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भारत के 5 चमत्कारी मंदिर 5 Miraculous Temples Of India
भारत के 5 चमत्कारी मंदिर 5 Miraculous Temples Of India : भारत का हिन्दू धर्म सनातन धर्म है और यहाँ की धरती पर अनगिनत दैवीय शक्ति के केंद्र अर्थात मंदिर हैं , आज आप जानेंगे भारत के 5 चमत्कारी मंदिर जिनके चमत्कार से विज्ञान भी आश्चर्यचकित रह जाता है जैसे कहीं भूत प्रेत भागते है तो कहीं संतान होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है तो कहीं 7 द्वारों के अन्दर बंद खजाने की रक्षा सांप कर रहे हैं तो कहीं मंदिर के शीर्ष पर लगा ध्वज वायु के वेग के विपरीत लहराता है आइये जानते हैं
भारत के 5 चमत्कारी मंदिर 5 Miraculous Temples Of India
आइये प्रारंभ करते है उस मंदिर से मंदिर की ध्वजा लहराती है वायु वेग के विपरीत
1. जगन्नाथपुरी(jagannath temple) 5 Miraculous Temples Of India
जगन्नाथपुरी (jagannath temple) उड़ीसा राज्य के पुरी नगर में बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित वो तीर्थ है जहाँ समस्त सृष्टि के स्वामी श्री जगन्नाथ विराजित है| हिन्दू धर्म में अति पवित्र चार धाम (char dham) में से एक धाम है जगन्नाथ पुरी , अन्य तीन धाम है – बद्रीनाथ,द्वारिका और रामेश्वरम| हिन्दू धर्म में कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है कि 4 धामों में बद्रीनाथ,केदारनाथ,यमनोत्री और गंगोत्री आते है|
जगन्नाथ पुरी (jagannath temple ) एक वैष्णव मंदिर है जो अपनी बेहतरीन नक्काशी व भव्यता लिए प्रसिद्ध है जहाँ भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण हीं प्रभु जगन्नाथ कहलाते है| श्री जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और माता सुभद्रा विराजित हैं। गर्भ गृह में इनकी मूर्तियां एक रत्न जड़ित पाषाण चबूतरे पर विराजित हैं।
भारत के 5 चमत्कारी मंदिर में से एक जगन्नाथ पुरी (jagannath temple ) से जुड़े हुए अनेक ऐसे चमत्कार है जोकि हिन्दू धर्म की सत्यता,वास्तविकता और सृष्टि के रचयिता के हम सब के बीच होने का प्रमाण है और यहाँ बहुत कुछ ऐसा होता है जिसका कारण वैज्ञानिक भी नही बता पाते है जैसे:-
जगन्नाथ पुरी (jagannath temple ) के रहस्य
jagannath puri temple facts
–> श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर स्थापित लाल ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में ही लहराता रहता है और ये लाल ध्वज ये बताता है की मंदिर के भीतर भगवन उपस्थित है |
–>श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर मंदिर के शीर्ष पर अष्टधातु से निर्मित एक सुदर्शन चक्र लगा है जिसे नीलचक्र भी कहते हैं और ये भगवान विष्णु का ही सुदर्शन चक्र माना जाता है ,ये एक ऐसा चमत्कारिक सुदर्शन चक्र है जिसे आप पुरी में किसी भी स्थान देखेंगे तो ये सुदर्शन चक्र आपको सदैव अपने सामने दिखेगा।
–>श्री जगन्नाथ मंदिर के मुख्य गुंबद की कभी छाया नहीं बनती जबकि ये मंदिर अत्यधिक भव्य और ऊंचा मंदिर है। श्री जगन्नाथ मंदिर 4 लाख वर्गफुट में क्षेत्रफल में फैला हुआ है और इसकी ऊंचाई लगभग 214 फुट है। मंदिर के पास खड़े रहकर भी इसका गुंबद देख पाना दिन के किसी भी समय संभव नही है।
