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Types of Mangal Dosha: Explained in Hindi – मांगलिक दोष के प्रकार 2025
Types of Mangal Dosha :भारत में वैदिक ज्योतिष का विशेष महत्व है, विशेषकर विवाह संबंधी निर्णयों में। कुंडली मिलान के दौरान मांगलिक दोष (Mangal Dosha) एक महत्वपूर्ण विषय है। यह दोष जन्मपत्रिका में मंगल ग्रह की विशिष्ट स्थिति के कारण उत्पन्न होता है। इस लेख में हम मांगलिक दोष के प्रकार, कारण, प्रभाव और उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
मांगलिक दोष क्या होता है?
जब किसी व्यक्ति की कुंडली के लग्न (1st), चतुर्थ (4th), सप्तम (7th), अष्टम (8th), या द्वादश (12th) भाव में मंगल ग्रह स्थित हो, तो उस व्यक्ति को मांगलिक (Manglik) कहा जाता है और यह स्थिति मांगलिक दोष बनाती है। इसे “कुज दोष” या “चिवा दोष” भी कहा जाता है।
मांगलिक दोष के प्रकार (Types of Mangal Dosha
1. लग्न मांगलिक दोष (Ascendant Manglik Dosha)
यदि मंगल लग्न भाव (1st House) में स्थित हो, तो यह व्यक्ति के स्वभाव, स्वास्थ्य और जीवनसाथी से संबंधों पर प्रभाव डालता है। ऐसे जातक सामान्यतः गुस्सैल स्वभाव के होते हैं और जीवनसाथी के साथ तालमेल में समस्या आ सकती है।
2. चतुर्थ भाव मांगलिक दोष (4th House Manglik)
चतुर्थ भाव में मंगल के होने से घर-परिवार और माता के साथ संबंध प्रभावित होते हैं। यह व्यक्ति के घरेलू जीवन में अशांति और अस्थिरता ला सकता है।
3. सप्तम भाव मांगलिक दोष (7th House Manglik)
सप्तम भाव विवाह, जीवनसाथी और साझेदारी का भाव होता है। यहां मंगल की उपस्थिति वैवाहिक जीवन में तनाव, कलह और वैराग्य ला सकती है। यह सबसे प्रभावशाली मांगलिक दोषों में से एक माना जाता है।
4. अष्टम भाव मांगलिक दोष (8th House Manglik)
अष्टम भाव में स्थित मंगल दीर्घायु, दुर्घटना और मानसिक तनाव का कारक बनता है। विवाह में अस्थिरता, अचानक घटनाएं या रोग-व्याधि की संभावना अधिक रहती है।
5. द्वादश भाव मांगलिक दोष (12th House Manglik)
द्वादश भाव में मंगल खर्च, वैवाहिक सुख में कमी और विदेश यात्रा से संबंधित परेशानियों का कारण बनता है। वैवाहिक जीवन में मानसिक दूरी या गलतफहमियों की संभावना रहती है।
विशेष स्थितियां जो मांगलिक दोष को शमन करती हैं
- यदि कुंडली में मंगल स्वगृही (मेष या वृश्चिक), उच्च का (मकर) या मित्र राशि में हो तो दोष की तीव्रता कम हो जाती है।
- यदि चंद्र, गुरु या शुक्र जैसे शुभ ग्रह मंगल के साथ युति या दृष्टि करें, तो दोष कमजोर हो सकता है।
- यदि दोनों पति-पत्नी की कुंडली में मांगलिक दोष हो, तो वे एक-दूसरे को संतुलित करते हैं और दोष निष्प्रभावी हो जाता है।
- मंगल की दृष्टि 4th, 7th और 8th भावों पर विशेष रूप से प्रभाव डालती है, अतः दृष्टि स्थान भी महत्वपूर्ण होता है।
मांगलिक दोष के प्रभाव
- वैवाहिक जीवन में कलह और तलाक की संभावनाएं
- गुस्सा, अधीरता, और स्वभाव में चिड़चिड़ापन
- जीवनसाथी के स्वास्थ्य पर असर
- मानसिक तनाव, वैराग्य या अकेलापन
- संतान सुख में विलंब या बाधा
मांगलिक दोष से बचाव के उपाय
- मांगलिक से मांगलिक विवाह: सबसे प्रभावी उपाय है कि मांगलिक व्यक्ति का विवाह दूसरे मांगलिक व्यक्ति से हो।
- कुंभ विवाह: कुछ विशेष परिस्थितियों में कुंभ विवाह करवा कर मांगलिक दोष का शमन किया जाता है।
- हवन और पूजन:
- मंगल शांति यज्ञ
- नवग्रह पूजन
- हनुमान चालीसा, मंगल स्तोत्र, और अंगारक स्तोत्र का नियमित पाठ
- मंगलवार के दिन व्रत रखना: उपवास और मंदिर में हनुमान जी की सेवा करना दोष निवारण में सहायक होता है।
- रत्न धारण:
- ज्योतिषाचार्य की सलाह पर मूंगा (लाल रत्न) धारण किया जा सकता है।
- ध्यान रहे, बिना परामर्श के रत्न न पहनें।
आधुनिक संदर्भ में मांगलिक दोष
आज के आधुनिक युग में भी ज्योतिष का महत्व कम नहीं हुआ है। परंतु, कई बार लोग बिना उचित परामर्श के डर या भ्रांति में रहते हैं। मांगलिक दोष होने का अर्थ यह नहीं कि विवाह जीवन असफल होगा।
वास्तव में, ज्योतिष केवल संभावनाओं का विज्ञान है — यह मार्गदर्शन करता है, भविष्यवाणी नहीं। मांगलिक दोष केवल तभी कष्टदायक होता है जब अन्य ग्रह स्थिति भी प्रतिकूल हो।
निष्कर्ष (Conclusion)
मांगलिक दोष एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय विषय है, जिसे सही ढंग से समझना आवश्यक है। इसके विभिन्न प्रकार, प्रभाव और उपायों को समझकर जीवन में संतुलन लाया जा सकता है।
Remark :
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