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केतु की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतरदशा का फल Ketu ki Mahadasha me Vibhinn 12 Grahon ki Antardasha ka fal-remedies of malefic Ketu
Ketu ki Mahadasha : केतु की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतरदशा का फल सभी राशियों के लिए भिन्न हो सकता है क्योंकि राहु और केतु दोनों हो चाय ग्रह हैं और दोनों जिस भाव और राशि मे बैठे होते हैं , उस भाव या राशि के गुण धारण कर लेते हैं और राशि के स्वामी के गुणों मे अपने स्वभाव की छाप दे देते हैं जैसे केतु मंगल की राशि मे बैठ मंगल जैसे ही बन जाएंगे लेकिन मंगल की ऊर्जा पर केतु का प्रभाव आ जाएगा , विस्तार से समझने के लिए हमसे स:शुल्क संपर्क कर सकते हैं ।
कुंडली मे केतु की महादशा
(Ketu ki Mahadasha me Vibhinn 12 Grahon ki Antardasha ka fal)
Effect of Ketu in horoscope
केतु की महादशा में ‘केतु’ के अंतरदशा का फल
केतु की महादशा में ‘केतु’ की ही अंतरदशा हो, तो जातक को पुत्र-पुत्री की मृत्यु धन का नाश, अग्नि का भय, दुष्ट स्त्रियों से कलह, रोग आदि अनेक प्रकार के संकटों का सामना करना पड़ता है।
केतु की महादशा में ‘शुक्र’ के अंतरदशा का फल
केतु की महादशा में ‘शुक्र’ की अंतरदशा हो, तो जातक को अग्नि से दाह, तीव्र ज्वर, स्त्री से कलह, स्त्री-त्याग आदि के दुःख भोगने पड़ते हैं और उसके घर में कन्या का जन्म होता है।
केतु की महादशा में ‘सूर्य’ के अंतरदशा का फल
केतु की महादशा में ‘सूर्य’ की अंतरदशा हो, तो जातक को राजा द्वारा पीड़ा, शत्रुओं से विरोध, अग्निदाह, तीव्र ज्वर, विदेश गमन आदि कष्टों का सामना करना पड़ता है।
केतु की महादशा में ‘चंद्रमा’ के अंतरदशा का फल
केतु की महादशा में ‘चंद्रमा’ को अंतरदशा हो, तो जातक को धन की लाभ-हानि, सुख-दुःख की प्राप्ति, स्त्री का लाभ, यश का नाश आदि दोनों ही प्रकार के शुभ एवं अशुभ फल प्राप्त होते हैं।
केतु की महादशा में ‘मंगल’ के अंतरदशा का फल
केतु की महादशा में मंगल’ की अंतरदशा हो, तो जातक का अपने गांव के लोगों से झगड़ा होता है। उसे चोरों के भय तथा शारीरिक पीड़ा का सामना भी करना पड़ता है।
केतु की महादशा में ‘राहु’ के अंतरदशा का फल
केतु की महादशा में ‘राहु’ की अंतरदशा हो, तो जातक को चोरों का भय, शत्रुओं से विरोध तथा अन्य प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है। उसके अंग-भंग हो जाने की संभावना भी रहती है।
केतु की महादशा में ‘गुरु’ के अंतरदशा का फल
केतु की महादशा में ‘गुरु’ की अंतरदशा हो, तो जातक का दुर्जनों अथवा राजमान्य लोगों से संपर्क होता है। उसके घर में पुत्र का जन्म होता है तथा भूमि, धन आदि का लाभ भी होता है।
केतु की महादशा में ‘शनि’ के अंतरदशा का फल
केतु की महादशा में ‘शनि’ की अंतरदशा हो, तो जातक को स्वजनों से कलह तथा वात- पित्त की पीड़ा का शिकार होना पड़ता है तथा परदेश गमन भी करना होता है।
केतु की महादशा में ‘बुध’ के अंतरदशा का फल
केतु की महादशा में ‘बुध’ की अंतरदशा हो, तो जातक को भाई-बंधुओं का स्नेह संयोग, बुद्धि-लाभ, धन प्राप्ति आदि अनेक प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं और किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं उठाना पड़ता है।
कुपित केतु के 3 अचूक उपाय remedies of malefic Ketu
कुपित केतु ग्रह के अशुभता दूर करने के लिए कम्बल ( काला सफेद हो तो अच्छा है ) ,उड़द की काली दाल, लोहा, काली छतरी, काले पुष्प, काले वस्त्र, आदि का वस्तुओं का दान करना चाहिए।
माह के शुक्ल पक्ष के पहले मंगलवार को सुबह शुभ मुहूर्त मे असगंध की जड़ को केतु के मंत्र से अभिमंत्रित करके नीले धागे में पहने।
कोढ़ी को सफेद काले वस्त्रों का दान करें, इसमे ये ध्यान की ये दान उस ग्रह के दिन करें जिसकी राशि मे केतु बैठे हो जैसे कर्क राशि मे बैठे हो तो सोमवार को दान करें ।
निष्कर्ष :
केतु लग्न मे हो तो ऐसा व्यक्ति शांत और अकेले रहना पसंद करता है , ये केतु यदि गुरु बृहस्पति या मंगल की राशि मे होता है तो अच्छा फल देता है जबकि बुध और शुक्र की राशि मे खराब फल देता हैं ।
केतु ग्रह हमारे जीवन के अध्यात्म, वैराग्य, मोक्ष आदि गुणों और गुप्त विद्याओं जैसे तंत्र मंत्र का स्वामी होती है , कुंडली मे अच्छा होने पर ये सफलता के झंडे गाड़ देता हैं
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