–>श्री जगन्नाथ मंदिर के गुंबद के ऊपर आप कभी भी पक्षी उड़ते हुए नही देख सकते यहाँ तक कि मंदिर के ऊपर विमान भी नहीं उड़ायें जाते है जबकि सामान्यतः मंदिरों के गुंबद के ऊपर पक्षी बैठते ही है।
–>श्री जगन्नाथ मंदिर की रसोई संसार की सबसे बड़ी रसोई है जहाँ 500 रसोइए और उनके 300 सहयोगी प्रभु जगन्नाथ के लाखों भक्तों के लिए एक साथ भगवान जगन्नाथजी का प्रसाद (भोजन) बनाते है और यहाँ लगभग 20 लाख भक्त एक साथ भोजन कर सकते हैं और प्रसाद भले ही कुछ हजार लोगों के लिए ही बना हो लेकिन इससे सभी भक्तों चाहे उनकी संख्या लाखों में हो ,का पेट भर सकता है।
–>श्री जगन्नाथ मंदिर भोजन लकड़ी पर ही पकाया जाता है और सभी बर्तनों को एक दूसरे के ऊपर रख कर भोजन बनाया जाता है और प्रभु जगन्नाथ का चमत्कार है की सबसे ऊपर वाले बर्तन का भोजन सबसे पहले और सबसे नीचे वाले बर्तन का भोजन सबसे बाद में पकता है |
ऐसे ही अनेक चमत्कार है जोकि प्रभु श्री हरि विष्णु जगन्नाथ पुरी (jagannath temple ) में होने के साक्षात प्रमाण है |
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भारत के 5 चमत्कारी मंदिर में से एक श्री जगन्नाथ मंदिर में मात्र हिन्दुओ को ही प्रवेश की अनुमति है यहाँ तक की पर्यटकों का भी प्रवेश प्रतिबंधित है। मंदिर में पर्यटक निकट ही स्थित रघुनंदन पुस्तकालय की छत से अहाते और अन्य आयोजनों का दृश्य देख सकते हैं| बौद्ध धर्म एवं जैन धर्म के लोग भारतीय वंशावली का प्रमाण देकर मंदिर के प्रांगण में आ सकते हैं|
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प्रभु जगन्नाथ रथ यात्रा
jagannath puri rath yatra
संसार के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है जगन्नाथपुरी रथयात्रा महोत्सव जिसे देखने के लिए सभी धर्मों के लोगों के साथ साथ विदेशी पर्यटक भी आते है | श्री जगन्नाथ (भगवान कृष्ण के अवतार) की रथयात्रा में जो लोग भाग लेते है उन्हें भाग लेने या देखने मात्र से सौ यज्ञों पुण्य मिलता है|
प्रभु जगन्नाथ रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलराम और बहन सुभद्रा तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं।
5 किलोमीटर लम्बी चलने वाली प्रभु जगन्नाथ की विशाल रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथ पुरी (jagannath temple ) से आरम्भ होती है और इस दस दिवसीय महोत्सव का आरम्भ अक्षय तृतीया के दिन से प्रभु जगन्नाथ ,ज्येष्ठ भ्राता बलराम और बहन सुभद्रा के लिए रथ के निर्माण से ही हो जाता है|
प्रतिवर्ष होने वाली इस रथयात्रा का आयोजन माता सुभद्रा की नगर भ्रमण की स्मृति में किया जाता है जिसमे श्रीकृष्ण व बलराम ने माता सुभद्रा को रथ पर बैठा कर पुरी द्वारिका नगर का भ्रमण करवाया था |
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2. पद्मनाभस्वामी मंदिर तिरुवनंतपुरम Padmanabhaswamy Temple
5 Miraculous Temples Of India
भारत के दक्षिणी राज्य केरल के तिरुअनन्तपुरम जनपद में शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजित भगवान् श्रीहरिविष्णु का संसार भर में प्रसिद्ध भगवान् श्री विष्णु के अति पवित्र और सुविख्यात मंदिरों में से एक है , साथ ही केरल का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है |
