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पितरों को प्रसन्न करने के मंत्र – पितृ गायत्री मंत्र-pitra paksh mantra-pitra gayatri mantra
pitra paksh mantra-pitra gayatri mantra :साथियों पितरों को प्रसन्न करने के मंत्र – पितृ गायत्री मंत्र का पितृ पक्ष में बहुत महत्व है , प्रतिवर्ष भादो माह में पूर्णिमा से आश्विन माह की अमावस्या( सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या ) तक पूरे 16 दिन तक का समय श्राद्ध पक्ष यानि पितृ पक्ष कहलाता है।
श्राद्ध पक्ष यानि पितृ पक्ष के समय में पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए विधि विधान से श्राद्ध तर्पण किया जाता है। इससे हम सब पितरों को प्रसन्न और उन्हें पितृ लोक के कष्टों से मुक्त करने का प्रयास कर सकते हैं
पितृपक्ष में श्राद्ध को लेकर कुछ नियमो का पालन किया जाता है जैसे पितरों की मृत्यु जिस तिथि को हुई होती है, उसी तिथि में उनका श्राद्ध किया जाता है। जैसे किसी की मृत्यु प्रतिपदा तिथि को हुई थी तो उनका श्राद्ध पितृपक्ष में प्रतिपदा तिथि को किया जाता है किन्तु यदि पूर्वज की मृत्यु तिथि पता न हो तो श्राद्ध अमावस्या तिथि को किया जाता है ।
सनातम धर्म में मंत्रो को बहुत महत्त्व दिया गया है इसीलिए सभी धार्मिक कार्यों के साथ साथ श्राद्ध में भी मन्त्रों का विशेष महत्व है। यहाँ हम आपको कुछ सरल मंत्र बता रहे हैं जिनके जाप से आप भी अपने पितरों को प्रसन्न और उन्हें पितृ लोक के कष्टों से मुक्त करने का प्रयास कर सकते हैं,
पितृपक्ष में प्रति दिन स्नान करने के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके जल में काला तिल, जौ , चावल के दाने डालकर तर्पण करें।साथ ही पूर्वजों की मृत्यु तिथि के अनुसार पिंडदान और तर्पण करें और उस दिन आपके पूर्वज या मृत व्यक्ति जब जीवित थे उस समय की पसंद के अनुसार भोजन बनवाएं और तर्पण करते समय नीचे दिए गए मन्त्रों का जाप करें-
आइये जानते हैं
पितरों को प्रसन्न करने के मंत्र –pitra paksh mantra
1. ॐ पितृ दैवतायै नम: (न्यूनतम 108 बार) ।
2. ॐ कुलदैव्यै नम: (न्यूनतम 21 बार) ।
3. ॐ नागदेवतायै नम: (न्यूनतम 21 बार) ।
4. ॐ कुलदेवतायै नम: (न्यूनतम 21 बार) ।
5. पितृभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:(न्यूनतम 21 बार)।
6. पितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:(न्यूनतम 11 बार)।
7. प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम: (न्यूनतम 11 बार)।
8. सर्व पितृभ्यो श्र्द्ध्या नमो नम:(न्यूनतम 11 बार)।
पितरों की मुक्ति के लिए पितृ गायत्री पाठ का उच्चारण भी किया जाता है, पितृ गायत्री पाठ करने और पितृ गायत्री मंत्रों का उच्चारण करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है
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आइए जानते हैं
पितृ गायत्री मंत्र- pitra gayatri mantra
1. ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
2. ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।
3. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात।’
4. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
इन दिए गए मन्त्रों में से किसी एक का अधिकाधिक जाप करना चाहिए।
पितृपक्ष में पितृ यमलोक से धरती पर अपने वंशजों के पास आते हैं और उनके आस-पास विचरण करते हैं। इसलिए उनके निमित्त श्राद्ध, तर्पण और उनकी मुक्ति हेतु जो भी क्रिया संपन्न की जाती है वो सूक्ष्म रूप में हमारे पूर्वजों प्राप्त होती है।
इन मन्त्रों के जाप के साथ ही संकल्प लेकर ब्राह्मण को भोजन अवश्य कराना चाहिए और इसके लिए ब्राह्मण को घर आमंत्रित करके , उनके पैर धोकर भोजन करवाएं करें और भोजन पश्चात् दक्षिणा दें, संभव हो तो वस्त्र दें। यदि अच्छी सामर्थ्य हो तो गौ दान या भूमि दान भी कर सकते हैं ।
न हो तो भूमि-गौ के लिए द्रव्य दें। इनका भी संकल्प होता है।
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