क्या होता है चौघड़िया मुहूर्त क्या है इसका का महत्त्व importance of Choghadiya Muhurta
भारत के पश्चिमी प्रदेशों में चौघड़िया मुहूर्त (Choghadiya Muhurta) का महत्त्व अधिक है। चौघड़िया मुहूर्त का प्रयोग मुख्य रूप से क्रय विक्रय में किया जाता है। चौघड़िया मुहूर्त सूर्योदय पर निर्भर करता है। इसलिए सभी नगर के लिए ये अलग होता है।
किसी भी दिन के दो भाग हैं दिन और रात। इसमें भी सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य के समय दिन की चौघड़िया और सूर्यास्त और अगले दिन सूर्योदय के मध्य के समय रात्रि की चौघड़िया कहलाती है।
ज्योतिष शास्त्र में सूर्योदय से सूर्यास्त तथा सूर्यास्त से सूर्योदय के बीच के समय को 30-30 घटी में बांटा गया है। चौघड़िया मुहूर्त (Choghadiya Muhurta) के लिए फिर उसी 30 घटी की समय अवधि को 8 भागों में विभाजित किया गया है। जिसके परिणामस्वरूप दिन और रात के दौरान 8-8 चौघड़िया मुहूर्त बन जाते हैं।
एक घटी लगभग 24 मिनट की होती है तथा एक चौघडिया 4 घटी यानि लगभग 96 मिनट का होती है। प्रत्येक चौघड़िया मुहूर्त (Choghadiya Muhurta) लगभग 4 घटी का होता है, इसलिए चौघड़िया मुहूर्त का अर्थ चौघड़िया= चौ (चार) + घड़िया (घटी) है
चौघड़िया में 24 घंटों को 16 हिस्सों में बांटा जाता है। 8 मुहूर्त दिन और 8 मुहूर्त रात्रि में होते हैं। सभी मुहूर्त में डेढ़ घंटे होते हैं। इन्ही को चौघड़िया मुहूर्त कहा गया है
सभी सप्ताह दिन और रात को मिलाकर 112 मुहूर्त होते हैं। किसी यात्रा को प्रारंभ करने से पहले या फिर किसी महतवपूर्ण और शुभ कार्य को करने के लिए चौघड़िया मुहूर्त बहुत महत्त्वपूर्ण होता है।
कोई भी महत्वपूर्ण काम को यदि शुभ मुहूर्त अर्थात अच्छी चौघड़िया में किया जाये तो उस कार्य के बेहतर परिणाम मिलते हैं।
चौघड़िया मुहूर्त (Choghadiya Muhurta) के प्रकार
पौराणिक भारतीय समयनुसार सूर्योदय से दिन का आरम्भ होता है और अगले दिन सूर्योदय पर उस तिथि का अंत होता है। सभी चौघडिया में 3.75 घटी होती है यानि लगभग 4 घटी।
अतः यदि हम एक दिन में देखें तो 16 चौघड़िया होते हैं।
कुल मिलाकर 7 प्रकार के चौघड़िया होती हैं
शुभ
लाभ
अमृत
चर
काल
रोग
उद्वेग,
इन सातों चौघडियों में कुछ अति शुभ , कुछ शुभ, कुछ सामान्य,कुछ अशुभ और कुछ बहुत ही अशुभ होतीं हैं।
सभी चौघड़िया का एक अपना ही महत्त्व है। अतः सरलता से चौघड़िया को ध्यान में रखकर कार्य किये जा सकते हैं। अमृत, शुभ और लाभ काफी शुभ होते हैं। चर सामान्य चौघडिया मुहूर्त होता है। उद्वेग, काल और रोग अशुभ मुहूर्त होते हैं। अतः बहुत महत्वपूर्ण कामों को अमृत, शुभ और लाभ मुहूर्त में ही किया जाना चाहिए।
चौघडिया 2 प्रकार की होती हैं – दिन चौघडिया और रात्रि चौघडिया।
दिन का चौघड़िया सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य का समय होत्ता है।
एक दिन में 8 चौघड़िया होतीं हैं। अमृत, शुभ, लाभ और चर शुभ माने गए हैं। अमृत सबसे अच्छा माना गया है।
रात्रि चौघडिया सूर्यास्त और सूर्योदय के मध्य का समय होता है। एक रात्रि में 8 चौघड़िया होते हैं। रोग, काल और उद्वेग को अशुभ माना गया है। एक घडी 24 मिनट की होती है तो चौघड़िया 1 घंटा 30 मिनट की होती है।
सभी दिन का चौघड़िया मुहूर्त अलग होता है। चौघडिया के अनुसार कार्य किया जाये तो वो ज्यादा फलदायी होता है।
अत्यंत आवश्यक है कि आप अपने स्थान के अनुसार चौघड़िया का सही मुहूर्त निकालें। क्योंकि भिन्न स्थानों पर ये बदल जाती है
चौघड़िया मुहूर्त (Choghadiya Muhurta) का वार और ग्रह से जुड़ाव
प्रत्येक चौघड़िया वार वार और ग्रह से जुडी है
जैसे
रविवार का सूर्य ग्रह है जिसका चौघड़ियां उद्वेग से प्रारंभ होगी ।
सोमवार का चंद्रमा अमृत से,
मंगलवार का मंगल रोग से,
बुधवार का बुध लाभ से,
गुरुवार को गुरु शुभ से,
शुक्रवार का शुक्र चर से,
शनिवार का शनि काल से प्रारंभ होता है।
अर्थात जिस दिन जो वार होता है उस दिन का प्रारंभ उक्त चौघड़िया से होता है।
कौन सी चौघड़िया शुभ और अशुभ होती हैं ?
