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स्तंभेश्वर महादेव मंदिर दिन में 2 बार गायब हो जाता है Miraculous Stambeshwar Mahadev Temple disappears twice a day
Stambeshwar Mahadev Temple स्तंभेश्वर महादेव मंदिर : गुजरात के बढ़ोदरा जनपद में भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर है जो दिन में दो बार गायब हो जाता है और फिर अपने आप आ भी जाता है, इस मंदिर की इसी विशेषता के कारण ये पूरे संसार में प्रसिद्द है और भगवान शिव के इस अद्भुत और प्राचीन मंदिर के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से प्रभु शिव के भक्त यहाँ आते हैं।
आइए जानते हैं भगवान भोलेनाथ के इस अद्भुत मंदिर के बारे में
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर कहां स्थित है
दिन में दो बार गायब होने वाला मंदिर गुजरात के बढ़ोदरा जनपद में वडोदरा नगर से लगभग 40 किलोमीटर दूर जम्बूसार तहसील में कवि कंबोई गांव में स्थित है ।
150 वर्ष पुराना ये शिव मंदिर गुजरात में वडोदरा के पास सबसे लोकप्रिय धार्मिक स्थलों में से एक है। पूरे वर्ष इस शिव मंदिर में भक्तों की भींड लगी रहती है। संसार के कोने कोने से भगवान् शिव के भक्त इस आश्चर्यजनक घटना को देखने और अपनी मनोकमना पूर्ण होने की कामना लेकर इस मंदिर में आते हैं। सावन माह में इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या और भी बढ़ जाती है।
स्कंद पुराण में स्तंभेश्वर महादेव की कथा
स्कन्द पुराण के अनुसार भगवान कार्तिकेय के ताड़कासुर नाम के राक्षस का वध करने के बाद स्तंभेश्वर मंदिर को स्थापित किया था। ऐसा कहा जाता है कि ताड़कासुर राक्षस भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था और भगवान् शिव से वरदान मांगने के लिए उसने भगवान की घोर तपस्या की जिससे भगवान् उससे प्रसन्न हो गए और उसके सामने प्रकट हो वरदान मांगने को कहा।
तब भगवान शिव से ताड़कासुर ने आशीर्वाद माँगा कि आपके पुत्र के अतिरिक्त पूरे ब्रह्माण्ड में उसे कोई मार न सके और भोले नाथ ने उसे माँगा हुआ आशीर्वाद दे दिया और आशीर्वाद पाकर ताड़कासुर ने पूरे ब्रह्मांड में उत्पात मचाना शुरू कर दिया।
देवी देवता प्रभु सही के पास आये और उन्हें इस बात की जानकारी दी जिसके बाद संसार को ताड़कासुर के अत्याचार से मुक्त कराने के लिए भगवान शिव के तेज से शिव पुत्र कार्तिकेय उत्पन्न लेकिन जब शिव पुत्र कार्तिकेय को ये ज्ञात हुआ कि ताड़कासुर मेरे पिता शिवजी के भक्त हैं और पूरे संसार में उत्पात कर रहें हैं तो कार्तिकेय व्यथित हो गए।
तब सभी देवी देवताओं के मार्गदर्शन के बाद ताड़कासुर का वध कर दिया लेकिन भगवान कार्तिकेय भी ताड़कासुर की शिव भक्ति से प्रसन्न थे और इसलिए कार्तिकेय जी ने जहां ताड़कासुर का वध किया गया था वहीँ पर एक शिवलिंग स्थापित कर दिया जोकि आज स्तंभेश्वर मंदिर के नाम से विख्यात है।
एक दूसरी कथा के अनुसार
राक्षस ताड़कासुर के वध के बाद भगवान कार्तिकेय को ग्लानि का अनुभव हो रहा था और वो एक शिव भक्त के वध के लिए स्वंम को दोषी मान रहे थे क्योंकि ताड़कासुर राक्षस भगवान शिव का परम भक्त था , तब भगवान विष्णु ने उन्हें शिव लिंग स्थापित करने और शिव जी से क्षमा के लिए पूजा प्रार्थना करने की सलाह दी ,राक्षस ताड़कासुर के वध के बाद भगवान कार्तिकेय भी शिव के एक परम भक्त के वध के पाप से मुक्त होने के लिए चाहते थे इसलिए कार्तिकेय जी ने एक शिव लिंग स्थापित किया जो आज स्तंभेश्वर मंदिर के नाम से जाने जाते हैं ।
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर के गायब होने का कारण
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर के गायब होने का कारण है ये है कि स्तंभेश्वर मंदिर समुद्र के तट पर समुद्र से कुछ मीटर की दूरी पर स्थित है। जब समुद्र का जल स्तर बढ़ जाता है तो ये मंदिर जलमग्न हो जाता है। और जब कुछ समय बाद जल स्तर घट जाता है तो मंदिर फिर से दिखने लगता है।
चूंकि समुद्र का जल स्तर दिन में दो बार बढ़ता है इसलिए स्तंभेश्वर महादेव मंदिर नित्य सुबह और शाम के समय ही कुछ समय के लिए जलमग्न हो जाता है और दिखता नही है जिसे लोग बोलते है कि स्तंभेश्वर महादेव मंदिर गायब हो जाता है।
जबकि ये मंदिर गायब नही वरन समुद्र जल में डूब जाता है और दिखाई नही देता है , भगवान् शिव के भक्तो के अनुसार समुद्र स्वंम प्रभु शिव का अभिषेक करना कहते हैं इसीलिए ऐसी घटना घटती है
इस मंदिर की इसी विशेषता को देखने संसार के कोने कोने से शिव भक्त याहन एकत्रित होते हैं।
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन समय
