मेष लग्न मे विवाह के योग कैसे होते है Marriage in Aries ascendant – 36 Marriage Yog
Marriage in Aries ascendant: साथियों आज हम जानेंगे मेष लग्न मे विवाह के योग कैसे कैसे होते हैं इस पोस्ट में आप 36 विवाह के योग पढ़ेंगे, मित्रों मेष लग्न गुस्से वाली लग्न या राशि गुस्से वाली राशि या लग्न होती है लेकिन मेष लग्न के सप्तम भाव में तुला राशि होती है जो कि एक सौम्य और मधुर राशि है क्योंकि इसके स्वामी शुक्र होते हैं ।
लेकिन इसके साथ ही शुक्र काम भावना अधिक जागृत करते हैं इसलिए आज की पोस्ट में हम यह जानेंगे कि मेष लग्न में विवाह के योग कैसे बनते हैं और मेष लग्न वालों का जीवन साथी कैसा होता है।
आइए जानते हैं
मेष लग्न में विवाह के योग कैसे होते हैं Marriage in Aries ascendant – 36 Marriage Yog
मेष लग्न में विवाह के योग जानने से पहले ये जान लीजिए कि चूंकि मेष लग्न मे 7 th तुला राशि आती है इसलिए इस लग्न के लोगों का जीवन साथी सुंदर होता है , अब जानते हैं विभिन्न योग
1:- मेष लग्न में शुक्र यदि 2nd या 12th स्थान में हो तो ऐसा व्यक्ति जीवन में अनेक स्त्रियों के साथ संभोग करता है।
2:- मेष लग्न में षष्टेश बुध राहु के साथ होकर यदि लग्नेश मंगल से किसी प्रकार का संबंध करे तो ऐसा व्यक्ति नपुंसक होता है।
3:- गुरु-बुध 7 th भाव में हो तो ऐसा व्यक्ति कई स्त्रियों के साथ संभोग करता है ।
4:- मेष लग्न हो, शुक्र व सूर्य प्रथम या 7 th भावस्थ हो तो ऐसा व्यक्ति की स्त्री वंध्या होती है।
5:- मेष लग्न हो, शुक्र स्व का 7 th भवन में हो तो निश्चय ही पति से वियोग भोगना पड़ता है अर्थात् पति-पत्नी में विच्छेद होता है।
6:- मेष लग्न में शनि लग्न मे चंद्रमा के साथ हो तथा 7 th भाव में सूर्य हो ऐसे ऐसा व्यक्ति के विवाह में भयंकर बाधा आती है विलंब विवाह तो निश्चित है। अविवाह की स्थिति भी बन सकती है।
7:- मेष लग्न में शनि 12th हो, 2nd भाव में सूर्य हो और लग्नेश मंगल निर्बल हो तो ऐसा व्यक्ति का विवाह नहीं होता ।
9:- मेष लग्न में सूर्य और शनि के साथ 7 th के स्वामी शुक्र भी हो तो ऐसा व्यक्ति का विवाह नहीं होता
10:- मेष लग्न में शुक्र कर्क या सिंह राशि में हो तथा सूर्य या चंद्रमा शुक्र से 2nd या 12th स्थान में हो तो ऐसा व्यक्ति का विवाह नहीं होता।
11:- मेष लग्न मे विवाह के योग जब अच्छे नहीं माने गये है जब 7 th भाव का स्वामी शुक्र के साथ सूर्य चंद्रमा स्थित हो तो ऐसे में शुक्र अत्यंत पापी हो जाता है। ऐसी स्थिति में प्रथम तो ऐसा व्यक्ति का विवाह नहीं होता। यदि विवाह हो भी जाए तो ऐसा व्यक्ति को अविवाहित के जैसे जीवन यापन करना पड़ता है।
12:- राहु या केतु 7 th भाव या नवम भाव में क्रूर ग्रहों से युक्त होकर बैठे हों तो निश्चय ही ऐसा व्यक्ति का विवाह विलंब से होता है। ऐसा व्यक्ति प्राय: अंतर्जातीय विवाह करता है ।
13:- मेष लग्न में 2nd भाव का स्वामी शुक्र वक्री हो या 2nd भाव में कोई ग्रह वक्री हो तो ऐसा व्यक्ति के विवाह में अत्यधिक अवरोध उत्पन्न होता है।
14:- मेष लग्न मे 7 th भाव का स्वामी शुक्र वक्री हो, 7 th भाव में कोई भी ग्रह वक्री हो या बक्री ग्रहों की 7 th भाव पर दृष्टि हो तो ऐसा व्यक्ति के विवाह में अनेक अवरोध आते है। विवाह समय पर नहीं होता है।
15:- मेष लग्न तथा चंद्रमा एवं शुक्र लग्न में स्थित हो और उन्हें पापग्रह देखते हों तो ऐसी स्त्री पर पुरुष गामिनी होती है तथा उसकी माता या मातातुल्य किसी वृद्ध स्त्री का इस कार्य में पूर्ण सहयोग रहता है।
