Table of Contents
भोजन से जुड़े वास्तु के नियम 5 Vaastu rules related to food
मित्रों भोजन से जुड़े वास्तु के नियम (Vaastu rules related to food) जानना हमारे के लिए इसलिए आवश्यक है क्योंकि आज के समय में चाहे व्यक्ति निर्धन हो या धनवान , हम सभी का लक्ष्य अपने थाली मे अच्छा भोजन , अच्छे वस्त्र , अच्छा वाहन और अच्छा निवास प्राप्त करना ही होता है ।अन्नपूर्णा माता, हमारी थाली में भोजन कैसा होगा इसका निर्धारण करती है और साथ ही हमारे घर का वास्तु भी भोजन से जुड़े कुछ नियम बताता है ।
Photo by Spencer Davis on Unsplash
अपनी थाली मे अच्छा भोजन प्राप्त करने के लिए वास्तु के कुछ नियम होते हैं जिन्हें आप आज की पोस्ट भोजन के लिए वास्तु के नियम में जानेंगे
सनातन धर्म मानने वाले सभी लोग भोजन करने से पहले अन्न देवता या मां अन्नपूर्णा को प्रणाम करते हैं और इसका कारण यह होता है कि सनातन धर्म के अनुसार भोजन में ही मां अन्नपूर्णा का निवास होता है अन्नपूर्णा माता की कृपा से ही हमारी थाली में स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन आता है
तो जब भी धन की कमी के कारण यानि आर्थिक तंगी के कारण हमे अच्छा भोजन प्राप्त न हो पा रहा हो तो अपने द्वारा जाने अनजाने मे हुई त्रुटि अथवा भोजन बर्बादी के लिए माता अन्नपूर्णा का स्मरण करके उनसे क्षमा मांगनी चाहिए और उनसे प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमें अच्छा भोजन प्रदान करें और कभी भी अपने घर में भोजन की बर्बादी नहीं करनी चाहिए चाहे आपके घर में कितना ही धन हो कितनी ही संपत्ति हो कितना ही वैभव हो।
भोजन से जुड़ी गलती होने पर मां लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं और घर मे आर्थिक तंगी छा जाती है, वास्तु शास्त्र में भोजन करने से जुड़े कुछ नियम होते हैं जिन्हे सबको मानना चाहिए
आइए जानते हैं भोजन से जुड़े वास्तु के नियम
भोजन से जुड़े वास्तु के नियम (Vaastu rules related to food)
- हिंदू धर्म मे और वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि भोजन पकाते समय शुद्धता का ध्यान रखें । हमे स्नान करने के बाद ही अपने और परिवार वालों के लिए भोजन बनाना चाहिए ।
- रसोई को हमेशा साफ-सुथरा रखें और रात में जूठे बर्तन धोकर सोएं क्योंकि ऐसा न करने से मां लक्ष्मी और देवी अन्नपूर्णा को रुष्ट हो जाती है ।
- भोजन पकाने के लिए उत्तर या पूर्व दिशा शुभ मानी गई है , कभी भी दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन नहीं पकाना चाहिए ।
- भोजन करने के बाद कभी भी भोजन की थाली में हाथ नहीं धोना चाहिए क्योंकि अनेक लोग थाली में खाना खाने के बाद में उसी में हाथ धो लेते हैं , ऐसा करने से घर और जीवन मे दरिद्रता आती है ।
- जितनी भूख लगी हो उतना ही भोजन थाली में लें यदि आप धनवान है तो भी भोजन बर्बाद न करें , बचा भोजन भूखे और निर्धन लोगों को दे दें । भोजन की बर्बादी से मां लक्ष्मी नाराज होती हैं ।
भोजन करने की सही दिशा – वास्तु के नियम (Vaastu rules related to food)
- यदि भोजन वास्तु अनुसार गलत दिशा में बैठकर किया जाए तो व्यक्ति का भाग्य साथ नहीं देता है वास्तुशास्त्र के अनुसार भोजन करने के लिए सबसे उचित और शुभ दिशा उत्तर और पूर्व हैं , भोजन करते समय कभी भी दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन नहीं करना चाहिए।
- दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना गया है । यदि दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करें तो आयु कम हो जाती हैं और दुर्भाग्य में वृद्धि होती हैं। भोजन करने के लिए पश्चिम दिशा को भी उचित नहीं बताया गया हैं क्योंकि ऐसा करने से भोजन देर मे पचता है ।
- दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से व्यक्ति पर कर्ज का बोझ बढ़ जाता हैं उसे आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। दक्षिण दिशा को अशुभ माना जाता हैं।
निष्कर्ष :
साथियों हमें आशा है कि आपको ये पोस्ट “भोजन से जुड़े वास्तु के नियम 5 Vaastu rules related to food ” पसंद आई होगी , यदि हाँ तो इसे अपने जानने वालों में share करें। , कुंडली विश्लेषण के लिए हमारे WhatsApp number 8533087800 पर संपर्क कर सकते हैं
अब यदि कोई ग्रह ख़राब फल दे रहा हो , कुपित हो या निर्बल हो तो उस ग्रह के मंत्रों का जाप , रत्न आदि धारण करने चाहिए ,
अपना ज्योतिषीय ज्ञान वर्धन के लिए हमारे facebook ज्योतिष ग्रुप के साथ जुड़े , नीचे दिए link पर click करें
********************************************************
ये भी पढे : कैसे एक कारपेंटर 350 करोड़ की सम्पति का स्वामी है,Rajnikanth Success story in Hindi
****************************************
सरल भाषा में computer सीखें : click here
****************************************
ये भी पढे : मूर्खों का बहुमत– पंचतंत्र की कहानी – panchtantra ki kahaniyan The Majority of Fools Story In Hindi
ये भी पढे : राजा और मुर्ख बंदर की कहानी No1 funny Panchatantra Story of the king and the foolish monkey
ये भी पढ़े : पुरुष और स्त्री की कुंडली में अवैध संबंध के योग 21 extramarital affairs conditions