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Kundli me Ashtmesh: कुंडली में अष्टम भाव के स्वामी अष्टमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 8th lord in 12 different houses
Kundli me Ashtmesh: कुंडली में अष्टम भाव मृत्यु का भाव कहलाता है। इसके साथ ही ये अकस्मात धन प्राप्ति का भाव भी होता है । अष्टम भाव का लग्न या पंचम भाव से संबंध होने से वो गुप्त विद्या की अच्छी समझ होती है , ऐसा व्यक्ति किसी विशेष कला में दक्ष हो सकता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली मे अष्टमेश का संबंध पंचम अथवा लग्न भाव से हो तो ऐसे व्यक्ति मे कोई न कोई कला अवश्य होती है।
वहीं पंचमेश और अष्टमेश का संबंध आकस्मिक धन प्रदान करता हैं और जब अष्टम भाव का संबंध त्रिकोण से हो तो ऐसा व्यक्ति अत्यधिक धैर्यवान होता है ।
आइये आज समझते हैं
कुंडली में अष्टम भाव के स्वामी अष्टमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति
Kundli me Ashtmesh: 8th lord in 12 different houses
1. कुंडली में अष्टम भाव अर्थात आयु मृत्यु एवं पुरातत्त्व स्थान का स्वामी अष्टमेश यदि लग्न अर्थात् प्रथम भाव में बैठा हो तो व्यक्ति दीर्घकालीन रोगी, विद्वान, अपने हित की बात करने वाला, राजा की आज्ञा का पालन करके धन प्राप्त करने वाला तथा अनेक प्रकार के विघ्नों में पड़ने वाला होता है।
2. कुंडली में अष्टम भाव का स्वामी अष्टमेश यदि द्वितीय भाव में बैठा हो और वह पाप ग्रह हो, तो व्यक्ति अल्पायु चोर तथा शत्रुओं से पीड़ित होता है। यदि शुभ ग्रह हो, तो वह शुभ फल देने वाला होता है, किंतु उसकी मृत्यु राजा द्वारा होती है।
3.कुंडली में अष्टम भाव का स्वामी अष्टमेश यदि तृतीय भाव में बैठा हो, तो व्यक्ति मित्रों तथा भाइयों का विरोधी, कटुभाषी, अंगहीन, चंचल स्व भाव का अथवा भाइयों से रहित होता है।
4. कुंडली में अष्टम भाव का स्वामी अष्टमेश यदि चतुर्थ भाव में बैठा हो, तो व्यक्ति अपने पिता. का शत्रु होता है। पिता-पुत्र में झगड़ा होता है तथा पिता रोगी भी बना रहता है, किंतु ऐसा व्यक्ति अपनी माता से धन प्राप्त करता है।
5. कुंडली में अष्टम भाव का स्वामी अष्टमेश यदि पंचम भाव में बैठा हो और वह पाप ग्रह हो, तो व्यक्ति पुत्रहीन होता है। यदि शुभ ग्रह हो तो पुत्रवान होता है। इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति प्रायः जीवित नहीं रहता और यदि जीवित रहता है, तो वह महाभूर्त होता है।
6. कुंडली में अष्टम भाव का स्वामी अष्टमेश यदि पष्ठ भाव में बैठा हो, तो व्यक्ति राजा का विरोधी होता है, गुरु हो तो अंगहीन, शुक्र हो तो नेत्र रोगी, चंद्रमा हो तो रोगी, मंगल हो तो क्रोधी, बुध हो तो कायर, शनि हो तो तृष्णाकुल एवं कष्ट पाने वाला होता है। यदि चंद्रमा पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो, तो उक्त अशुभ फल नहीं होता।
7. अष्टम भाव का स्वामी अष्टमेश यदि सप्तम भाव में हो, तो व्यक्ति उदर रोग से युक्त, दुष्ट स्व भाव वाला तथा कुशीला स्त्री का पति होता है। अष्टमेश यदि पाप ग्रह हो, तो व्यक्ति स्त्री का द्वेषी होता है और स्त्री के द्वारा ही उसकी मृत्यु होती है।
8. अष्टम भाव का स्वामी अष्टमेश यदि अपने ही घर अष्टम भाव में हो, तो व्यक्ति बलवान, निरोग, कपटी तथा व्यवसायी होता है। वह कपटी तथा कुल में अत्यंत प्रसिद्ध होता है।
9. अष्टम भाव का स्वामी अष्टमेश यदि नवम भाव में हो, तो व्यक्ति सहायकों से होन जीवघातक, पापी, बंधु-हीन, स्नेह-हीन, कुल के शत्रुओं द्वारा पूज्य तथा कांतिहीन मुख वाला. होता है।
10. अष्टम भाव का स्वामी अष्टमेश यदि दशम भाव में हो तो व्यक्ति राज्य कर्मचारी,नीच कर्म करने वाला तथा आलसी होता है। यदि अष्टमेश पाप ग्रह हो, तो व्यक्ति पुत्र-होन तथा मातृहीन होता है।
11. कुंडली में अष्टम भाव का स्वामी अष्टमेश यदि एकादश भाव में हो, तो व्यक्ति बाल्यावस्था में दुःखी, किंतु बाद में सुखी और दीर्घायु होता है। यदि अष्टमेश पाप ग्रह हो, तो व्यक्ति अल्पायु होता है।
12. कुंडली में अष्टम भाव का स्वामी अष्टमेश यदि द्वादश भाव में हो, तो व्यक्ति कटुभाषी, चोर,शठ, निर्दय इच्छागामी तथा अंगहीन होता है। मृत्यु के उपरांत उसका शरीर कौआ-गिद्ध आदि पक्षियों का भक्ष्य बनता है।
निष्कर्ष :
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