यहाँ भगवान् विष्णु शेषनाग की शरीर रुपी शैया पर विश्राम अवस्था में है | शेषनाग को ही अनंत के नाम से भी जाना जाता है इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि तिरुअनंतपुरम का नाम ‘अनंत’ नामक शेषनाग के नाम पर ही रखा गया है। अनेक तमिल संतो ने हिन्दू धर्मग्रंथो में दिव्य देसम का वर्णन किया है , दिव्य देसम भगवान् विष्णु के 108 अति पवित्र मंदिर है और उन्ही 108 मंदिरों में से एक है पद्मनाभस्वामी मंदिर तिरुवनंतपुरम जोकि संसार के सबसे धनी हिन्दू मंदिरों में से एक है |
पद्मनाभस्वामी मंदिर तिरुवनंतपुरम का रहस्य || padmanabhaswamy temple mystery
–>भारत के 5 चमत्कारी मंदिर में से एक पद्मनाभस्वामी मंदिर में बने 7 द्वार और उन द्वारों के पीछे अथाह सम्पति एक ऐसा रहस्य है जिसे आजतक कोई नही सुलझा सका है | सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पद्मनाभस्वामी मंदिर के 6 द्वार खोले जा चुके है और द्वार खुलने पर लगभग 1 लाख बीस हज़ार करोड़ से भी अधिक की सम्पति मिल चुकी है ,
–> पद्मनाभस्वामी मंदिर का खजाना – सोने, हीरे और बहुमूल्य रत्नों से बने आभूषणों के रूप में मिला है जिसे मंदिर ट्रस्ट के पास रख दिया गया | मंदिर का सातवां द्वार अभी तक नही खुल सका है और ये कहा जाता है कि इस द्वार के भीतर पद्मनाभस्वामी मंदिर का खजाना संसार का सबसे बड़ा खज़ाना हो सकता है |
–>कुछ लोगो का ऐसा भी मानना है कि यदि भूल से भी मंदिर के सातवे द्वार को खोल दिया गया तो संसार में प्रलय आ जाएगी |
पद्मनाभस्वामी मंदिर तिरुवनंतपुरम का सातवाँ द्वार || padmanabhaswamy temple vault
–> सबसे आश्चर्यजनक बात ये है कि मंदिर के सातवे द्वार पर न तो कोई ताला है और ना ही किसी जंजीर से ये बंद है | मंदिर के सातवे द्वार के दोनों किनारों पर सांपो की आकृति बनी हुई है और ऐसा कहा जाता है की मंदिर के सातवे द्वार के भीतर पड़े खजाने की रक्षा ये ही 2 सांप करते है |
–> पद्मनाभस्वामी मंदिर का रहस्य और तब बढ़ जाता है जब कहा जाता है की मंदिर का सातवाँ द्वार तब खुलेगा जब कोई सिद्ध योगी गरुण मंत्र शक्ति के जाप करेगा | क्योंकि यदि कोई अन्य ऐसा प्रयास करेगा और गरुण मंत्र का स्पष्ट उच्चारण नही कर सकेगा तो उसकी मृत्यु भी हो सकती है |
–> ऐसा माना जाता है कि इस खजाने की रक्षा नाग देवता स्वंम कर रहे है और इस बात पर विश्वास भी किया जा सकता है क्योंकि एमिली हैच जोकि एक इतिहासकार थीं और साथ ही एक पर्यटक भी थीं, ने अपनी पर्यटन पुस्तक Travancore: A guide book for the visitor में लिखा है कि वर्ष 1931 में पद्मनाभस्वामी मंदिर के द्वार खोलने का प्रयास किया गया था किन्तु न जाने कहाँ से हज़ारों की संख्या में नाग आ गये और मंदिर के द्वार नही खोले जा सके |
–> पद्मनाभस्वामी ( भगवान् विष्णु ) जोकि भारत के 5 चमत्कारी मंदिर में से एक है के भक्तों में से कुछ का का ऐसा भी मानना है कि न्यायधीश टी.पी.सुन्दर राजन जिन्होंने पद्मनाभस्वामी मंदिर के द्वार खोलने का निर्देश दिया था, की अकस्मात् मृत्यु पद्मनाभस्वामी ( भगवान् विष्णु ) के रक्षक नाग देवता के कोप के कारण हुई थी |
