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Kundli me dashmesh: कुंडली में दशम भाव के स्वामी दशमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 10th lord in 12 different houses
Kundli me dashmesh:कुंडली में दशम भाव कर्म को निर्धारित करता है । यह हमारे जीवन से जुड़े हुए सभी कार्यों को और साथ ही साथ हमारे व्यवसाय या हमारे शुभ कर्म या अशुभ कर्म प्रकार के कार्यों का निर्धारण करता है। इसके साथ ही दशम भाव से हमारे पिता की धन की स्थिति भी पता चलती है और दशम के सप्तम ( सातवे ) यानि चतुर्थ ( चौथे ) भाव पर दशम भाव का प्रभाव होने से हमारे आवास अर्थात हमारा मकान भी इस भाव से प्रभावित होता है इसलिए दशम भाव तो बिना देखे और साथ ही साथ बिना दशांश कुंडली के अध्ययन करें किसी भी व्यक्ति के कार्यों का फलित कभी भी नहीं करना चाहिए,
आइए अब जानते हैं
कुंडली में दशम भाव के स्वामी दशमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति
Kundli me dashmesh : 10th lord in 12 different houses
दशम भाव के स्वामी “दशमेश” या 10th लॉर्ड (Kundli me dashmesh)
1:- दशम भाव अर्थात् पिता, राज्य एवं व्यवसाय स्थान का स्वामी ’10th लॉर्ड’ अथवा ‘दशमेश’ यदि लग्न अर्थात प्रथम भाव में बैठा हो, तो व्यक्ति अपनी माता का शत्रु, परंतु पिता का भक्त होता है। यदि दशमेश पाप ग्रह हो, तो व्यक्ति के पिता के मरने के बाद उसकी माता दूसरे पुरुष के साथ रहने लगती है।
2:- दशम भाव का स्वामी 10th लॉर्ड यदि द्वितीय (दूसरे) भाव में बैठा हो, तो व्यक्ति माता का भक्त, माता का स्नेह प्राप्त करने वाला, स्वल्पभोजी तथा शास्त्र विहित कार्यों को करने वाला होता है।
3:- दशम भाव का स्वामी 10th लॉर्ड यदि तृतीय ( तीसरे ) भाव में बैठा हो, तो व्यक्ति माता, गुरुजनों एवं परिजनों की सेवा करने वाला, सत्कर्म करने में कुशल, पराक्रमी तथा शत्रुओं पर विजय पाने वाला होता है।
4:- दशम भाव का स्वामी 10th लॉर्ड यदि चतुर्थ ( चौथे ) भाव में बैठा हो, तो व्यक्ति सदाचारी, माता-पिता का भक्त, राजमान्य एवं सदैव सुख भोगने वाला होता है।
5:- दशम भाव का स्वामी 10th लॉर्ड यदि पंचम ( पाँचवे ) भाव में बैठा हो, तो व्यक्ति शुभ कर्म करने वाला, गीत वाद्य आदि कलाओं में निपुण, राजा द्वारा लाभ प्राप्त करने वाला तथा विडंबना में पड़ने वाला होता है। उसकी संतान का पालन-पोषण भी उसकी माता ही करती है।
6:- दशम भाव का स्वामी 10th लॉर्ड यदि षष्ठ ( छठे ) भाव में बैठा हो, तो व्यक्ति शत्रुओं से भयभीत रहने वाला, कायर, दयाहीन, रोगी तथा झगड़ालू स्व भाव का होता है।
७:- दशम भाव का स्वामी 10th लॉर्ड यदि सप्तम ( सातवे ) भाव में बैठा हो, तो व्यक्ति की स्त्री सुंदर, पुत्रवती, पतिव्रता तथा अपने पति को सदैव सुख देने वाली होती है।
8:- दशम भाव का स्वामी 10th लॉर्ड यदि अष्टम ( आठवे ) भाव में बैठा हो, तो व्यक्ति शूर-वीर, क्रूर, मिथ्यावादी, दुष्ट स्व भाव वाला, धूर्त, अल्पायु एवं अपनी माता को संताप देने वाला होता है।
9:- दशम भाव का स्वामी 10th लॉर्ड यदि नवम ( नौवे ) भाव में बैठा हो, तो व्यक्ति सुशील स्व भाव का एवं अच्छे मित्रों तथा भाइयों वाला होता है। उसकी माता पुण्यवती, परम सुशील तथा सदैव सत्य बोलने वाली होती है।
10:- दशम भाव का स्वामी 10th लॉर्ड यदि अपने ही घर में अर्थात् दशम ( दसवे ) भाव में बैठा हो, तो व्यक्ति अपनी माता को सुख देने वाला, मातृकुल से अनेक प्रकार के सुख पाने वाला तथा समयानुकूल प्रासंगिक वचन बोलने वाला चतुर व्यक्ति होता है।
11:- दशम भाव का स्वामी 10th लॉर्ड यदि एकादश ( ग्यारवे ) भाव में बैठा हो, तो व्यक्ति धनवान, मानी, दीर्घायु तथा माता से सुख पाने वाला होता है। उसकी माता सुखभागिनी तथा उसकी रक्षा करने वाली होती है।
12:- दशम भाव का स्वामी 10th लॉर्ड यदि द्वादश ( बारवे ) भाव में बैठा हो, तो व्यक्ति अपनी माता द्वारा परित्यक्त, आत्मबली, राज्य कर्मचारी तथा शुभ कर्म करने वाला होता है। यदि 10th लॉर्ड पाप ग्रह हो तो वह परदेश में निवास करने वाला होता है।
निष्कर्ष :
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