स्त्री की कुंडली में सप्तम भाव का क्या है रहस्य Stree ki kundli me saptam bhav- 7th bhav ke 13 rahasya 

स्त्री की कुंडली में सप्तम भाव का क्या है रहस्य Stree ki kundli me saptam bhav- 7th bhav ke 13 rahasya 

स्त्री की कुंडली मे सप्तम भाव का क्या है रहस्य stree ki kundli me saptam bhav- 7th bhav ke 13 rahasya

स्त्री की कुंडली मे सप्तम भाव (Stree ki kundli me saptam bhav) से पति और पुरुष की कुंडली के सप्तम भाव से पत्नी के विषय मे पता चलता है। किसी स्त्री या पुरुष का चरित्र उनकी कुंडली देखकर पता लगाया जाता है। किसी भी स्त्री के लग्न से शरीर और चंद्र से स्त्री के मन का पता चलता है जबकि सप्तम एवं अष्टम भाव से उसके सौभाग्य और संतान आदि का पता चलता  है।

पुरुष का जीवन थोड़ा सार्वजनिक होता है इसलिए पुरुषों के विषय मे पता चल जाता है लेकिन स्त्री रहस्यमयी होती है ।इसलिए आज हम जानेंगे स्त्री की कुंडली में सप्तम भाव (Stree ki kundli me saptam bhav) का क्या है रहस्य

स्त्री की कुंडली में सप्तम भाव का क्या है रहस्य Stree ki kundli me saptam bhav- 7th bhav ke 13 rahasya 

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स्त्री की कुंडली मे सप्तम भाव Stree ki kundli me saptam bhav

जिस स्त्री की कुंडली के सप्तम भाव में

  1. यदि स्त्री की कुंडली मे सप्तम भाव (Stree ki kundli me saptam bhav)सूर्य विद्यमान हो तो उस स्त्री को पति सुख प्राप्त नहीं होता है या पति त्याग देता है।अथवा पति और पत्नी दोनों के बीच में मतभेद होता है तथा दांपत्य जीवन निराशा में भरा हुआ होता है।
  2. यदि चंद्रमा सप्तम भाव में हो तो वह स्त्री बहुत ही सौभाग्यशाली होती है और
  3. यदि सप्तम भाव में बृहस्पति विद्यमान हो तो सर्व संपन्न अपना ग्रस्त जीवन जीती है
  4. यदि कुंडली के सप्तम भाव में मंगल विद्यमान हो तो मांगलिक योग का निर्माण होता है यदि समय पर मांगलिक योग का निवारण नहीं किया जाए तो उस स्त्री को अल्पकाल में ही उसका पति छोड़ कर के चला जाता है अथवा वह स्त्री अल्पकाल में ही विधवा हो जाती है
  5. यदि सप्तम भाव में शनि विद्यमान हो तो ऐसी स्त्री का विवाह देरी से होता है,
  6. यदि स्त्री की कुंडली मे सप्तम भाव (Stree ki kundli me saptam bhav) शुक्र विद्यमान हो तो ऐसी स्त्री भी सभी प्रकार के सौभाग्य से युक्त हो करके अपना जीवन व्यतीत करती है.
  7. कुंडली का सप्तम भाव अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह वैवाहिक और दांपत्य सुख का प्रतिनिधि होता है।
  8. जिस स्त्री की कुंडली का सप्तम भाव निर्बल या सप्तमेश निर्बल हो और उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि नहीं हो तो उस स्त्री का पति बुरे स्वभाव वाला , दुष्ट ,कुविचारों होता है।
  9. यदि सप्तम भाव में चर राशि यानि मेष, कर्क, तुला, मकर हो तो उसका पति विदेश में रहने वाला अथवा घर से बाहर रहकर भ्रमणशील होता है।
  10. यदि सप्तम भाव में द्विस्वभाव राशि मिथुन, कन्या, धनु, मकर हो तो पति कभी घर में कभी परदेस में रहने वाला होता है।
  11. यदि सप्तम भाव में स्थिर राशि वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुंभ हो तो उसका पति घर में निवास करने वाला और स्थिर स्वभाव का होता है।
  12. यदि स्त्री की कुंडली मे सप्तम भाव (Stree ki kundli me saptam bhav) में शनि हो और पाप ग्रहों की दृष्टि उस पर पड़ रही हो तो कुंवारी अवस्था में पुरुष के साथ गलत संपर्क, यौन संबंध स्थापित करती है।
  13. स्त्री की कुंडली में लग्न से सप्तम स्थान में मंगल हो तो स्त्री के बाल विधवा होने की संभावना होती है।

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स्त्री की कुंडली मे सप्तम भाव मे शुभ योग 

स्त्री की कुंडली में लग्न सम राशि 2, 4, 6, 8, 10, 12 को हो तो और शुभ बावों के स्वामी के रूप मे बलवान शुक्र, मंगल, गुरु और बुध लग्न में हों तो वो स्त्री ब्रह्मवादिनी योग मे उत्पन्न मानी जाती है । ऐसी स्त्री ब्रह्म को समझने वाली, अनेक शास्त्रों की ज्ञाता , प्रसिद्ध , धार्मिक और आध्यात्मिक नारी होती है।

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