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3. कामख्या मंदिर असम kamakhya temple
5 Miraculous Temples Of India
kamakhya temple : हिन्दू धर्म में जितने भी तीर्थस्थल है उनमे जगतजननी माता जगदम्बा के 52 मंदिरों का विशेष महत्व है, ये 52 मंदिर ही माता जगदम्बा के 52 शक्तिपीठ कहलाते है |
ये तो हम सभी जानते ही है की भगवान् विष्णु के सुदर्शन चक्र से माता सती के मृत शरीर के 52 टुकड़े हो गये और ये पूरी धरती पर अलग अलग स्थानों पर गिर गए और ये अंग जहाँ जहाँ भी गिरे वो स्थान सदा के लिए तीर्थ बन गए जहाँ आज लाखों करोड़ों भक्त तीर्थयात्रा पर जाते है और जो भी भक्त सही मंशा से जो भी मनोकामना करते है उनकी मनोआमना पूरी होती है| इस लेख में हम आपको भारत के 5 चमत्कारी मंदिर में से एक माता के सिद्ध पीठकामख्या मंदिर( kamakhya temple ) के विषय में बता रहे है जिसे कामरूप कामख्या मंदिर भी कहा जाता है |
इस स्थान पर माता सती का योनि भाग गिरा था | इस मंदिर की प्राचीनता का इस बात से पता चलता है की ये मंदिर सतयुग से यहाँ विराजमान है और तंत्र मंत्र सिद्धि का सर्वोच्च स्थल है। माता सती को ही हम सब माता दुर्गा के नाम से जानते है और इन्ही जगत जननी माँ जगदम्बा का सिद्धपीठ है कामरूप कामख्या मंदिर जोकि असम राज्य की राजधानी दिसपुर के निकट ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बसे गुवाहाटी नगर से मात्र 8 किमी दूर स्थित है |
कौमारी तीर्थ कामाख्या
कामरूप कामख्या तीर्थ को संसार का सबसे बड़ा कौमारी तीर्थ भी माना जाता है इसीलिए इस तीर्थ पर बिना किसी जाती भेद के सभी जातियों की कुमारी कन्याओं का पूजन किया जाता है
ये माना जाता है कि जगतजननी माँ जगदम्बे इस क्षेत्र में कौमारी रूप में सदैव उपस्थित रहती है कि जो साधक- भक्त इस मंदिर में जाति भेद पर ध्यान देते हुए कन्यायों का पूजन करते है उनकी साधना कभी सफल नही होती है और उन्हें इस तीर्थ पर आने का फल प्राप्त नही होता है और उनकी पद प्रतिस्ठा भी धूमिल होती है
अम्बूबाची पर्व ambubachi festival kamakhya temple
अम्बूवाची पर्व कामख्या तीर्थ क्षेत्र में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा पर्व है और इसका महत्व ठीक उसी प्रकार है जिस प्रकार होली और दीपावली पर्व का महत्व है | इस पर्व पर संसार भर से तंत्र मंत्र साधक यहाँ तंत्र मंत्र साधना करने आते है और विभिन्न परालौकिक सिद्धियाँ प्राप्त करते है |
इस क्षेत्र में तंत्र मंत्र साधना का क्या महत्व है ये बात से ही समझा जा सकता है की तिब्बत में स्थित संसार के सबसे पुराने तंत्र साधना केंद्र आगम मठ से भी कुछ तांत्रिक यहाँ सिद्धि प्राप्त करने अम्बूवाची पर्व पर आते है और तंत्र साधना करते है | अम्बुबाची पर्व (मेले) के समय यहाँ हजारों तांत्रिक मंदिर आते हैं। गोरखनाथ जैसे तंत्र साधक ने भी अपनी तंत्र साधना इस स्थान पर की थी |
कामख्या मंदिर में तंत्र मंत्र साधना
(कामख्या मंदिर में होने वाला काला जादू )
kamakhya temple black magic