Stambheshwar Mahadev Temple Darshan Timings
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर में शिव जी के दर्शनों का समय ज्वार या लहरों से प्रभावित जल स्तर के अनुसार बदलता रहता है
(its changes according to the tides or waves levels)
दिन | दर्शन समय Darshan Time (1st Session) | दर्शन समय Darshan Time (2nd Session) |
प्रतिपदा- एकम | 9.15am से 3.45pm | 9.15 pm से 3.45 am |
द्वितीया- दौज | 10.30 am से 4.30pm | 10.30 pm से 4.30 am |
तृतीया- तीज | 11.15 am से 5.15 pm | 11.15 pm से 5.15 am |
चतुर्थी-चौथ | 12 Noon से 6.00 pm | 12 अर्धरात्रि से 6.00 am |
पंचमी | सूर्य उदय से 7.00 am | 1.00 pm से 4.00 pm |
षष्ठी | सूर्य उदय से 7.45 am | 1.15 pm से 7.15 pm |
सप्तमी | सूर्य उदय से 8.00 am | 2.30 pm से 8.30 pm |
अष्टमी | सूर्य उदय से 9.45 am | 3.15 pm से 9.15 pm |
नवमी | सूर्य उदय से 10.00 am | 4.00 pm से 10.00 pm |
दशमी | सूर्य उदय से 10.45 am | 4.45 pm से 10.45 pm |
एकादशी | 5.30 am से 11.30 am | 5.30 pm से 11.30 pm |
द्वादशी | 6.30 am से 12.30 pm | 6.30 pm से अर्धरात्रि 00.30 am |
त्रयोदशी | 7.15 am से 1.15 pm | 7.15 pm से अर्धरात्रि 1.15 am |
चतुर्दशी | 8.00 am से 2.00 pm | 8.00 pm से अर्धरात्रि 2.00 am |
पूर्णिमा व् अमावस्या (अमावस) | 9.00 am से 3.00 pm | 9.00 pm |
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर में आरती का समय
Stambheshwar Mahadev Temple Aarti Timings
दिन | प्रातःकालीन दर्शन समय | संध्याकालीन दर्शन समय |
प्रतिपदा- एकम | 9:15 TO 15:45 | 21:15 TO 03:45 |
द्वितीया- दौज | 10:30 TO 16:30 | 22:30 TO 04:30 |
तृतीया- तीज | 11:15 TO 17:15 | 23:15 TO 05:15 |
चतुर्थी-चौथ | 12:00 TO 18:00 | 00:00 TO 06:00 |
पंचमी | सूर्योदय TO 7:00 | 13:00 TO 16:00 |
षष्ठी | सूर्योदय TO 7:45 | 13:15 TO 19:15 |
सप्तमी | सूर्योदय TO 8:00 | 14:30 TO 20:30 |
अष्टमी | सूर्योदय TO 9:45 | 15:15 TO 21:15 |
नवमी | सूर्योदय TO 10:00 | 16:00 TO 22:00 |
दशमी | सूर्योदय TO 10:45 | 16:45 TO 22:45 |
एकादशी | 05:30 TO 11:30 | 17:30 TO 23:30 |
द्वादशी | 06:30 TO 12:30 | 18:30 TO 00:30 |
त्रयोदशी | 17:15 TO 13:15 | 19:15 TO 01:15 |
चतुर्दशी | 08:00 TO 14:00 | 20:00 TO 02:00 |
पूर्णिमा व् अमावस्या (अमावस) | 09:00 TO 15:00 | 21:00 TO 03:00 |
कैसे पहुंचे स्तंभेश्वर महादेव मंदिर ?
How to reach Stambeshwar Mahadev Temple?
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर वड़ोदरा जनपद में है जो वायु , रेल और सड़क मार्ग से देश विदेश के अनेक प्रमुख नगरों से जुड़ा हुआ है इसलिए आप स्तंभेश्वर महादेव मंदिरके दर्शन के लिए वायु , रेल और सड़क मार्ग तीनो से ही आ सकते हैं .
वायु मार्ग से स्तंभेश्वर महादेव मंदिर कैसे पहुंचे?
How to reach Stambeshwar Mahadev Temple by flight ?
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर वड़ोदरा जनपद में है इसलिए स्तंभेश्वर महादेव मंदिर का निकटतम एअरपोर्ट वडोदरा अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा Vadodara International Airport (IATA: BDQ, ICAO: VABO) है जो कवि कम्बोई से 81.9 किमी दूर है
रेलमार्ग से स्तंभेश्वर महादेव मंदिर कैसे पहुंचे?
How to reach Stambheshwar Mahadev Temple by train ?
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर, कवि कम्बोई से वडोदरा जंक्शन रेलवे स्टेशन जिसे पूर्व में बड़ौदा सिटी जंक्शन कहा जाता था निकटतम रेलवे स्टेशन है , ये गुजरात राज्य का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है जोकि दिल्ली जंक्शन, नई दिल्ली, अंबाला कैंट, हावड़ा, पटना जंक्शन,कानपुर सेंट्रल, विजयवाड़ा जंक्शन,आसनसोल जंक्शन आदि रेलवे स्टेशनों से भलीभांति जुड़ा हुआ है और ये रेलवे स्टेशन गुजरात राज्य में सबसे व्यस्त और भारत का नौवां सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन है.
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सड़क मार्ग से स्तंभेश्वर महादेव मंदिर कैसे पहुंचे?
How to reach Stambheshwar Mahadev Temple by road ?
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर वड़ोदरा जनपद में कवि कंबोई नाम के स्थान पर है जो देश के अनेक प्रमुख नगरों से भली भलीभांति जुड़ा हुआ है, आप यहाँ टैक्सी करके या निजी वाहन से सरलता से जा सकते हैं।
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