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भारतीय ज्योतिष के विभिन्न भाग क्या है ? Indian Astrology & it’s branches

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भारतीय ज्योतिष के विभिन्न भाग क्या है ? Indian Astrology & it’s branches

Indian Astrology & it’s branches : भारतीय ज्योतिष भारतीय संस्कृति और वेदों का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह विज्ञान हमारे ब्रह्माण्ड, ग्रहों, नक्षत्रों और उनके संयोग का अध्ययन करता है और मानव जीवन को प्रभावित करने वाले ग्रहों के चक्र के बारे में ज्ञान प्रदान करता है।

भारतीय ज्योतिष का मूल आधार वेदों, खगोलशास्त्र, ज्योतिष ग्रंथों और पुराणों पर आधारित है। इसके प्रमुख ग्रंथों में ज्योतिष शास्त्र, बृहत्संहिता, बृहज्जातक, होराशास्त्र, गोलदीपिका आदि शामिल हैं।

भारतीय ज्योतिष में चार मुख्य विद्याओं का उल्लेख किया जाता है: गणित ज्योतिष (अंक विज्ञान), संहिता ज्योतिष (समुद्र शास्त्र), होरा ज्योतिष (जन्मकुंडली) और प्रस्तार ज्योतिष (फलित ज्योतिष)। इन विद्याओं के माध्यम से ज्योतिषी ग्रहों, नक्षत्रों, दशाओं, योगों और दिशाओं का अध्ययन करके मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं का ज्ञान प्राप्त करते हैं।

भारतीय ज्योतिष के विभिन्न भाग क्या है Indian Astrology

भारतीय ज्योतिष के विभिन्न भाग क्या है ?

Indian Astrology & it’s branches

भारतीय ज्योतिष एक प्राचीन विज्ञान है जिसे भारतीय संस्कृति और त्रिकोणात्मक गणित के आधार पर विकसित किया गया है। भारतीय ज्योतिष के कई भाग हैं, जो निम्नलिखित हैं:

  • जातक ज्योतिष (जन्मकुंडली): यह भाग ज्योतिष का सबसे प्रमुख हिस्सा है और व्यक्ति की जन्म तिथि, समय और स्थान के आधार पर उनकी जन्मकुंडली (नेटाल चार्ट) बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। जन्मकुंडली व्यक्ति के भाग्य, गुण, व्यक्तित्व और भविष्य के बारे में ज्योतिषीय ज्ञान प्रदान करती है।
  • नक्षत्र और राशि ज्योतिष: यह ज्योतिष का एक अन्य महत्वपूर्ण भाग है जो ग्रहों के माध्यम से जन्मराशि और नक्षत्र (आधार नक्षत्र) की पहचान करता है। नक्षत्र और राशि ज्योतिष में चंद्रमा का विशेष महत्व होता है, और इसका उपयोग मुख्य रूप से व्यक्ति के भावित भविष्य की जानकारी के लिए किया जाता है।
  • मुहूर्त ज्योतिष: यह भाग मुहूर्त (शुभ समय) की गणना और विभिन्न क्षेत्रों मे शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त समय का चयन करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। मुहूर्त ज्योतिष का उद्देश्य शुभ समय की पहचान करना है जिसमें नक्षत्र, तिथि, दिन, लग्न, ग्रहों की स्थिति, दशाओं, योगों, काल आदि का विश्लेषण किया जाता है। यह व्यक्ति के जीवन के विभिन्न कार्यों के लिए शुभ समय की घोषणा करता है, जैसे विवाह, गृह प्रवेश, यात्रा, निवास, उपनयन, पुण्याहवचन, उद्घाटन, आरंभिक पूजा, वाणी प्रवेश, व्यापार आरम्भ, कर्मकांड, इत्यादि। मुहूर्त ज्योतिष व्यक्ति को शुभ और अनुकूल समय चुनने में मदद करता है ताकि वह सफलतापूर्वक अपने कार्यों को सम्पन्न कर सके।
  • संहिता ज्योतिष: इसमें विभिन्न विषयों पर लिखित ग्रंथों में दी गई सूचनाओं का अध्ययन किया जाता है। संहिता ज्योतिष का उद्देश्य ज्योतिष विज्ञान के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में सूचनाएं और मार्गदर्शन प्रदान करना है।

संहिता ज्योतिष के अंतर्गत कई विषय हो सकते हैं, जैसे:

  1. मेडिकल ज्योतिष (आयुर्वेदिक ज्योतिष): यह ज्योतिष आयुर्वेदिक चिकित्सा के साथ जोड़कर मानव शरीर की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का अध्ययन करता है। इसके द्वारा ग्रहों, नक्षत्रों, दशाओं, योगों, आयुर्वेदिक दोषों आदि के आधार पर व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति का विश्लेषण किया जाता है।
  2. वास्तु शास्त्र (वास्तु ज्योतिष): यह ज्योतिष में वास्तु शास्त्र के नियमों के आधार पर घर, दफ्तर, उद्योग, मंदिर, विद्यालय, आदि की स्थापना के लिए शुभ मान्यताओं का अध्ययन करता है
  • गणित ज्योतिष: यह ज्योतिष का एक महत्वपूर्ण भाग है जो गणित के सिद्धांतों का उपयोग करके ग्रहों और नक्षत्रों की गणना करता है।           इसमें ग्रहों की गति, आकार, दूरी आदि को गणितीय तरीकों से निर्धारित किया जाता है।
  •  होरा ज्योतिष: इस भाग में ज्योतिष के द्वारा व्यक्ति की जन्मकुंडली के आधार पर भविष्यफल का अध्ययन किया जाता है।               जन्मकुंडली के भाव, ग्रहों की स्थिति, दशाओं आदि का विश्लेषण करके व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं का अनुमान लगाया       जाता है।
  • नाड़ी ज्योतिष: यह भाग ज्योतिष का एक विशेष रूप है जो व्यक्ति की जन्मकुंडली और व्यक्तित्व के आधार पर भविष्य की जानकारी प्रदान करता है। इसमें नाड़ी पद्धति का उपयोग किया जाता है, जिसमें शास्त्रीय नाड़ी ग्रंथों में दी गई सूचनाओं का अध्ययन करके व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं की पूर्वभास की जाती है।
  • प्रश्न ज्योतिष: इस भाग में ज्योतिष का उपयोग व्यक्ति के प्रश्नों के उत्तर देने के लिए किया जाता है। व्यक्ति जो भी समस्या, प्रश्न या चिंता के साथ आता है, वह ज्योतिषी को उस प्रश्न के बारे में पूछता है और उसके आधार पर ज्योतिषी उत्तर प्रदान करता है।
  • मुंडन ज्योतिष:  में ज्योतिषी बालक की जन्मकुंडली के विभिन्न ग्रहों की स्थिति और योगों का विश्लेषण करते हैं। यह ग्रहों के बालक के जीवन पर प्रभाव को अंकित करता है और उनके भविष्य की संभावनाओं को दर्शाता है। इसके द्वारा निम्नलिखित पहलुओं का अध्ययन किया जाता है:
  1. शिक्षा: मुंडन ज्योतिष के माध्यम से ज्योतिषी बालक की शिक्षा संबंधी संभावनाओं को जान सकते हैं। उनकी अध्ययन क्षमता, ग्रहों के संयोग और दशाओं का प्रभाव आदि को देखकर उनकी शिक्षा में सफलता की संभावना का अनुमान लगाया जा सकता है।
  2. स्वास्थ्य: मुंडन ज्योतिष ज्योतिषी को बालक की स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देने में मदद करता है। ग्रहों की स्थिति और दशाओं का विश्लेषण करके ज्योतिषी उनके स्वास्थ्य की संभावनाएं और संभावित समस्याओं को जान सकते हैं और उचित उपाय सुझा सकते हैं।
  3. विवाह: मुंडन ज्योतिष में ज्योतिषी बालक के विवाह संबंधी मामलों का अध्ययन करते हैं। मुंडन ज्योतिष में ज्योतिषी बालक के विवाह संबंधी मामलों का अध्ययन किया जाता है। इसके द्वारा उनके विवाह की संभावनाएं, सही साथी का चयन, विवाह के समय और तिथि का चयन आदि का अनुमान लगाया जा सकता है। ग्रहों की स्थिति, दशाओं का प्रभाव, योगों का विश्लेषण आदि के आधार पर ज्योतिषी विवाह के संभावित समय का सुझाव देते हैं ताकि विवाह शुभ और सम्पन्न हो सके।मुंडन ज्योतिष विभिन्न अन्य पहलुओं को भी शामिल कर सकता है, जैसे करियर, धर्म, प्रवृत्ति, योग्यता, भाग्य, आदि। इसके माध्यम से ज्योतिषी बालक के जीवन के प्रमुख मोमेंट्स, समस्याएं और संभावित समाधान का अनुमान लगाया जा सकता है। यह बच्चे के भविष्य के लिए मार्गदर्शन प्रदान करने में मदद करता है और उसे उचित कार्रवाई करने में सहायता प्रदान करता है।Do astrologers lie आपकी कुंडली में राजयोग है क्या एस्ट्रोलॉजर झूठ बोलते हैं

निष्कर्ष :

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श्री गणेश ज्योतिष समाधान 

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