कामाख्या मंदिर दशकों से तंत्र मंत्र और काले जादू के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ अनेक ऐसे लोग आते है जिन्हें ऐसा लगता है की उन पर या उनके किसी सगे सम्बन्धी पर तंत्र मंत्र या काले जादू का प्रभाव है तो यहाँ रहने वाले तंत्र मंत्र साधक विशेष पूजा अनुष्ठान से उस प्रभाव को हटा देते है|
कामख्या मंदिर में भूत प्रेतों के प्रभाव को भी नष्ट किया जाता है और इसके लिए आपको यहाँ अनेक साधु अघोड़ी मिल जायेंगे जो विशेष पूजा अनुष्ठान से या फिर जीव बलि जैसे बकरा कबूतर जैसे जीवों की बलि देकर आपको अनचाहे कष्टों जैसे संतान न होना,धनहीनता,विवाह में विलम्ब इतियादी कष्टों से मुक्ति दिलाते है |
कामख्या मंदिर का इतिहास
kamakhya temple history in hindi
हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार माता सती राजा दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं जिनका विवाह भगवान् शिव से हुआ था राजा दक्ष प्रजापति शिव जी को पसंद नही करते थे |
माता सती के पिता राजा दक्ष एक यज्ञ करवा रहे थे जिसमें उन्होंने माता सती के पति प्रभु शिव को नहीं बुलाया | यह बात माता सती को बहुत बुरी लगी क्योंकि ये एक प्रकार से माता सती के पति भगवान् शिव का अपमान था और वो अपने पति का अपमान सह न सकीं और वो क्रोधित हो राजा दक्ष प्रजापति के यज्ञ स्थान पर पहुँच गयीं और यज्ञ अग्निकुंड में कूदकर आत्मदाह कर लिया।
ये सब होने के बाद भगवान् शिव सती का शव उठा कर भयंकर तांडव करने लगे और ऐसा लगने लगा कि उनकी क्रोधाग्नि में पूरी सृष्टि भष्म हो जायेगी| भगवान् शिव का क्रोध तभी शांत हो सकता था जब उनके पास सती का मृत शरीर नही रहता और ये जान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शव के अनीक टुकड़े कर दिए जोकि भिन्न भिन्न स्थानों पर गिरे और ये जहां-जहां गिरे वो जगह माता के शक्तिपीठ कहलाने लगे ।
असम में स्थित कामाख्या मंदिर में माता सती की योनि भाग और गर्भ गिरा था जिसमे से जून के महीने में रक्त प्रवाह होता है जिससे यहां ब्रह्मपुत्र नदी लाल हो जाती है।
कामख्या मंदिर के रहस्य
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इसी समय अम्बुवाची पर्व (मेला) मनाया जाता है। इस पर्व के समय माता रजस्वला होती हैं रजस्वला होने से पूर्व मंदिर में माता सती की अनुमानित योनि के पास मंदिर के पुजारी जी नया साफ-स्वच्छ सफेद वस्त्र रख देते हैं और मंदिर के कपाट तीन दिनों के लिए बंद कर दिए जाते हैं। चौथे दिन मंदिर के कपाट खुलने पर ये वस्त्र रक्तवर्ण हो जाते हैं।
माता के रज से भीगा हुआ वस्त्र अत्यधिक पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है। मंदिर के पुजारियों द्वारा ये वस्त्र प्रसाद के रूप में तीर्थयात्रियों – माता के भक्तों में बाँट दिए जाते हैं। बहुत ही भाग्यशाली लोगो को ऐसा वस्त्र प्राप्त होता है जोकि सभी प्रकार से उनकी रक्षा करता है और मनोकामना पूरी करता है | ………… अधिक पढने के लिए click करें .. कामख्या मंदिर असम kamakhya temple
4. मेहंदीपुर बालाजी ( mehandipur balaji ) -जहाँ डर के भागते है भूत प्रेत
5 Miraculous Temples Of India
