Table of Contents
महालक्ष्मी स्तोत्र mahalakshmi stotram 8 shlok to end poverty
साथियों माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए महालक्ष्मी स्तोत्र (mahalakshmi stotram ) सबसे अधिक प्रभावशाली माना जाता है क्योंकि माता लक्ष्मी की कृपा से ही हमारे जीवन में धन वैभव ऐश्चर्य संपदा सुख समृद्धि संपत्ति आदि गुणों की प्राप्ति होती है।
ऐसा कहा जाता है कि देवराज इंद्र ने माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए महालक्ष्मी स्तोत्र की रचना की और महालक्ष्मी स्तोत्र से माता महालक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न हुईं।
महालक्ष्मी स्तोत्र (mahalakshmi stotram ) की रचना का रहस्य ये है कि एक बार देव ऋषि दुर्वासा के श्राप के कारण इंद्रदेव श्रीहीन अर्थात दरिद्र हो गए थे।
तब देवराज इंद्र ने माता लक्ष्मी को मनाने के लिए उनकी प्रार्थना कि और इस प्रार्थना के लिए महालक्ष्मी स्तोत्र की रचना की,इस प्रकार माता महालक्ष्मी ने इस महालक्ष्मी स्तोत्र से प्रसन्न हो इंद्रदेव पर कृपा की ।
जबकि एक अन्य कथा के अनुसार एक बार देव गुरू ‘बृहस्पति’ इंद्र देव से किसी बात पर रूष्ट होकर स्वर्गलोक छोड़कर चले गए थे और तब असुरों ने उस अवसर का लाभ उठा स्वर्गलोक पर आक्रमण कर दिया जिसमे देवता पराजित हुए और असुरों ने स्वर्गलोक को अपने अधिकार मे ले लिया।
तब इंद्रदेव अपनी रक्षा के लिए स्वर्गलोक एक सरोवर के भीतर कमल’ की कली के अंदर अपने आप को छुपा लिया था और वहीं बैठ वे माता लक्ष्मी की एक स्तुति करने लगे और उसी स्तुति को आज हम महालक्ष्मी स्तोत्र (mahalakshmi stotram ) के नाम से जानते हैं ।
महालक्ष्मी स्तोत्र में आठ श्लोक होते हैं और 8 श्लोकों से युक्त होने के कारण ही इस स्तुति को ‘महालक्ष्यमष्टक स्तोत्र’ भी कहा जाता है ।
महालक्ष्मी स्तोत्र की स्तुति अथवा स्तोत्र के पाठ से ही इंद्रदेव की दरिद्रता दूर हुई और उन्हे उनका ऐश्वर्य पुन: प्राप्त हुआ । महालक्ष्मी स्तोत्र की इस स्तुति से किसी भी प्रकार की दरिद्रता का नाश होता है
महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करते समय स्नानादी से निवर्त हो स्वच्छ वस्त्र धारण कर माता महालक्ष्मी जी के चित्र अथवा छोटी मूर्ति के सामने शुद्ध घी का दीपक प्रज्जवलित करना चाहिये और तब स्वच्छ वस्त्र के आसन पर बैठकर इस महालक्ष्मी स्तोत्र पाठ करना चाहिए ।
ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति नित्य एक बार भी महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ कर लेता है, उसकी कैसी भी दरिद्रता और पाप नष्ट हो जाते हैं। निरंतर महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ किसी भी व्यक्ति हमारे जीवन में सभी प्रकार की धन वैभव ऐश्चर्य संपदा सुख समृद्धि संपत्ति आदि गुणों की प्राप्ति होती है
महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ शुक्रवार के दिन से प्रारम्भ करना चाहिए और इसे आरंभ करते समय शुभ समय का भी ध्यान रखना चाहिए
महालक्ष्मी स्तोत्र (mahalakshmi stotram)
“नमस्तेस्तु महामाये श्री पीठे सुरपूजिते ।
शंख चक्र गदाहस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते । 1।
नमस्ते गरूडारूढे कोलासुर भयंकरि ।
शंख चक्र गदाहस्ते महालक्ष्मीनमोस्तुते ।2।
सर्वज्ञे सर्व वरदे सर्व दुष्ट भयंकरि ।
सर्व दु:ख हरे देवि महालक्ष्मी नमोस्तुते । 3।
सिद्धि बुद्धि प्रदे देवि भुक्ति मुक्ति दायिनी ।
मंत्र मूर्ति सदा देवि महालक्ष्मी नमोस्तुते । 4।
आद्यंतर्हिते देवि आद्यशक्ति महेश्वरी ।
योगजे योग सम्भूते महालक्ष्मी नमोस्तुते । 5।
स्थूल सूक्ष्म महारौद्रे महाशक्ति महोदरे ।
महापाप हरे देवि महालक्ष्मी नमोस्तुते । 6।
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्म स्वरूपिणी ।
परमेशि जगन्नमातर्महालक्ष्मी नमोस्तुते । 7 ।
श्वेतांबर धरे देवि नानालंकारभूषिते ।
जगत्स्थिते जगन्नमातर्महालक्ष्मी नमोस्तुते । 8।
महालक्ष्मी स्तोत्र का फल (mahalakshmi stotram ka fal )
महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेन्नभक्ति मान्नर: ।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ।
एककाले पठेन्नित्यं महापातक नाशनम् ।
द्विकालं य: पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वित: ।
त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रु विनाशनं ।
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्नावरदा शुभा ।”
महालक्ष्मी स्तोत्र का महत्व (importance of mahalakshmi stotram)
इस महालक्ष्मी स्तोत्र के निरंतर पाठ से घर से दरिद्रता दूर होने लगती है। इस स्तोत्र को पढ़ने-सुनने मात्र से घर में धन-धान्य संपन्नता आने लगती है। जो व्यक्ति नित्य महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करता है उस व्यक्ति के साथ माता लक्ष्मी सदैव साथ रहती है। ऐसे व्यक्ति को जीवन में कभी भी दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ता है और उसे समस्त सिद्धियों की प्राप्ति होती है, धनधान्य आदि की प्राप्ति होती है,शत्रुओं का नाश होता है और उस पर महालक्ष्मी सदा प्रसन्न रहती है
ये भी पढे : चंद्रमा और हमारा जीवन moon’s effect in our life in detail