16:- मेष लग्न में राहु यदि 8th स्थान में हो तो ऐसी स्त्री वैधव्य दुःख को भोगती है।
17:- मेष लग्न में जिस स्त्री की कुंडली में चंद्रमा 8th हो तो वह स्वी पति सुख से वंचित होती है । प्राय: ऐसी स्त्री विवाह के 8th वर्ष में विधवा होती है।
18:- मेष लग्न मे विवाह के योग जब अच्छे नहीं माने गये है जब सातवें सूर्य शुभ ग्रहों से दृष्ट न हो, तो स्त्री पति द्वारा त्याग दी जाती है। उसे प्राय: तलाक होती है।
19:- मेष लग्न में चंद्रमा यदि चर मेष, कर्क, तुला, मकर राशि में हो, केंद्र में पाप ग्रह, शुभ ग्रहों से दृष्ट न हो तो ऐसी स्त्री विवाह के पूर्व पर पुरुषों से संसर्ग करती है।
20:- मेष लग्न में सूर्य 8th शुभ ग्रहों से दृष्ट न हो तो ऐसी स्त्री नित नए अलंकार व वस्त्र पहन कर परपुरुषों का संग करती है तथा कुल की मर्यादाएं तोड़ देती है।
21:- मेष लग्न में 7 th भाव का स्वामी यदि चर राशि में हो तो स्त्री का पति परदेश में रहने वाला होगा। ऐसे में बुध व शनि यदि 7 th में हो तो स्त्री का पति नपुंसक होगा।
22:- मेष लग्न में मंगल 8th हो तो ऐसी स्त्री मृगनयनी एवं कुटिल होती है। ऐसी स्त्री प्रेम विवाह करती है तथा स्वच्छंद यौनाचार में विश्वास रखती है।
23:-मेष लग्न मे विवाह के योग जब भी अच्छे नहीं माने गये है जब लग्न मे मंगल हो, 7 th भाव का स्वामी शुक्र 8th हो, 7 th भाव में बुध हो तो ऐसी स्त्री एक के बाद दूसरा पति और दूसरे के बाद तीसरा पति करती है। इसमें आत्मनिर्णय की कमी रहती है।
24 :- मेष लग्न में शुक्र 7 th में हो, शुभ ग्रह उसे देखते हों तो ऐसा व्यक्ति की पत्नी अत्यंत सुंदर, स्त्री-धर्म परायण एवं पतिव्रता होती है तथा विवाह के बाद पति के भाग्य को चमकाती है।
25:- यदि पाप ग्रह षष्ठेश, धनेश और लग्नेश से युक्त होकर 7 th भाव में हो तो ऐसा व्यक्ति परस्त्रीगामी होता है।
26:- मेष लग्न में चंद्रमा मेष का वृश्चिक राशि में हो और इन्हीं राशियों का त्रिशांश भी हो तो ऐसी कन्या विवाह के पूर्व पर पुरुष से सहवास करती है।
27:- मेष लग्न में शुक्र चंद्रमा साथ में कहीं भी बैठे, पापग्रहों से दृष्ट हो तो ऐसी स्त्री व्यभिचारिणी होती है।
28:- मेष लग्न में चंद्रमा यदि 1/3/5/7/9/11 राशि में हो तो ऐसी स्त्री पुरुष के जैसे कठोर स्वभाव वाली एवं साहसिक मनोवृत्ति वाली होती है।
29:- मेष लग्न में यदि सूर्य मंगली, गुरु, चंद्र, बुध व शुक्र बलवान हो तो ऐसी स्त्री गलत सोहबत या परिस्थितिवश पर पुरुष की अंकशायिनी बन सकती है।
30:- मेष लग्न में 7 th भाव का स्वामी शुक्र यदि चर राशि 1/4/7/10 में हो तो ऐसी स्त्री का पति निरंतर प्रवास में रहता है ।
31:- मेष लग्न में चंद्रमा एवं शुक्र लग्न मे, पापग्रह से दृष्ट हो, तो ऐसी स्त्री अपनी माता सहित परपुरुष गामिनी होती है।
32:- मेष लग्न में चंद्र और शुक्र लग्न मे हो तथा पंचम स्थान पर पापग्रहों की दृष्टि हो तो वह नारी वंध्या होती है।
33:- मेष लग्न में लग्न मे मंगल स्वगृही हो तो ऐसा व्यक्ति के द्विभार्या योग बनता है। ऐसा व्यक्ति दो स्त्रियों से संभोग करता है । है
34:-मेष लग्न मे विवाह के योग जब अच्छे नहीं माने गये है जब मंगल 7 th भाव में, शनि लग्न में हो तो ऐसा व्यक्ति अवश्य ही दूसरा विवाह करता है ।
35:- मेष लग्न में सूर्य सातवें हो तो ऐसे ऐसा व्यक्ति को पत्नी अल्पजीवी होती है।
36:- मेष लग्न में राहु वृश्चिक का 8th हो तो स्त्री विधवा होती है।
निष्कर्ष :
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