साथियों राजस्थान के दौसा जनपद के निकट दो पहाडियों के बीच स्थित है – मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर जोकि पूरे देश विदेश में भारत के 5 चमत्कारी मंदिर में से एक ,जहाँ जाने मात्र से भाग जाते है वो भूत प्रेत , चूँकि हनुमान जी ने अपने बाल रूप में बहुत सी लीलाएँ की हैं इसलिए कुछ स्थानों पर इन्हें बालाजी के नाम से भी जाना जाता है।
जी हाँ सही पढ़ा आपने मेहंदीपुर बालाजी ( mehandipur balaji ) में सैकड़ों भक्तो का मेला लगा होता है जो भूत प्रेत या किसी उपरी बाधा से दुखी होते है और यहाँ प्रभु मेहंदीपुर बालाजी की कृपा पाने के लिए दूर दराज स्थानों से आते हैं और ठीक होकर जाते है इसीलिए यहाँ आपको अनेक विचित्र दृश्य देखने को मिल जाएंगे जिनको देखकर आपको आश्चर्य भी होगा और यदि आप थोड़े निर्बल ह्रदय के हुए तो दर भी लगेगा वैसे तो हमारे देश में अनेक ऐसे मंदिर हैं जिनके प्रति भक्तों में अटूट श्रद्धा है
इन प्रचीन मंदिरों का अपना ही महत्व है. हमारे देश में विभिन्न भागों में भक्तों के कष्ट दूर करने वाले अनेकों मंदिर हैं जिनके चमत्कार पूरे संसार में प्रसिद्द हैं और उन्ही प्रचीन मंदिरों में से एक मंदिर है मेहंदीपुर बालाजी महाराज का मंदिर आज आपको अनेक ऐसे लोग मिल जायेंगे जो भूत प्रेतों को नही मानते हैं,
विज्ञान भूत-प्रेतों को नहीं मानता है किन्तु ये भी सत्य है की यहाँ आने पर लोग ये मानने लगते है कि सच में उपरी बाधा भी होती है मेहंदीपुर बालाजी ( mehandipur balaji ) मंदिर में प्रति दिन दूर दूर से ऊपरी चक्कर और प्रेत बाधा से परेशान और दुखी लोग मुक्ति के लिए आते हैं।
मेहंदीपुर बालाजी ( mehandipur balaji ) मंदिर में प्रेतराज सरकार और भैरवबाबा का भी मंदिर है. और जो भक्त बालाजी के दर्शन के लिए आते वो प्रेतराज सरकार और भैरवबाबा मंदिर भी अवश्य ही जाते हैं. मान्यता के अनुसार जो कोई भूत प्रेत से पीड़ित होता है जिस किसी के ऊपर कोई नकारात्मक साया होता है उसकी बालाजी और प्रेतराज के दरबार में पेशी लगती है जहाँ उनके ऊपरी साये को दूर करने के लिए कीर्तन आदि किया जाता है. इस पेशी में अनेक पीड़ित लोग एक साथ भाग लेते हैं और जिसके ऊपर भी उपरी साया होता है तो वहां उसका साया अपने विषय में बताने लगता है कि वो कहाँ से आया है , कैसे आया है इतियादी
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5 . माता सिमसा मंदिर (Simsa Mata Mandir) – जहाँ मिलती है संतान,
भारत के 5 चमत्कारी मंदिर में 5th
भारत के उत्तर में स्थित हिमाचल प्रदेश राज्य के मंडी जनपद में तहसील लड़भडोल में लड़भडोल से लगभग 9 km दूर सिमस नाम का एक गांव है जहाँ माता रानी अपने निराश निसंतान भक्तों को संतान सुख प्रदान करती है | ये मंदिर सिमस नाम के गाँव में होने से इस मंदिर में विराजित माँ शारदा को माता सिमसा के रूप में जाना जाता है ये मंदिर भारत के 5 चमत्कारी मंदिर में से एक है |
जी हाँ ,ज्ञान की देवी सरस्वती यानि शारदा माता पिंडी के रूप इस मंदिर में विराजित है ,जहाँ दूर दूर से चैत्र और शरद नवरात्री के दिनों में शारदा माता के पास वो निराश भक्त आते है जिन्हें अनेकों प्रयास के बाद भी संतान प्राप्त नही होती है और अंतिम आस लिए माता सिमसा से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मांगते है और माता सिमसा भी अपने भक्तों को स्वप्न में आकर संतान होने के संबंध में संकेत देकर उनकी निराशा को आशा में बदल देती है |
