्य के बाद मोक्ष नहीं मिलता है। एकादशी के दिन तुलसी के पौधे में जल भी न चढ़ाया जाता है क्योंकि इस दिन तुलसी जी भी निर्जला उपवास करती हैं। इस दिन कैसा भी तामसिक भोजन न करें और न ही मदिरा आदि नशीले पदार्थ का सेवन करें ।

एकादशी के दिन सुबह से निराहर व्रत का संकल्प लेकर शुभ मुहूर्त में विष्णु जी की पूजा करें, इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनें. एकादशी व्रतधारी को रात में सोना नहीं चाहिए, यह तिथि बेहद पुण्यदायी होती है. इस तिथि को पूरी रात भगवान विष्णु के भजन गाने चाहिए, मंत्र या आरती करनी चाहिए. भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर के सामने बैठकर पूरी रात जागरण करना चाहिए

Remark ( conclusion)

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