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कामदा एकादशी 2023 किस दिन मनाए 1 या 2 अप्रैल ? जाने शुुभ मुहूर्त, पूजा विधि आदि (Kamada Ekadashi 2023 Date)
Kamada Ekadashi 2023 Date: चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी व्रत मनाया जाता है। कामदा एकादशी को फलदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. कुछ लोग इस वर्ष कामदा एकादशी व्रत को 1 अप्रैल तो कुछ 2 अप्रैल कह रहे हैं । ऐसे में लोगों के मन में भ्रम उत्पन्न हो जाता है कि किस दिन कामदा एकादशी व्रत रखना चाहिए ।
कामदा एकादशी व्रत हमारी सभी मनोकामना की पूर्ति करने वाला व्रत माना गया है. ऐसा कहा गया है कि यह व्रत सभी प्रकार की घरेलू यानि पारिवारिक समस्याओं को दूर कर देता है । कामदा एकादशी व्रत के विषय मे विष्णु पुराण में भी वर्णन मिलता है, कामदा एकादशी व्रत रखने से हमे हमारे सभी कार्यों में सफलता मिलती है और जाने अनजाने हुए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मृत्यु उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कामदा एकादशी व्रत को सभी सांसारिक इच्छाओं को पूरा करने के लिए किया जाता है.
आइये जानते हैं इस वर्ष यानि कामदा एकादशी 2023 कब है? जाने शुुभ मुहूर्त, पूजा विधि,महत्व और कथा
कब है कामदा एकादशी 2023 ?
( Kab Hai Kamada Ekadashi 2023 Date )
कामदा एकादशी व्रत 2023 तिथि
पंचांग के अनुसार, 01 अप्रैल को प्रातः 01 बजकर 58 मिनट से एकादशी तिथि प्रारंभ होगी और 02 अप्रैल को प्रातः 04 बजकर 19 मिनट पर समाप्त हो जाएगी । इसलिए इस वर्ष यह एकादशी व्रत 1 अप्रैल को है.
पंचांग के अनुसार कामदा एकादशी व्रत 1 और 2 अप्रैल 2023 दोनों ही दिन रखा जा सकता है , गृहस्थी वाले इसे 1 अप्रैल और वैष्णव संप्रदाय वाले लोग इसे 2 अप्रैल को मनाएंगे
कामदा एकादशी व्रत 2023 का पारण का समय
कामदा एकादशी व्रत 2023 का पारण का समय 2 अप्रैल 01 बजकर 40 मिनट से सायं 04 बजकर 10 मिनट तक है।
वैष्णव संप्रदाय वाले लोगों के लिए पारण का समय 3 अप्रैल को प्रातः 06 बजकर 09 मिनट से प्रातः 06 बजकर 24 मिनट तक है। इस दिन द्वादशी समाप्त होने का समय प्रातः 06 बजकर 24 मिनट तक है।
कामदा एकादशी व्रत की पूजा विधि
कामदा एकादशी व्रत के दिन प्रातः स्नान आदि से निवृत हो स्वच्छ वस्त्र धारण करें , प्रत्येक एकादशी के दिन व्रत का संकल्प लेने के बाद भगवान विष्णु की पूजा की जाती है इसलिए मंदिर में देवी- देवताओं को स्नान कराने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहना कर मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
और उसके बाद व्रत का संकल्प ले और व्रत को प्रारंभ करें , भगवान विष्णु का ध्यान करके उन्हे भोग लगाएं जिसमे तुलसी पत्र अवश्य प्रयोग करें , दूध, फल, फूल, मिठाई , पंचामृत अर्पित करें। भगवान विष्णु का पूजन कभी अकेले न करें बल्कि माता लक्ष्मी की पूजा भी करें। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा एक साथ ही की जाती है जो हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली होती है।
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