यहाँ निसंतान महिला अकेले भी आ सकती हैं और अपने पति के साथ भी लेकिन मंदिर के भीतर फर्श पर उन्हें अकेले ही सोना पड़ता है , मंदिर आने वाली निसंतान महिला को अपने घर से एक लोटा,एक दरी, दो कम्बल और एक लाल रंग का पेटीकोट या घाघरा लाना होता है जबकि साथ आए हुए अन्य परिवारीजनों को मंदिर कमेटी की ओर से ही खाने पीने और रहने की व्यवस्था की जाती है | चैत्र नवरात्री में मौसम सामान्य होता है किन्तु शरद नवरात्री में मौसम थोडा ठंडा होता है इसलिए शरद नवरात्री के दिनों में यहाँ गर्म कपड़ों के साथ ही आना चाहिए |
simsa mata mandir||संतान प्राप्ति के लिए क्या करें
माता सिमसा से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद लेना बहुत ही सरल है | माता सिमसा के मंदिर में आकर निसंतान महिला को वाली मंदिर के फर्श पर सोने से संतान की प्राप्ति होती है | जिन निसंतान महिलाओं को माता सिमसा के आशीर्वाद से संतान सुख मिला है उनका कहना है कि मंदिर के फर्श पर श्रद्धा और विश्वास के साथ दिन रात सोने पर माता सिमसा उनके स्वप्न में मानव रूप में या प्रतीक रूप में दर्शन देती है और स्वप्न में संकेत देकर संतान सुख के विषय में बता देती है जैसे :-
simsa mata mandir||माता सिमसा बताती है – संतान होगी या नही
यदि निसंतान महिला को स्वप्न में कोई फल या कंद-मूल प्राप्त होता है तो उस महिला को संतान सुख मिल जाता है। यदि निसंतान महिला को स्वप्न में पत्थर, धातु या लकड़ी दिखाई देती है तो उस महिला के भाग्य में संतान सुख नही होता है। यहाँ आने वाले भक्तों के अनुसार माता सिमसा यदि किसी महिला को निसंतान रहने का संकेत दे दें और तब भी यदि महिला मंदिर से ना जाएँ तो उस महिला के शरीर में खुजली भरे लाल-लाल दाग ( चकते ) निकल आतें हैं और उस तब उस महिला को माता सिमसा के मंदिर से जाना ही पड़ता है। अनेक बार ऐसा भी होता है कि निसंतान महिला को कोई स्वप्न नही आता है , ऐसे में महिलाएं पुनः प्रयास भी करती हैं।
संतान के लिंग-निर्धारण का भी संकेत
- यदि माता सिमसा किसी निसंतान महिला को अमरूद के फल का संकेत देती है तो समझ लें कि लड़का होगा
- यदि स्वप्न में भिन्डी मिलती है तो कन्या संतान की प्राप्ति होती है ।
सलिन्दरा उत्सव या सेलिंद्रा उत्सव
माता सिमसा मंदिर में नवरात्रि के दिनों में संतान प्राप्ति के लिए में विशेष आयोजन होता है जिसे स्थानीय भाषा में “सलिन्दरा” कहा जाता है,सलिन्दरा यानि स्वप्न । सलिन्दरा उत्सव में आसपास के अनेक राज्यों से निसंतान महिलाएं माता सिमसा के आशीर्वाद से संतान सुख की कामना से यहाँ आती है और जब उन्हें संतान प्राप्त हो जाती है तो माता के मंदिर में आकर माता सिमसा का आभार प्रकट करते हैं । सिमसा माता का मंदिर बहुत ही प्राचीन है और यहाँ निसंतान महिलाएं लगभग 400 वर्ष से आ रही है और माता सिमसा के आशीर्वाद से संतान सुख प्राप्त कर रही है | अधिक पढने के लिए click करें ..माता सिमसा मंदिर (Simsa Mata Mandir)
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