किसी शुभ कार्य को प्रारम्भ करने के लिए अमृत, शुभ, लाभ और चर चौघड़ियाओं को उत्तम माना गया है और शेष तीन चौघड़ियाओं रोग, काल और उद्वेग में शुभ कार्य नही करने चाहिए
प्रत्येक दिन का पहला मुहूर्त उस दिन के ग्रह स्वामी द्वारा निर्धारित होता है। जैसा ऊपर बताया गया है .
— > उद्वेग चौघड़िया
ज्योतिष में सूर्य के प्रभाव को अशुभ माना गया है क्योंकि वो क्रूर ग्रह हैं इसीलिए इसे उद्वेग के रूप में चिह्नित किया गया है। जिनके सूर्य अच्छे है वो इसमें सरकारी कार्यों को कर सकते है ।
— >चर चौघड़िया
चर चौघड़िया शुक्र की चौघड़िया होती है और शुक्र को एक शुभ और लाभकारी ग्रह माना जाता है। इसलिए चर चौघड़िया को भी शुभ चौघड़िया में चिह्नित किया गया है। शुक्र की चर प्रकृति अर्थात चंचल प्रकृति के कारण चर चौघड़िया को यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है।
— >लाभ चौघड़िया
बुध ग्रह भी शुभ और लाभदायक ग्रह माना जाता है इसलिए इसे लाभ चौघड़िया कहते हैं । लाभ के चौघड़िया में शिक्षा या किसी विद्या को प्राप्त करने का कार्य प्रारंभ किया जाता है तो वह फलदायी होता है।
— >अमृत चौघड़िया
चंद्र ग्रह अति शुभ , सौम्य और लाभकारी ग्रह है। इसीलिए इसे अमृत चौघड़िया कहा गया है। अमृत चौघड़िया को सभी प्रकार के कार्यों के लिए अच्छा माना जाता है और सर्वदा शुभ फलदायी है
— >काल चौघड़िया
शनि को एक पापी ग्रह माना गया है इसीलिए शनि की चौघड़िया काल चौघड़िया कहलाती है। काल चौघड़िया के समय कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। जिनके शनि शुभ फलदायी हो तो धनोपार्जन के लिए की जाने वाली गतिविधियों में ये चौघड़िया लाभदायक सिद्ध होती है।
— >शुभ चौघड़िया
बृहस्पति को भी शुभ ग्रह और लाभकारी ग्रह माना गया है। बृहस्पति की चौघड़िया शुभ मानी गयी है। शुभ चौघड़िया लग्न सगाई – विवाह आदि मांगलिक समारोह आयोजित करने के लिए सबसे अच्छी है।
— >रोग चौघड़िया
मंगल को एक क्रूर ग्रह माना गया है। मंगल की चौघड़िया को रोग की चौघड़िया कहा गया है। रोग चौघड़िया के दौरान कोई वस्त्र , घर का सामान या अन्य शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। जिनके मंगल अच्छे हों उन्हें शत्रु को युद्ध में हराने के लिए रोग चौघड़िया ठीक रहती है।
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निष्कर्ष :
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