उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा का महत्व विस्तार से सरल भाषा मे Utpanna Ekadashi Vrat Katha in easy language
Utpanna Ekadashi Vrat Katha : उत्पन्ना एकादशी व्रत और का सभी व्रतों में विशेष महत्व होता है. क्योंकि इस व्रत के प्रभाव से वर्तमान जन्म और साथ ही पिछले जन्म के पाप मिट जाते हैं. हमारे वंश की अनेक पीढ़ियों के पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है.
जो लोग एकादशी का व्रत आरंभ करना चाहते हैं उनके लिए ये मार्गशीर्ष माह की उत्पन्ना एकादशी से बिल्कुल ठीक समय है और वो इसका आरंभ कर सकते हैं और शास्त्रों में इसे ही पहली एकादशी माना गया है. उत्पन्ना एकादशी के दिन एकादशी देवी की उत्पत्ति हुई थी इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहते हैं
आइए हम सब भी जानते हैं उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा का महत्व विस्तार से सरल भाषा मे (Utpanna Ekadashi Vrat Katha in easy language )
उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा का महत्व (Utpanna Ekadashi Vrat Katha)
एक बार भगवान कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा की कथा सुनाई थी। इस कथा के अनुसार सतयुग में मुर नामक एक राक्षस था जो बहुत बलवान था। उस राक्षस ने इंद्र, आदित्य, वसु, वायु, अग्नि आदि सभी देवताओं को पराजित कर दिया था। दुखी होकर सभी देवताओं ने भगवान शिव के सामने सारी बात रख दी।
तब भगवान शिव ने कहा, हे देवताओं! तीनों लोकों के स्वामी भक्तों के दुखों का नाश करने वाले श्री हरि विष्णु की शरण में चले जाइए। वो ही आपके दुख दूर कर सकते हैं ।
भगवान शिव के कहे अनुसार सभी देवता भगवान विष्णु के पास पहुंच गये और उन्होंने अपना दुख बताते हुए भगवान विष्णु से कहा कि हे प्रभु, राक्षसों ने हमें पराजित करके हमारा स्वर्ग छीन लिया है। आप उस राक्षस से हम सब की रक्षा करें।
भगवान विष्णु ने देवताओं को चंद्रावती नगरी चले जाने को कहा। उस समय राक्षस मुर सेना सहित युद्ध भूमि में सबको ललकार रहा था। तब स्वयं भगवान हरि रणभूमि में आए और उन्होंने राक्षस मुर से युद्ध किया।
ये युद्ध पूरे 10 हजार वर्ष तक चलता रहा लेकिन मुर नहीं मरा। फिर भगवान विष्णु बद्रिकाश्रम चले गए। वहां हेमवती नामक सुंदर गुफा थी उसमें कुछ दिन विश्राम किया। यह गुफा 12 योजन लंबी थी और उसका एक ही दरवाजा था। भगवान विष्णु वहां विश्राम करते-करते सो गए।
मुर भी भगवान विष्णु के पीछे-पीछे उस गुफा में आ गया और भगवान को सोया देखकर मारने की सोचने लगा, तभी भगवान के शरीर से उज्ज्वल, कांतिमय रूप वाली एक देवी प्रकट हुई। देवी ने राक्षस मुर को ललकारा, युद्ध किया और उसे तत्काल उसी समय मृत्यु का द्वार दिया ।
भगवान विष्णु की जब नींद खुली तब उन्हे सब बात पता चली और सब बातों को जानकर उन्होंने उस देवी से कहा कि आपका जन्म एकादशी के दिन हुआ है। अत: आप उत्पन्ना एकादशी के नाम से पूजी जाएंगी। आपके भक्त वही होंगे जो मेरे भक्त हैं।
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